Banda News: प्रतिदिन केंद्रों से बैरंग लौट रहे किसान, मांग के अनुरूप नहीं मिल पा रही खाद
बांदा जिले में खाद के लिए किसान परेशान हैं सहकारी समितियों में लंबी लाइनें लग रही हैं। विभाग का दावा है कि पर्याप्त खाद उपलब्ध है और वितरण किया जा रहा है। इस खरीफ सीजन में 4086 मीट्रिक टन यूरिया और 4230 मीट्रिक टन डीएपी का वितरण हुआ है जो पिछले साल से अधिक है। फिर भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है।

जागरण संवाददाता, बांदा। जिले भर में खाद के लिए चारों ओर किसान परेशान हो रहा है। अभी भी एक-एक बोरी के लिए तड़के से ही सहकारी समितियों के बाहर खाद के लिए लंबी लाइनें लग रहीं है। हर एक दो दिन में केंद्रों में खाद की रैक पहुंचने के बाद किसानों को वितरित की जा रही है।
इसके बाद भी प्रतिदिन किसान बिना खाद के बैरंग लौट रहे हैं। वहीं विभाग पर्याप्त खाद के स्टाक होने का दावा करते हुए किसानों से आवश्यकतानुसार ही खाद लेने की अपील की है। अभी से रबी फसलों के लिए खाद खरीदने से बचने की सलाह दे रहा है।
जिले में खाद वितरण के कुल 62 केंद्र हैं। जिसमें बी-पैक्स के 47, क्रय-विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड, सहकारी संघ व पीएसीएफ के पांच-पांच केंद्र शामिल हैं। केंद्रों में इस समय 358 मीट्रिक टन यूरिया, 379 मीट्रिक टन डीएपी व 18 मीट्रिक टन एनपीके की उपलब्धता है।
वहीं, बफर में 553 मीट्रिक टन यूरिया, 340 मीट्रिक टन डीएपी का स्टाक उपलब्ध है। वहीं एनपीके का स्टाक खत्म हो गया है। इस वर्ष खरीफ सीजन में जिले में अब तक 4086 मीट्रिक टन यूरिया, 4230 मीट्रिक टन डीएपी व 379 मीट्रिक टन एनपीके का वितरण हो चुका है।
विभाग का दावा है कि बीते वर्ष की अपेक्षा अब तक 326 मीट्रिक टन डीएपी व 862 मीट्रिक टन यूरिया का अधिक वितरण हो चुका है। साथ ही बीते एक सप्ताह से दो से तीन दिन के अंतराल में ज्यादातर समितियों में खाद का वितरण किया जा रहा है।
बुधवार को शहर के मंडी स्थित तीनों समितियों में वितरण किया गया। यहां पर 1200 मीट्रिक टन खाद का वितरण किया गया। लेकिन करीब एक सैकड़ा किसानों को वापस लौटना पड़ा। इसके अलावा बिसंडा, नहरी, नारायणपुर, सुनहुली, पपरेंदा व गिरवां की सहकारी समितियों में खाद का वितरण हुआ। लेकिन किसानों को बैंरंग लौटना पड़ा। ज्यादातर समितियों का स्टाक एक बजे ही खत्म हो गया।
समिति में अभी पर्याप्त स्टाक है। जहां से भी डिमांड आ रही है उसी के अनुरूप खाद समितियों में भेजी जा रही है। प्रतिदिन समितियों में किसानों की लग रही लाइनें परेशान कर रहीं हैं। किसानों को चाहिए कि अभी खरीफ फसलों के लिए ही खाद लें।
-अंसल कुमार, सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता
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