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    Bagpat News : मृत व्यक्ति के आश्रितों को क्लेम देने में बीमा कंपनी कर रही थी ना-नुकर...अब देना पड़ेगा ब्याज समेत

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 02:35 PM (IST)

    Bagpat News बागपत में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बजाज एलाईन्ज जनरल इंश्योरेंस कंपनी को सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के आश्रितों को 15 लाख रुपये का बीमा क्लेम देने का आदेश दिया है। कंपनी ने क्लेम देने से इन्कार कर दिया था लेकिन आयोग ने कंपनी के तर्क को खारिज करते हुए सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है।

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    बीमा कंपनी की नहीं चली बहानेबाजी, पीड़ित को देने होंगे 15 लाख। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, बागपत। सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के आश्रितों को बीमा क्लेम देने के बजाय बहाने बनाना बीमा कंपनी को महंगा पड़ा है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बजाज एलाईन्ज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को बीमा क्लेम के 15 लाख रुपये सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाकर पीड़ित को चुकाने का आदेश दिया है।

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    चमरावल गांव निवासी 36 वर्षीय मोनिका व उनके तीन बच्चों ने बजाज एलाईन्ज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ वाद दायर किया था। पीड़िता ने दर्ज वाद में कहा कि उनके पति अजीत ने बाइक का बीमा कराया हुआ था। इसमें 15 लाख रुपये का व्यक्तिगत बीमा भी कवर था, जिसकी मियाद दो दिसंबर 2019 तक थी। सात जनवरी 2019 में सड़क दुर्घटना से मृत्यु हो गई। मगर बीमा कंपनी ने क्लेम नहीं दिया।

    23 मार्च 2021 को टोल फ्री नंबर पर बीमा कंपनी से संपर्क किया तो वहां से जवाब दिया गया कि आपका बीमा क्लेम 23 मार्च 2019 को बंद कर दिया गया लेकिन इसकी लिखित में कोइ्र जानकारी नहीं दी थी। यह वाद दाययर होने के बाद बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि अजीत को कार सवार ने पीछे से टक्कर मारी तथा सिर में भारी वस्तु से प्रहार किया था जिससे उसकी अस्पताल में मौत हो गई इसलिए बीमा क्लेम नहीं दिया जा सकता।

    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष भोपाल सिंह, सदस्य मीनाक्षी जैन व राजीव कुमार ने बीमा कंपनी के तर्क का आधारहीन मानते हुए बीमा कंपनी को पीड़ितों को 15 लाख रुपये क्लेम सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज तथा पांच हजार रुपये परिवाद खर्च 45 दिन के अंदर चुकाने का आदेश दिया है। ऐसा नहीं करने पर ब्याज सात के बजाय दस प्रतिशत लगेगा। बीमा क्लेम के 15 लाख रुपये सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाकर पीड़ित को चुकाने का आदेश दिया है।

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