Good News for West UP : बागपत के गांव मीतली में बनेगा मेडिकल कालेज, कैबिनेट की मिली हरी झंडी
बागपत जिले में 28 साल बाद मेडिकल कॉलेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। मीतली गांव में कॉलेज के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, मत्स्य विभाग की जमीन चिकित्सा शिक्षा विभाग को हस्तांतरित की जाएगी। इस कॉलेज से क्षेत्र में उच्च कोटि के चिकित्सक तैयार होंगे और जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। पहले यह परियोजना पीपीपी मॉडल पर प्रस्तावित थी, लेकिन जमीन की अड़चन के कारण अटकी हुई थी।

मीतली गांव में मेडिकल कालेज के लिए चिन्हित की गई जमीन। सौ. ग्रामीण
जागरण संवाददाता, बागपत। मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रहे जनपद के लोगों के लिए 28 साल बाद खुशी का पल आया है। मेडिकल कालेज स्थापना की सभी अड़चन दूर हो गई हैं। मीतली गांव में मेडिकल कालेज स्थापना के लिए कैबिनेट की मुहर लग गई है। गांव में मत्सय विभाग की 5.6000 हेक्टेयर में से 5.0700 हेक्टेयर जमीन चिकित्सा शिक्षा विभाग को निश्शुल्क हस्तांतरित कर दी गई है। 0.5300 हेक्टेयर जमीन विवादित है।
मेडिकल कालेज की स्थापना से जहां एक ओर उत्कृष्ट कोटि के चिकित्सकों को तैयार किया जा सकेगा, वहीं जनता को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकेंगी। इस वर्ष जनवरी में हुई कैबिनेट की बैठक में बागपत में पीपीपी यानी सार्वजनिक-निजी सहभागिता माडल पर मेडिकल कालेज बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ था। इसकी स्थापना के लिए जयपाल सिंह शर्मा ट्रस्ट का चयन किया गया था।
यह ट्रस्ट 101 करोड़ रुपये खर्च कर मेडिकल कालेज का निर्माण करेगा। इस बैठक के तुरंत बाद जमीन की अड़चन लग गई थी। 16 जनवरी को आयोजित दिशा की बैठक में डीएम अस्मिता लाल ने केंद्रीय राज्यमंत्री एवं रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी को अवगत कराया था कि ग्राम मीतली में चिह्नित भूमि को मत्स्य विभाग ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को देने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया है। इस कारण मेडिकल कालेज की स्थापना नहीं हो सकी है। इसपर जयन्त चौधरी के निजी सचिव आइएएस सुजीत कुमार ने 2 फरवरी को डीएम को पत्र भेजकर अवगत कराया कि बड़ौत में जनता वैदिक कालेज के पास 96 बीघा भूमि उपलब्ध है।
कालेज प्रबंध समिति ने इस भूमि को मेडिकल कालेज के लिए दान देने की सहमति जताई है। उन्होंने डीएम को निर्देशित किया था कि कालेज प्रबंध समिति से वार्ता कर भूमि हस्तांतरण ओर कालेज स्थापना के लिए यथाशीघ्र प्रस्ताव शासन को भेजें। जयन्त की ओर से आए इस प्रस्ताव के बाद जनपद में सियासी तूफान खड़ा हो गया था। मेडिकल कालेज को लेकर जनपद दो खेमों में बंट गया था। बागपत और बड़ौत वाली सियासत शुरू हो गई थी।
मीतली और बड़ौत में पंचायतें हुईं। मीतली गांव के लोग भाजपा नेता ठा. प्रदीप सिंह के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और मेडिकल कालेज को मीतली में ही स्थापित कराने की मांग की। तब से अब तक मेडिकल कालेज स्थापना का मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ा था। अब शुक्रवार को योगी कैबिनेट ने मेडिकल कालेज के लिए जमीन की अड़चन दूर कर दी है।
वर्ष 2020 में हुई थी घोषणा
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री ने बागपत में मेडिकल कालेज की घोषणा की थी। मेडिकल कालेज को पीपीपी मोड पर बनाया जाना तय हुआ था। प्रशासन को भूमि चिह्नित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। तत्कालीन सांसद डा. सत्यपाल सिंह के कार्यकाल में एक वर्ष बाद वर्ष 2021 में मीतली गांव में 15 एकड़ भूमि चिह्नित की गई। यह जमीन राजस्व विभाग के रिकार्ड में बंजर दर्ज थी। जमीन को वर्ष 2001 में मत्स्य विभाग को दे दिया गया था और रिकार्ड मत्स्य विभाग के नाम दर्ज कर दिया गया था। वर्ष 2023 में भूमि को पहले राजस्व विभाग के नाम दर्ज कराया गया फिर वर्ष 2024 में उसे चिकित्सा शिक्षा विभाग के नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू की गई।
मेडिकल कालेज में होंगे 300 बेड तथा एमबीबीएस की 100 सीट
बागपत : सीएम योगी की कैबिनेट से मेडिकल कालेज की जमीन पर शुक्रवार को मुहर लगने से बागपत में हर कोई खुश है। सर्वाधिक फायदा गरीब मरीजों व उन युवाओं को होगा जो दूसरे जिलों या दूसरे राज्यों में जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई का लाखों का खर्च वहन नहीं कर पाते। ऐसे युवाओं को अब बागपत में ही एमबीबीएस करने का अवसर मिलने लगेगा। एनसीआर में होने के बावजूद बागपत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से दूर है।
सीएचसी तथा जिला अस्पताल मरीज की हालत गंभीर होने पर हायर सेंटर को रेफर करने में देरी नहीं करते। बागपत में कोई हायर सेंटर नहीं है, इसलिए लोगों को अपने मरीज को लेकर दिल्ली, मेरठ या सोनीपत की ओर दौड़ना पड़ता है। कई बार मरीज हायर सेंटर पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जाता है। मगर अब मीतली गांव में मेडिकल कालेज निर्माण की मुहर लगने से बागपत की 16 लाख लोगों को सुविधा होगी।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि मेडिकल कालेज से जिला अस्पताल भी अटैच रहेगा। हालांकि जिला अस्पताल तथा मेडिकल कालेज के बीच की दूरी 15 किमी रहेगी लेकिन दोनों ही नेशनल हाईवे पर होने से यहां आवागमन की कोई दिक्कत नहीं रहेगी। बड़ी बात यह है कि मेडिकल कालेज में मरीजों के उपचार के लिए 300 बेड की क्षमता होगी। एमबीबीएस की 100 सीट रहेंगी। जिले के मरीजों को बेहतर और त्वरित इलाज मिलने से जान जाने से बचेगी। निजी अस्पतालों में इलाज पर आने वाले करोड़ों का खर्च लोगों का बचेगा। वहीं, जिले के युवाओं को एमबीबीएस की पढ़ाई कर डाक्टर बनने का अवसर मिलेगा।

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