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    ग्रामीण क्षेत्राें में भी 100 वर्ग मीटर से बड़े भवनों के लिए ये नियम जरूरी, नक्शा पास करने की प्रक्रिया में ये शामिल

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 04:30 PM (IST)

    सरकार ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। इस नियम का उद्देश्य भूजल स्तर में सुधार और वर्षा जल के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करना है।

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    जागरण संवाददाता, बांदा। जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने नगरीय क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्राें में 100 वर्ग मीटर से बड़े भवनों में वर्षा जल संचयन यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की सुविधा को अनिवार्य करने के निर्देश दिये हैं। इससे आसानी से जल स्तर को बढ़ाया जा सकेगा। अभी तक 300 वर्ग मीटर के आवासों में रेन वाटर सिस्टम बनवाना अनिवार्य था, लेकिन इसका कोई पालन नहीं कर रहा था।

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    मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शहर से लेकर गांवों तक में बनने वाले मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने में तेजी आने की उम्मीद है। जिला में सदर समेत पांच तहसीलों में आठ ब्लाक व अन्य करीब एक दर्जन छोटे कस्बे हैं। जहां पर पक्के बड़े भवनों का निर्माण होता रहता है। इसके अलावा 469 ग्राम पंचायतों में पक्के भवन तैयार हो रहे हैं। लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का उपयोग नहीं हो रहा है।

    नगर, कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में पक्के भवन तेजी के साथ बन रहे है। जिला में सदर समेत पांच तहसीलों में आठ ब्लाक व अन्य करीब एक दर्जन छोटे कस्बे हैं। जहां पर पक्के बड़े भवनों का निर्माण होता रहता है। इसके अलावा 469 ग्राम पंचायतों में पक्के भवन तैयार हो रहे हैं। खपरैल वाले मकान कम ही नजर आते हैं। ज्यादातर रिहायशी मकान पक्के ही हैं। वैसे तो सभी तरह के मकानों में इस सिस्टम को जरूर लगाया जाना चाहिए, जिससे बारिश के पानी को सहेजा जा सके।

    अगर हम शहर में बन रहे भवनों की बात करें तो भवन निर्माण करवाने से पहले नक्शा को बीडीए से पास करवाना पड़ता है। जिसमें 300 वर्ग मीटर वाले भवनों में रूफ टाफ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाना अनिवार्य था, लेकिन सरकार ने नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अब 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है। इससे अब जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि इस समय नगरीय क्षेत्रों में प्रति वर्ष 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले आवासों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का पालन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते नहीं हो पा रहा है।

    हर माह करीब एक सैकड़ा भवन तो तैयार हो रहे हैं, लेकिन बीडीए में भवन नक्शा पास करने व इसके बाद भवन का पूर्णता प्रमाण-पत्र देने की रस्म अदायगी ही की जा रही है। जबकि भवन पूरा बनने के प्रमाण पत्र देने से पहले बीडीए को जांच करने जाना चाहिए कि भवन नक्शे के मुताबिक बना है या नहीं। इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया कि नहीं।

    सख्ती से लागू हो नियम ताे फस्ट स्टेटा तक भेजा जा सकता है 1360 करोड़ लीटर पानी

    जिले में कुल रिहायशी मकानों का क्षेत्रफल करीब 40 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 10 वर्ग किलोमीटर में सरकारी भवन, 10 वर्ग किलोमीटर में निजी कच्चे मकान व 20 वर्ग किलोमीटर में पक्के निजी भवन बने हुए है। जिनमें बारिश के पानी को सहेजा जा सकता है। एक सेंटीमीटर बारिश की स्थिति में एक वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 800 लीटर पानी बचाया जा सकता है। यानी 20 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बने भवनों का पानी एक सेंटीमीटर बारिश की दशा में 160 लाख लीटर पानी को संरक्षित या पद्धति के जरिए भूमिगत जल तक भेजा जा सकता है। इसी प्रकार से जिले में वर्षा काल में औसतन बारिश 80 से 85 सेंटीमीटर के बीच होती है। ऐसे में 20 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 1360 करोड़ लीटर पानी यानी 13600 एमएलडी पानी बर्बाद होने से बचाकर फस्ट स्टेटा तक भेजा जा सकता है।

    नहीं आता अधिक खर्च, छोटी छत में भी बन सकता है हार्वेस्टिंग सिस्टम

    ज्यादातर लोगों का लगता है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में खासा खर्चा आता है, जबकि ऐसा नहीं है। इसकी लागत करीब 10 हजार रुपए से लेकर तीस हजार रुपये तक आती है। निजी व सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग के लिए सिस्टम फिल्टर लगवाया जाता है, जिसकी कीमत छह हजार रुपये से नौ हजार रुपये तक होती है। छोटी छत के लिए यह फिल्टर सिस्टम मात्र तीन हजार रुपये में भी लग सकता है। अगर फिल्टर नहीं लगवाना है तो पानी को मेन टैंक में भेजने से पहले एक स्टोरेज टैंक या पानी की टंकी में जमा किया जा सकता है। इस टंकी में पानी कुछ समय के लिए जमा रहेगा, इसके बाद गंदा पानी नीचे बैठ जाएगा और ऊपर साफ पानी बना रहेगा। इस साफ पानी को पाइप के जरिए मेन टैंक में भेजा जा सकता है।

     


    जल संचयन की व्यवस्था के बिना तीन सौ वर्गमीटर वाले भवनों का नक्शा पास नहीं किया जाता है। अगर नक्शा पास होने के बाद भी लापरवाही मिलती है तो नक्शा निरस्त किया जाएगा। 100 वर्गमीटर नक्शा के लागू होने को लेकर शासनादेश नहीं मिले हैं, शासनादेश मिलते ही इसे नक्शा पास करने की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
    आरपी यादव, अधिशाषी अभियंता, बीडीए

     



    मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान वर्चुअल सभा में घोषणा की है। जैसे ही शासनादेश मिलता है। नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।
    अजय कुमार पांडेय, सीडीओ


    स्थिति एक नजर में

     

    • तहसीलों की संख्या- पांच
    • ग्राम पंचायतोंं की संख्या- 469
    • भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की अनिवार्यता-100 मीटर क्षेत्रफल वाले
    • एक वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बचाया जा सकता है पानी-800 लीटर
    • जिले भर के भवनों की छतों का क्षेत्रफल-20 वर्ग किलोमीटर
    • जिले भर के भवनों के छतों का एक वर्ष में बच सकता है-1360 करोड़ लीटर पानी