यूपी के इस जिले का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार पहुंचा, बढ़े हृदय व सांस के मरीज
बांदा में दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 माइक्रो घनमीटर के पार पहुंच गया है। इस कारण हृदय और सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। जिले में प्रदूषण मापक यंत्र की कमी है, जिससे निगरानी लखनऊ से की जा रही है। वाहनों से निकलने वाले धुएं और पराली जलाने से स्थिति और खराब हो सकती है।

जागरण संवाददाता, बांदा। इन दिनों अक्सर जिले का प्रदूषण बढ़ने लगता है। दीपावली पर फोड़े गए पटाखों व जलाई गई पयार के धुएं का असर यहां भी दिखता है। सुबह-शाम ठंड से वायु मंडल में दबाव के चलते प्रदूषण साफ नहीं होता है।
नतीजतन इन दिनों वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स लगभग 200 माइक्रो घनमीटर पार पहुंच जाता है, जो लोगों की सेहत के लिए खतरनाक है। हालांकि वर्षा के कारण अभी धान की कटाई चल रही है।
पयार अभी जलाया नहीं जा रहा है। जिससे काफी गनीमत है। लेकिन फिर भी सामान्य दिनों की अपेक्षा दीपावली के बाद से एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ने से हृदय रोग के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहीं जिले में अभी तक बोर्ड के पास एयर क्वालिटी इंडेक्स मापक यंत्र नहीं है। इसकी निगरानी लखनऊ स्थित मुख्यालय से की जा रही है।
वायु प्रदूषण की वजह से इन दिनों हृदय के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। दरअसल हमेशा दीपावली मेें फोड़े गए पटाखों व पयार जलाने के बाद से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। हालांकि इस वर्ष वर्षा होने से धान की अभी कटाई चल रही है। प्रदूषण के कारण प्राणवायु हवा जहरीली होती जा रही है। खासकर सुबह व शाम हल्की धुंध ने जिले का एक्यूआई बढ़ा दिया है।
मौसम वेबसाइट के अनुसार शुक्रवार सुबह नौ बजे जिले का एक्यूआई 182 माइक्रो घनमीटर रहा, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि अगस्त व सितंबर माह का इंडेक्स देखा जाए जो यह 120 से 130 के बीच माइक्रो घनमीटर रहा। लगभग 50 घन मीटर एक्यूआई बढ़ने से मरीजों को परेशानी होने लगी है।
इन दिनों जिला अस्पताल में सामान्य दिनों की अपेक्षा सांस व हृदय के मरीज अधिक आ रहे हैं। हृदय रोग विभाग के डा. शिशिर चतुर्वेदी ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 100 से 110 रोगी सांस व हृदय रोग के आ रहे हैं। जो कि बीते माह की अपेक्षा अधिक हैं। पहले यह संख्या 50 से 60 तक सीमित रहती थी। इसकी मुख्य वजह धूल, धुआं और धुंध आदि है।
कार्रवावाई में खानापूरी, बढ़ सकता है जिले का एक्यूआई
जानकारों की माने तो अभी जिले का एक्यूआई 200 के पार पहुंच जाएगा। जिले में इसके बढ़ने के कई कारण हैं। वाहनों में प्रदूषण प्रपत्र रखने की महज खाना पूरी की जा रही है। ज्यादातर वाहन सड़कों पर धुआं उड़ाते फर्राटे भर रहे हैं। संभागीय परिवहन विभाग इसकी कार्रवाई में फिसड्डी है। वर्ष के 10 माह पूरे होने को हैं। वाहनों के प्रदूषण की स्थिति सही न होने पर कार्रवाई में महज खानापूरी की गई है।
जबकि जिले में 2,37,626 वाहन फर्राटे भर रहे हैं। इसमें 2,08,600 दुपहिया वाहन, 6331 चार पहिया, 1489 ट्रक यानी भारी वाहन, 5600 आटो, 14015 ट्रैक्टर, 201 बसें, 1390 लोडर हैं। जिनके पास प्रदूषण सही होने के प्रमाण है जो कार्रवाई से बचने के काम आ रहा है। लेकिन वाहन से निकले रहे धुएं से प्रदूषण बढ़ रहा है। संभागीय परिवहन विभाग को अभियान चलाकर इस पर भी कार्रवाई करनी चाहिए।
जिले में नहीं लगा है एक्यूआई मापक यंत्र
जिले के चिल्ला रोड में प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड का कार्यालय तो स्थित है, लेकिन विभाग के पास अभी तक प्रदूषण मापक यंत्र नहीं है। लिहाजा यूपी भर के मापे जा रहे लखनऊ मुख्यालय में लगे यंत्र के जरिए ही यहां का प्रदूषण माप जा रहा है। यानी यहां का एक्यूआई अधिक हो सकता है लेकिन सही स्थिति नहीं पता चल पाती है। हालांकि एयर क्वालिटी इंडेक्स मापक यंत्र को स्थापित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लखनऊ मुख्यालय बीते वर्ष प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन कब लगेगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाइयां भी इन दिनों शिथिल पड़ी है।
दिन प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर कारखानों, शहर में चल रहीं अवैध चूना भठ्ठी, चांदी गलाने आदि के कारखानों पर नजर नहीं है। महज प्रमाण पत्र जारी करने की खानापूरी की जा रही है। ऐसे में यदि एक्यूआई 200 के पार हुआ ताे बेहद खराब जोन में पहुंच जाएगा, जो सांस व हृदय रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। किसान पयार न जलाने पाए इसके लिए भी प्रशासन को सजग रहना चाहिए।
-ठंड में नमी और वायु दबाव से धूल, धुआं ऊपर पहुंचने की बजाय नीचे रह जाता है। जिससे वायु प्रदूषण होता है और एक्यूआई बढ़ जाता है। इसे मापने के यंत्र के यहां स्थापना के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
डा. माधवी कमलवंशी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बांदा
- बीते माह की अपेक्षा इन दिनों सांस व हृदय के मरीज बढ़ गए हैं। हमेशा दीपावली के बाद ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। नियमित इलाज दिया जा रहा है।डा. शिशिर चतुर्वेदी, हृदय रोग विभाग, जिला चिकित्सालय बांदा

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