Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Karwa Chauth: करवा चौथ पर पति से झगड़ा करने पर क्या होता है? ज्योतिषाचार्य ने किया क्लियर

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 04:48 PM (IST)

    करवा चौथ, पति-पत्नी के अटूट रिश्ते का पर्व है। इस दिन, पत्नियाँ पति की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि व्रत के दौरान वाणी पर नियंत्रण रखना और बड़ों का सम्मान करना चाहिए। काले और भूरे रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए, लाल रंग शुभ माना जाता है। सरगी से व्रत का संकल्प लिया जाता है और नुकीली चीजों का प्रयोग वर्जित है।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, बरेली। करवा चौथ केवल आस्था व परंपरा का पर्व नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई व विश्वास का प्रतीक भी है। मान्यता है कि इस दिन पत्नी का व्रत और उसकी निष्ठा पति की आयु और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ाती है। यही कारण है कि यह पर्व भारतीय संस्कृति में वैवाहिक जीवन का सबसे पवित्र उत्सव माना जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज करवा चौथ का पर्व पूरे देश में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि करवा चौथ के दिन कुछ चीजें करने से व्रत का फल प्रभावित हो सकता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिला को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। किसी बड़े का अपमान करना या पति से झगड़ा करना वर्जित है। कहा जाता है कि इससे व्रत का फल कम हो जाता है।

    ज्योतिषाचार्य डा. विपिन शर्मा बताते हैं कि सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को देर तक नहीं सोना चाहिए। मान्यता है कि यह व्रत सूर्योदय से ही शुरू हो जाता है, इसलिए सुबह जल्दी उठकर स्नान व पूजन की तैयारी करना जरूरी है। करवा चौथ पर सोते हुए व्यक्ति को जगाना भी अशुभ माना गया है।

    शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत करने वाली महिला स्वयं न सोए और दूसरों को भी नींद से न जगाए। पूजा के दौरान भूरे और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि यह रंग अशुभ माने जाते हैं। इस दिन महिलाओं के लिए लाल रंग के कपड़े शुभ माने जाते हैं, जो प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक है।

    इस व्रत की शुरुआत सास की ओर से दी गई सरगी से होती है। सरगी में मिठाई, श्रृंगार का सामान व वस्त्र शामिल होते हैं, जिसे खाकर महिलाएं निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं। खास परंपरा है कि इस दिन महिलाओं को नुकीली चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जैसे सिलाई, कढ़ाई, बटन टांकना या सुई-धागे का काम करना अशुभ माना जाता है।