Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rajpal Yadav Interview: 'हास्य और फूहड़ता के बीच की बारीक लाइन समझना जरूरी, रंगकर्मी खुद को बीज की तरह समझे'

    Updated: Sun, 02 Mar 2025 11:21 AM (IST)

    Rajpal Yadav Interview राजपाल यादव ने हास्य और फूहड़ता के बीच के अंतर पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि हास्य देश की 90 प्रतिशत आबादी देखती है और फूहड़ता केवल 10 प्रतिशत। उन्होंने नवोदित रंगकर्मियों और कलाकारों को बीज की तरह से काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक 10 वर्ष में सिनेमा हेयर स्टाइल ड्रेस सब बदल जाता है।

    Hero Image
    Rajpal Yadav Interview: हास्य अभिनेता बॉलीवुड कलाकार राजपाल यादव।

    जागरण संवाददाता, बरेली। Rajpal Yadav: हास्य और फूहड़ता के बीच के अंतर की बारीक लाइन को समझना जरूरी है। हास्य देश की 90 प्रतिशत आबादी देखती है और फूहड़ता केवल 10 प्रतिशत। इस अंतर को बेबाकी से समझाने वाले बालीवुड के हास्य अभिनेता राजपाल यादव नवोदित रंगकर्मियों और कलाकारों को बीज की तरह से काम करने की सलाह देते हैं। शनिवार रात को शहर आए हास्य अभिनेता और वरिष्ठ संवाददाता पीयूष दुबे से बातचीत कुछ अंश...

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संवाददाता : रंगमंच में विंडरमेयर थिएटर फेस्टिवल एंड अवॉर्ड्स किस तरह से सहायक है। इससे रंगकर्म को क्या लाभ मिल रहा है ?

    राजपाल : रुहेलखंड मंडल की भूमि पर विंडरमेयर थिएटर फेस्टिवल एंड अवार्ड्स वैसे ही काम कर रहा है, जिस तरह से रामायण में गिलहरी ने अपना योगदान दिया था। रंगकर्म को विंडरमेयर एक नई दिशा दे रहा है। इसमें अच्छे कलाकारों को एक मंच मिल रहा है।

    संवाददाता : स्टैंड अप कॉमेडी और लैटेंट शो के माध्यम से जिस तरह से हास्य और फूहड़ता के अंतर को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, वो समाज को किस तरह से प्रभावित कर रहा है ?

    राजपाल : स्वांग और लीला का प्रचलन नया नहीं है। स्वांग और लीला में अक्सर द्विअर्थी संवादों का प्रयोग किया जाता रहा। कॉमेडी में भी इस तरह के प्रयोग किए गए। लैटेंट शो में सीमा के बाहर जाकर गलत शब्दों का प्रयोग किया। हास्य और फूहड़ता में अंतर बनाया जाना जरूरी है, लेकिन समाज को चाहिए कि वो उनको माफ करे, क्योंकि कौन बनेगा करोड़पति में दो लाइफलाइन मिलती हैं तो इसमें एक तो दी जानी चाहिए।

    संवाददाता : आज के बदलते दौर में सिनेमा और रंगकर्म किस दिशा में जा रहा है, हम ग्रामीण क्षेत्र की पृष्ठभूमि पर आधारित सिनेमा की दिशा में बढ़ रहे हैं क्या ?

    राजपाल : बदलाव तो प्रकृति का नियम है, ऋतु हो या फैशन सभी बदल जाते हैं। प्रत्येक 10 वर्ष में सिनेमा, हेयर स्टाइल, ड्रेस सब बदल जाता है। इसी तरह सिनेम में भी बदलाव हो रहा है, लेकिन इन सभी का मूल रंगकर्म है।

    संवाददाता : समाज के साथ ही नवोदित रंगकर्मियों को क्या संदेश देना चाहेंगे ?

    राजपाल : केवल एक बात कहना चाहूंगा रंगकर्मियों और नवयुवकों से। खुद को हमेशा बीज की तरह समझो, वृक्ष की तरह नहीं। बीज में संभावनाएं होती हैं, क्योंकि वो जहां रोपा जाता है, वहां पर खुद को उगा लेता है, लेकिन वृक्ष ऐसा नहीं कर पाता है। बात साफ है कि एक या दो नाटक, फिल्म करके खुद को बहुत बड़ा समझने के बजाय जमीन से जुड़कर काम करो, सफलता जरूर मिलेगी।

    संवाददाता : बरेली मंडल में रंगकर्म को एक मंच देने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए ?

    राजपाल : रंगकर्म को विस्तार देने के लिए बरेली मंडल में एक रंगमंडल तैयार कराने की योजना है। इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। 

    ये भी पढ़ेंः Holi 2025: होली के लिए ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन की गाइड लाइन जारी, रंगभरनी एकादशी पर इन चीजों पर लगा बैन

    ये भी पढ़ेंः Weather Update: नैनीताल में बूंदाबांदी के बाद आया सुधार, उत्तराखंड में 12 घंटे में बदलेगा मौसम का मिजाज!