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    बांदा में किसानों का आक्रोश; तीन दिन से खाद न मिलने पर समिति कर्मचारियों को बंधक बनाकर पीटा, हाईवे किया जाम

    Updated: Fri, 10 Oct 2025 08:18 PM (IST)

    बांदा में खाद की कमी से परेशान किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। तीन दिन से खाद न मिलने पर किसानों ने समिति कर्मचारियों को बंधक बनाकर पीटा और हाईवे जाम कर दिया। किसानों का आरोप है कि खाद न मिलने से उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं। पुलिस के आश्वासन के बाद किसानों ने जाम खोला।

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    बांदा में इटावा टांडा नेशनल हाईवे पर जाम लगाते किसान। जागरण

    जागरण संवाददाता, बांदा। खाद न मिलने व समिति के सदस्य बनाने पर आक्रोशित किसानों ने मंडी समिति कर्मचारियों की बंधक बनाकर धुनाई कर दी। जिसका इंटरनेट मीडिया पर वीडियो भी प्रचलित हो रहा है। हालांकि प्रचलित वीडियो की पुष्टि दैनिक जागरण नहीं करता है। वहीं इन दिनों बी-पैक्स में सदस्यता अभियान चल रहा है, जो किसान स्वयं से सदस्य नहीं बनना चाह रहे हैं उनसे भी 226 रुपए लेकर सदस्य बनाया जा रहा है। किसानों ने आरोप लगाया कि समिति के कर्मचारी पहले दिन किसानों से लाइन लगाकर खसरा खतौनी ले रहे हैं।

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    दूसरे दिन उन्हीं किसानों को खाद के लिए टोकन देते हैं और फिर तीसरे दिन खाद वह भी दो-दो बोरी प्रति किसान दी जा रही है। ऐसे में किसानों को तीन दिन में किराया लगाकर परेशान होने आवश्यकता से कम खाद नसीब हो रही है। कुछ किसानों ने रकम की फर्जी वसूली का भी आरोप लगाया। जिसको लेकर आक्रोशित किसानों ने मंडी के बाहर बांदा-टांडा नेशनल हाईवे जाम करते हुए हंगामा किया। पुलिस के पहुंचने पर भी वह नहीं शांत हुए। बाद में जाम व बंधक बनाने की सूचना पर पहुंचे एसडीएम ने समझाकर किसानों को शांत किया। मौजूद डेढ़ हजार किसानों में करीब पांच सौ किसानों को दो-दो बाेरी खाद मिली। शेष को खाद नहीं मिल सकी।


    जिले भर के किसानों को रबी फसलों की बोआई के लिए पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है। इन दिनों किसानों का समय समितियों में बीत रहा है। शहर के मंडी समिति में शुक्रवार को तीनों समितियों में करीब डेढ़ हजार से अधिक किसान तड़के से लाइनों में लगे रहे। तड़के से लाइनों में लगे किसानों की खसरा-खतौनी लेकर व 226 रुपए लेकर उन्हें बी-पैक्स का सदस्य बनाया जा रहा था। जिसको लेकर किसानों ने कर्मचारियों से फर्जी वसूली का आरोप लगाते हुए उलझ गए। मारपीट करने व धक्का मुक्की होने लगी।

    किसानों का एक हुजूम मंडी के बाहर हाईवे पर जाम लगा दिया। किसानों का आरोप था कि जबरन बी-पैक्स का सदस्य बनाया जा रहा है। चलो किसान सदस्य बन भी जाए लेकिन इसमें व्यवस्था गड़बड़ है। पहले दिन किसानों से लाइन लगाकर 226 रुपए के साथ खसरा-खतौनी जमा करवाई जाती है। दूसरे दिन उन्हीं किसानों को खाद के लिए टोकन दिया जाता है जाे सदस्यता के लिए रुपए जमा किया है। इसके बाद उन्हीं किसानों को तीसरे दिन फिर खाद के लिए टोकन लेकर लाइन लगानी पड़ती है। तब जाकर दो-दो बाेरी खाद मिलती है, जो जरूरत के हिसाब से अपर्याप्त होती है।

    सूचना पर पहुंचे एसडीएम नमन मेहता व नायब धनजंय ने किसानों को समझा-बुझाकर शांत किया। तब जाकर करीब दो घंटे बाद खाद का वितरण शुरू हुआ। करीब एक घंटे तक लगे जाम में सैकड़ों की संख्या में वाहनों की लाइनें लग गई। मौजूद करीब डेढ़ हजार किसानों में से महज पांच सौ किसानों को ही खाद मिली। शेष किसानों को शुक्रवार को बुलाया गया।

    तिंदवारी में किसानों ने फिर किया हाईवे जाम


    खाद न मिलने पर किसानों तीन दिन में दूसरी बार बांदा-टांड नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। तिंदवारी के सहकारी संघ में 500 बोरी डीएपी खाद उपलब्ध थी, जबकि पुलिस की मौजूदगी में तड़के से लाइन में लगे 150 किसानों को टाेकन वितरित किए गये। 50 किसानों को एक-एक बोरी खाद देने के बाद किसान संघ के कर्मचारियों ने खाद खत्म होने की बात कह कर केंद्र में ताला लगा दिया। टोकन लिए किसानों ने बांदा-टांडा नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। किसानों का कहना था कि जब टोकन दिया है तो फिर खाद क्यों नहीं दे रहे हैं। जबकि खाद केंद्र मेें रखी है। सचिव पर आरोप लगाया कि वह इसे अपने चहेतों को देना चाह रहा तभी वह टोकन देने के बाद खाद को बचाए है। जाम पर पहुंची पुलिस ने समझाया और केेंद्र खुलवाकर एक-एक बोरी खाद का वितरण करवाया। लेकिन खाद का पर्याप्त स्टाक न होने से टोकन लिए किसान समेत करीब चार सौ किसानों को मायूसी हाथ लगी। आधे घंटें तक लगे जाम में कस्बे के दोनों ओर वाहनों की कतारें लग गईं। सचिव सुखराम सिंह का कहना है कि खाद का स्टाक कम था जबकि किसानों की अधिक संख्या अधिक थी।

     

    लाइन में लगीं करवा चौथ का व्रत रखे महिला किसानों को नहीं मिली खाद


    खाद के लिए कई महिलाएं ऐसी भी थी, जिन्होंने करवा चौथ का व्रत रखा था। वह व्रत रखने के बाद भी खाद कि लिए लाइन में लगी रहीं। लेकिन अव्यवस्था कि तड़के से लाइन में लगने के बाद किसी को एक बोरी मिली तो किसी को वह भी नसीब नहीं हुई।

     

    समिति के सदस्य यदि बना रहे हैं तो कम से कम बताना तो चाहिए। फिर भी काउंटर बढ़ाए कि एक दिन में ही सब हो सके और खाद भी मिल सके। लेकिन तीन दिन से लाइन में लगने के बाद दो बोरी खाद मिली है।
    रामसनेही, सेमरा

     

    जब विभाग के पास खेतों का लेखा जोखा है तो एक बार में खाद क्यों नहीं दे रहा है। खेत आज तैयार हैं 10 दिन बाद क्या करेंगे। समय से खेती का ही लाभ होता है।
    शिवदयाल, पचनेही

     

    कम से कम किसानों को उसकी बोआई में लगने वाली डीएपी के लिए सहूलियत तो मिलनी चाहिए। कई-कई दिन समितियों के चक्कर लगाने के बाद भी खाद नहीं मिल रही है।
    किसान रामराज, परसौंड़ा

     


    दस बीघे खेत में रबी फसलों में मटर, चना व मसूर की बोआई करनी है। तीन दिन में किसी तरह से तीन बोरी डीएपी हाथ लगी है। अब फिर लाइन में लगने की हिम्मत नहीं बची।
    सूरजदीन, मवई




    किसानों को कई-कई दिन समितियों में लाइन में लगने के बाद भी खाद नहीं मिल रही है। जिले भर का किसान मजबूर है। वह किराया लगाकर समय बर्बाद कर एक-एक बोरी के लिए मारामारा फिर रहा है। आवश्यकतानुसार एक दिन में किसानों को खाद मुहैया करवाई जाए। नहीं तो वह किसानों के साथ धरना प्रर्दशन करेंगे।
    नीलूू सिंह, जिलामंत्री, भारतीय किसान संघ, बांदा

     


    कर्मचारियों को बंधक बनाने की बात गलत है। वह सूचना पर वहां गए थे। किसानों काे समिति का सदस्य बनाया जा रहा था। जिसको लेकर वह जाम लगाए थे। समझाकर टोकन दिलवाकर खाद वितरित करवाई गई है।
    नमन मेहता, एसडीएम सदर

     

    खाद का पर्याप्त स्टाक है। समितियों में मांग के अनुसार खाद का प्रेषण समय से किया जा रहा है। किसान खाद न मिलने व सदस्य बनने को लेकर जाम लगाए थे। किसानों को व्यवस्था में सहयोग करना चाहिए।
    अंसल कुमार, सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता