'मुंबई जाकर लोगों से कहूंगा बरेली जाओ अगर...', असरानी ने क्यों कही थी ये बात?
मशहूर अभिनेता गोवर्धन असरानी के निधन पर फिल्म जगत और बरेली में शोक है। असरानी का बरेली से गहरा नाता था, वे अक्सर यहां के मांझे का जिक्र करते थे। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि दर्शकों की तालियां कलाकारों के लिए ऑक्सीजन होती हैं। उन्होंने बरेली से मिले सम्मान के बारे में कहा था कि वे मुंबई जाकर लोगों से कहेंगे कि सम्मान पाना है तो बरेली जाओ।

जागरण संवाददाता, बरेली। विख्यात अभिनेता गोवर्धन असरानी अपनी अदाकारी से सभी को दीवाना बना लेते थे। उनके निधन पर फिल्म जगत से जुड़े लोगों और उनके चाहने वालों के साथ शहरवासी भी दुखी है। नाथ नगरी से भी अभिनेता का खासा जुड़ाव रहा, वह यहां के मांझे का जिक्र कार्यक्रमों में किया करते थे। इसी वर्ष एक आयोजन में असरानी ने कहा था कि उनके जैसे कलाकारों के लिए दर्शकों की तालियां और सीटी ऑक्सीजन होती है। शहरवासियों से मिले प्यार और सम्मान पर कहा, वह मुंबई जाकर लोगों से कहेंगे कि सम्मान पाना है तो बरेली जाओ।
इसी वर्ष नौ अप्रैल को इन्वर्टिस विश्वविद्यालय में 11वां दीक्षा समारोह आयोजित किया गया। इसमें विशिष्ठ अतिथि के तौर पर पहुंचे जाने-माने अभिनेता गोवर्धन असरानी को डाक्टरेट आफ आर्ट की उपाधि प्रदान की गई, जिस पर उन्होंने कहा था कि उनके स्वर्गीय पिता ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनका बेटा अपने नाम के आगे डाक्टर लिखेगा। विवि ने उपाधि देकर सिर्फ मेरा नहीं बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री का सम्मान किया है। मैंने पूरी दुनिया घूमी है, लेकिन जिंदगी में इतना बड़ा सम्मान कहीं और नहीं मिला। मंच को झुककर नमन करने के बाद असरानी ने कहा कि उनके जैसे कलाकार के लिए दर्शकों की ताली और सीटी आक्सीजन है।
हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं... पर बजीं थी तालियां
असरानी ने फिल्म शोले के मशहूर डायलाग हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं... सुनाकर खूब मनोरंजन किया। दर्शक काफी देर तक ताली बजाते रहे थे। कहा, आजकल के कलाकारों के पास गाड़ी, बंगला सब कुछ है, लेकिन उनके पास दर्शक नहीं है। असरानी ने कई बार मांझा का जिक्र कर बरेली से अपना लगाव जाहिर किया तो यह भी कहा कि मुंबई जाकर वह लोगों से कहेंगे कि सम्मान पाना है तो बरेली जाओ। उन्होंने कहा था कि रील की बजाए आज रीयल लाइफ में दर्शकों से रूबरू होकर अच्छा लग रहा है। विद्यार्थियों से कहा, वह स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करें।
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