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    घूसखोरी के आरोप में फंसी बरेली एंटी करप्शन टीम, रचा ऐसा 'षड्यंत्र', पुलिस भी रह गई हैरान

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 08:06 AM (IST)

    बरेली में एंटी करप्शन टीम पर रिश्वतखोरी के षड्यंत्र का आरोप लगा है। एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने मुख्यालय को पत्र लिखकर दारोगा दीपचंद को निर्दोष बताया है। एंटी करप्शन टीम ने दीपचंद को रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन जांच में टीम पर ही आरोप लगे हैं कि उन्होंने सिपाही पर दबाव डालकर दारोगा की दराज में पैसे रखवाए थे। फिलहाल, शासन से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है।

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    जागरण संवाददाता, बरेली। गवाह थे न नोटों से हाथ रंगे, फिर भी रात के अंधेरे में पहुंची एंटी करप्शन टीम ने दारोगा दीपचंद को रिश्वत का आरोपित बना दिया। यह रिश्वतखोरी के विरुद्ध वास्तवित कार्रवाई नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की बुनियाद पर रचा गया षड्यंत्र था। दारोगा दीपचंद निर्दोष हैं और एंटी करप्शन टीम पूर्वाग्रह से ग्रसित...!

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    इन तर्कों के साथ स्थानीय पुलिस अधिकारी ने एंटी करप्शन टीम के विरुद्ध पत्र मुख्यालय भेज दिया है। 10 महीने चली इस प्रक्रिया में दीपचंद के सात महीने जेल में कटे। जमानत पर छूटने के बाद वह और उनका परिवार रिश्वत का दाग धुलने का इंतजार कर रहा है। उन्हें उम्मीद है कि जांच रिपोर्ट में दिए गए तर्कों व तथ्यों के आधार पर शासन उन्हें राहत देगा।

    छह जनवरी की रात 11 बजे थे, भुड़िया पुलिस चौकी में धड़धड़ाते घुसी एंटी करप्शन टीम ने दारोगा दीपचंद की दराज खोली। उसमें रखे 50 हजार रुपये जब्त करते हुए दारोगा को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिकी हुई थी।

    उस समय एंटी करप्शन के सीओ यशपाल सिंह का कहना था कि 31 दिसंबर को पिपलिया गांव निवासी अनीस ने पड़ोसी जीशान के चाचा व भाइयों के विरुद्ध मारपीट की प्राथमिकी कराई थी। जीशान ने एंटी करप्शन कार्यालय आकर कहा कि विवेचक दारोगा दीपचंद गिरफ्तारी का डर दिखाकर 50 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे।

    इसी शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई। इसके विरुद्ध दीपचंद की पत्नी गुंजन ने मार्च में एसएसपी अनुराग आर्य को शिकायती पत्र दिया था। उनका आरोप था कि दीपचंद की कैंट थाने में तैनाती के दौरान एंटी करप्शन टीम की सिफारिश की अनदेखी कर एक महिला आरोपित को जेल भेजा था। इससे नाराज एंटी करप्शन के अधिकारियों ने उन्हें रिश्वत के आरोप में फंसा दिया। एसएसपी ने इसकी जांच के लिए आइपीएस अंशिका वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की।

    जांच टीम को पता चला कि छापेमारी से पहले एंटी करप्शन टीम की टीम पुलिस चौकी के एक सिपाही को जबरन अपनी कार में बैठाकर उत्तराखंड की ओर ले गई। उस पर दबाव बनाकर दारोगा की मेज की दराज में 50 हजार रुपये रखवाए, फिर छापेमारी कर दी।

    सर्विलांस टीम से साक्ष्य मिले कि सिपाही व एंटी करप्शन टीम के सदस्यों की मोबाइल फोन लोकेशन एक साथ थी। इसके अलावा, दारोगा की दराज से रुपये निकालने के बाद एंटी करप्शन टीम ने उन्हें तुरंत कार में बैठा लिया। दीपचंद का कहना है कि उनके हाथ भी नहीं धुलवाए गए। नियमानुसार, कैमिकल लगे नोट लेने की पुष्टि के लिए हाथ धुलवाना जरूरी होता है, क्योंकि उससे गुलाबी रंग आने पर पुष्टि होती है।

    जिस समय एंटी करप्शन टीम ने छापेमारी की, तब चौकी में 10-12 लोग बैठे थे। उनमें किसी व्यक्ति को गवाह नहीं बनाया गया। ऐसे ही कुछ अन्य आधार बनाते हुए जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट बनाई, जिसे पुलिस मुख्यालय भेजा जा चुका है। अब वहीं से अग्रिम कार्रवाई तय होगी।

    शासन से मांगी जा चुकी रिपोर्ट

    गुंजन का आरोप था कि एंटी करप्शन ने शिकायतकर्ता जीशान से मिलीभगत कर ली थी। सिपाही को भी दबाव व प्रभाव में लेकर रुपये रखवाए गए। उन्होंने शासन में भी शिकायत की थी, जिस पर स्थानीय एंटी करप्शन टीम से जवाब मांगा गया था। एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर प्रवीण सान्याल ने बताया कि कुछ समय पहले शासन ने जवाब मांगा था, जोकि भेज दिया गया। इसके बाद पुलिस की जांच रिपोर्ट में क्या आया, इसकी जानकारी नहीं है।

    दारोगा दीपचंद की पत्नी गुंजन के शिकायती पत्र पर तीन सदस्यीय कमेटी से जांच कराई थी। प्रकरण की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
    - अनुराग आर्य, एसएसपी