Bareilly News : बरेली में कोरोना के बाद बढ़ गए निमोनिया के मामले, मरीजों में बढ़ रही ड्रग रजिस्टेंस
World Pneumonia Day कोरोना संक्रमण के बाद निमोनिया के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही निमोनिया पहले की तुलना में और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। डाक्टरों के मुताबिक अब आने वाले निमोनिया के मामले अधिकतर ड्रग रजिस्ट्रेंस होते हैं।

बरेली, जागरण संवाददाता। World Pneumonia Day : कोरोना संक्रमण के बाद निमोनिया के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही निमोनिया पहले की तुलना में और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। डाक्टरों के मुताबिक, अब आने वाले निमोनिया के मामले अधिकतर ड्रग रजिस्ट्रेंस होते हैं। जिन पर हल्की एंटीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं होता है। इसकी वजह से मजबूरन मरीजों को और भी ज्यादा हाई एंटीबायोटिक उन्हें देनी पड़ती हैं।
आइएमए के उपाध्यक्ष एवं टीबी, छाती रोग विशेषज्ञ डा. मनोज अग्रवाल बताते हैं कि निमोनिया प्रमुखता बैक्टीरियल, वायरल और फंगल तीन तरह का होता है। कोरोना के बाद से मिक्स निमोनिया (बैक्टीरियल एवं वायरल) के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
कोरोना से पहले निमोनिया के मामले हर दिन बमुश्किल एक दो ही आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर हर दिन चार से पांच मरीज पहुंच गए हैं। अधिकांश निमोनिया के केस में मरीजों पर हल्की एंटीबायोटिक काम नहीं कर रही, उन्हें हाई पावर की एंटीबायोटिक देनी होती है।
जो महंगी भी होती है और आसानी से उपलब्ध भी नहीं होती। क्योंकि ऐसे मरीज ड्रग रजिस्ट्रेंस हो चुके होते है, इसकी पहली वजह कोरोना हैं, तो दूसरी झोलाछाप। कोरोना में तमाम लोगों के फेफड़ों में समस्याएं आई थी, तब से उन पर हल्की एंटीबायोटिक काम नहीं कर रही।
तो वहीं, झोलाछाव बिना जानकारी के मरीजों को हाई एंटीबायोटिक देने लगते हैं, जिससे बाद में उन पर हल्की एंटीबायोटिक काम नहीं करती। वह ड्रग रजिस्ट्रेंस हो जाते हैं। स्तनपान से बच्चों को निमोनिया का खतरा कममिलिट्री अस्पताल की डाइटिशियन शुभी मेहरोत्रा ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद एक घंटे के अंदर दूध जरूर पिलाना चाहिए और अगले छह माह तक सिर्फ दूध पिलाना चाहिए।
इसके अलावा पानी, शहद का सेवन बिलकुल भी नहीं कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह पीला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) पौष्टिक होता है इसमें विटामिन ए, प्रोटीन व एंटीबाडी रोग प्रतिरोधक क्षमता भरपूर होती है। इस दूध से दस्त, निमोनिया, पीलिया और संक्रमण की गंभीरता कम हो जाती है। मां के दूध में एनर्जी, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन ए, सी भरपूर मात्रा में होता है।
यह होता है निमोनिया
निमोनिया में मरीज के फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। उन पर सूजन आ जाती है, धब्बे जैसे महसूस होते हैं। कभी-कभी इनमें पानी भी भर जाता है। निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगल इंफेक्शन की वजह से होता है। प्रदूषण में अधिक समय तक रहने की वजह से भी यह हो सकता है।
लक्षण : निमोनिया पैदा करने वाला वायरस ज्यादातर चार से पांच साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक में कफ जमना, दस्त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना इसके लक्षणों में शामिल हैं। अगर बच्चों के नाखून में ढीलापन दिखाई दे तो तुरंत बच्चों को डाक्टर के पास ले जाना चाहिए।
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