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    बरेली में फोर्स के साथ दबिश पर घिरी उत्तराखंड पुलिस, SSP के एक एक्शन से आई बैकफुट पर; सभी को छोड़ा

    Updated: Tue, 11 Mar 2025 07:48 PM (IST)

    उत्तराखंड पुलिस ने बिना किसी सूचना या समन्वय के दूसरे राज्य उत्तर प्रदेश में छापेमारी की जिसके कारण उन्हें उत्पीड़न के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। निर्दोष ग्रामीणों को हिरासत में लेने और फिर छोड़ने के बाद उनके स्वजनों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उधर स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड के तस्कर मैदान में स्मैक खपा रहे।

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    बरेली में निर्दोषों के घर दबिश में घिरी उत्तराखंड पुलिस। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, बरेली। बिना सूचना-समन्वय दूसरे राज्य में असफल दबिश देने वाली उत्तराखंड पुलिस उत्पीड़न के आरोप में घिर गई। उनकी हिरासत से निर्दोष बताकर छोड़े गए 15 में 14 ग्रामीणों के स्वजन ने मंगलवार को थाने पहुंचकर आठ तहरीरें दी।

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    उनका कहना था कि उत्तराखंड के पुलिसकर्मियों ने बेवजह दरवाजे तोड़े व महिलाओं से अभद्रता की, इसलिए कार्रवाई की जाए। इन शिकायतों पर जांच का आश्वासन देने वाली बरेली पुलिस ने उत्तराखंड टीम पर पलटवार भी किया।

    स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड के तस्कर मैदान में स्मैक खपा रहे। इसकी पुष्टि के लिए चार वर्षों में पकड़े गए 64 आरोपितों का ब्योरा भी सार्वजनिक कर दिया।

    300 पुलिसकर्मियों के साथ उत्तराखंड पुलिस ने की थी रेड

    रविवार रात बरात वाले स्टीकर लगी बसों-कारों से उत्तराखंड के 300 अधिकारी-पुलिसकर्मी फतेहगंज पश्चिमी व अगरास के कई घरों में घुसे थे। इस दबिश को स्ट्राइक बताकर वहां के अधिकारियों ने प्रेस नोट व कई वीडियो-फोटो जारी किए थे।

    उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड को ड्रग्स मुक्त बनाने के लिए दूसरे राज्य (उप्र) में घुसकर तस्करों की कमर तोड़ दी, 25 आरोपितों को पकड़ा है। सोमवार सुबह से दोपहर तक चर्चित प्रकरण शाम होते औंधे मुंह गिर गया। पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने पर वहां की पुलिस ने 15 ग्रामीणों को छोड़ दिया, सिर्फ एक वांछित आसिफ की गिरफ्तारी दर्शायी।

    एसएसपी ने थानों से रिकॉर्ड चेक कराया

    इनकी वापसी के बाद बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने थानों से रिकॉर्ड चेक कराया। उनका कहना था कि इन 15 ग्रामीणों में 14 पर कभी कोई मुकदमा नहीं हुआ, सिर्फ एक पर मारपीट का केस दर्ज है। इसके बाद सोमवार देर रात तक उत्तराखंड टीम कहती रही कि बरेली के शेष नौ संदिग्धों से पूछताछ में सुराग मिलेंगे। बरेली के एसएसपी बार-बार दोहराते रहे कि शेष नौ लोग इस जिले के नहीं हैं।

    आखिरकार, मंगलवार सुबह को उत्तराखंड पुलिस ने स्वीकारा कि वे नौ लोग बरेली नहीं, बल्कि आसपास क्षेत्र के थे। उन लोगों को भी पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया।

    तहरीर में किसने क्या आरोप लगाया

    फतेहगंज पश्चिमी निवासी नजीरा ने तहरीर में लिखा कि रविवार रात को अचानक दरवाजे तोड़कर उत्तराखंड के पुलिसकर्मी घर में घुस आए। पूरे घर की तलाशी में कुछ नहीं मिला तो पति नईम, देवर वसीम व बेटे मुशीर को पकड़कर ले गए।

    अतलारक्खी ने कहा कि बेटे सरताज को तेज बुखार होने के कारण डॉक्टर के पास ले जाने की तैयारी कर रहे थे। उसी समय कई पुलिसकर्मी धमकाते हुए घर में घुस आए। सामान अस्त-व्यस्त कर दिया, फिर पति जुबैर हुसैन को पकड़कर ले गए।

    नन्मी का आरोप था कि पुलिसकर्मियों ने अभद्रता की, फिर बेटे आलम को ले गई। सुनीदा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने तोड़फोड़ की, विरोध पर बेटे दानिश को ले गई। रूबीना ने तहरीर में लिखा कि सहरी के समय बेटा शहजाद पड़ोसी के घर से चायपत्ती मांगकर ला रहा था। रास्ते से पुलिस ने पकड़ लिया।

    शहाना ने आरोप लगाया कि बेटे जुबैर और सोमवती ने आरोप लगाया कि पति रोशनलाल, बेटे विजय एवं प्रमोद को पुलिस पकड़कर ले गई। वरीश ने तहरीर में लिखा कि दरवाजा तोड़कर घर में घुसी पुलिस ने बेटे शाहिद, राशिद अदनान, आसिफ को पकड़ लिया। इन सभी को बसों में भरकर उत्तराखंड ले जाया गया। वहां से छूटने पर सोमवार सात बजे तक सभी घर पहुंचे।

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