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    कैंसर लाइलाज नहीं : जरूरत है जागरूकता और हिम्मत की, जांच कराएं और समय पर इलाज शुरू करें

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 01:49 PM (IST)

    कैंसर लाइलाज नहीं है, इसके लिए जागरूकता और हिम्मत की आवश्यकता है। समय पर जांच कराएं और तुरंत इलाज शुरू करें। जागरूकता बढ़ाकर और सही समय पर इलाज शुरू करके कैंसर को हराया जा सकता है।

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    जागरण संवाददाता, बरेली। कैंसर... नाम सुनते ही डर की लकीरें खिंच जाती हैं, लेकिन अब वक्त बदल गया है। कैंसर अब जानलेवा होने का पर्याय नहीं रहा। हिम्मत, धैर्य और सही इलाज के साथ यह बीमारी भी मात खा जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि लोग अगर सही से जांच कराए और जल्द ही इलाज शुरू कर दें तो 90 प्रतिशित मरीज ठीक हो जाता है। लेकिन आम तौर पर लोग कैंसर को शुरुआत दौर में गंभीरता से नहीं लेते या फिर हास्पिटल या डाक्टर का चयन करने में काफी देरी कर देते हैं।

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    इसका नतीजा रहता है कि कैंसर काफी एडवांस स्टेज यानी गंभीर हालत में पहुंच जाता है। कैंसर के विशेषज्ञों का कहना है कि आज इलाज की एडवांस टेक्नोलाजी और बेहतर दवाओं की वजह से इस इलाज को जल्द ठीक करने में सफलता हासिल की है। इस बीमारी से पीड़ितों के लिए बस यह जरूरी है कि वे इस बीमारी के लक्षणों को जल्द से जल्द समझे, उसकी जांच कराए और किसी अच्छे चिकित्सक का चयन कर बिना देरी किए इलाज कराएं। यानी जागरूकता से कैंसर की जंग को आसानी से जीता जा सकता है।

     

    रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी को लेकर गलत धारणा

    कैंसर लाइलाज नहीं, बस जागरूकता की कमी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। शुरुआती चरणों में पूरी तरह से इस भयानक बीमारी पर काबू करना संभव है। लेकिन इसकी जांच के लिए बायोप्सी कराने से डरना। रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी को लेकर गलत धारणाओं से लोग इसके इलाज से बचते हैं। इस लापरवाही से यह बीमारी अंतिम चरण में पहुंच कर लाइलाज हो जाती है। यदि समय से इलाज मिल जाए तो मरीजा पूरी तरह ठीक हो जाता है। एसआरएमएस मेडिकल कालेज स्थित आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट में आरंभिक चरण में ही सभी प्रकार के कैंसर की पहचान और इसका संभव है। हजारों मरीज यहां से स्वस्थ होकर सामान्य और कैंसर से बेखौफ जीवन बिता रहे हैं।

    - डा.पियूष कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर, आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर

     

    प्रारंभि‍क लक्षणों पर नहीं देते ध्‍यान

    कैंसर से घबराने की जरूरत नहीं है। दिक्कत ये है कि आम तौर पर मरीज कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को पकड़ने में कोई ध्यान नहीं देते। इसके बाद जब उन्हें कुछ तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है तो वे जांच कराते हैं। उसमें भी अगर कैंसर की पुष्टि हो जाती है तो मरीज काफी घबरा जाता है और वह इलाज के लिए इधर से उधर भटकने लगता है। या फिर उचित जांच और इलाज के बजाय लोगों की बातों में फंसा रहता है। जबकि इस समय मरीज को काफी धैर्य और हिम्मत के साथ काम लेने की जरूरत होती है। आवश्यक है कि मरीज सबसे पहले जांच कराकर किसी अच्छे चिकित्सक से फौरन इलाज शुरू कर दें। अगर शुरुआती दौर में ही कैंसर का इलाज शुरू हो जाए तो मरीज के ठीक होने की संभावना 90 फीसदी से भी ज्यादा की होती है।

    - डा. आरके चितलांगिया, कैंसर विशेषज्ञ, केशलता कैंसर हास्पिटल