यूपी के इस जिले में बेटी की बीमारी ठीक करने के लिए मासूम बच्ची की दी थी बलि...कोर्ट ने सुनाया यह फैसला
बिजनौर में एक दंपती और उनके दो साथियों को एक पांच वर्षीय बच्ची की बलि देने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तांत्रिक के कहने पर उन्होंने बच्ची की बलि दी] क्योंकि उनकी बेटी बीमार थी। अदालत ने इसे एक जघन्य अपराध माना और चारों दोषियों को कठोर सजा सुनाई। यह मामला 2017 का है, जिसमें बच्ची के माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद बच्ची का शव बरामद हुआ था।

बालिका की बलि देने में दंपती और पुत्री समेत चार को आजीवन कारावास। (प्रतीकात्मक फाेटो)
संवाद सहयोगी, जागरण बिजनौर। जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार सप्तम ने पुत्री की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए तांत्रिक के कहने पर पांच वर्षीय मासूम बच्ची की बलि देने के मामले में आरोपित दंपती हरपाल और उसकी पत्नी फूलवती उर्फ फूलों, पुत्री शिवानी और राकेश को दोषी माना है। न्यायाधीश ने चारों आरोपितों को आजीवन कारावास और 45-45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
जिला शासकीय अधिवक्ता वरुण राजपूत के अनुसार वादी कर्मवीर सिंह पुत्र घनश्याम सिंह निवासी गांव पाडली मांडू थाना धामपुर ने थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट में लिखा था कि वह काशीपुर में एक फैक्ट्री में मजदूरी करता है। पांच अक्टूबर 2017 को वह अपनी ड्यूटी पर गया था। उसका भाई बरम सिंह और वादी के दो बच्चे एक लड़का और एक लड़की उसके भाई के मकान पर थे। वादी की पांच वर्षीय पुत्री राखी शाम के समय अचानक गायब हो गई। काफी तलाश करने पर रात्रि आठ बजे के करीब राखी का शव सचिन और गौरव के मकान की छत पर मिला। उक्त मामले में अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज की गई।
बाद में वादी ने एक दूसरी तहरीर थाने में दी जिसमें लिखा कि उसे ग्रामीणों से पूछताछ करने पर पता चला कि आरोपित हरपाल की लड़की शिवानी पिछले एक वर्ष से बीमार चल रही थी। उसका काफी इलाज कराया, लेकिन उसे आराम नहीं मिला। हरपाल के रिश्ते के भाई राकेश के कहने पर उसे तांत्रिक रामकुमार को दिखाया। रामकुमार ने शिवानी को देख बताया कि इस पर भूत प्रेत का साया है और उसे ठीक करने के लिए किसी शुभ तिथि पर कन्या की बलि देने की बात कही। वादी और आरोपित हरपाल सिंह का घर बराबर में है। घटना वाले दिन उसकी बेटी राखी खेलते हुए हरपाल के घर चली गई।
पांच अक्टूबर 2017 को पूर्णिमा का दिन था। आरोपित हरपाल उसकी पत्नी फूलवती उर्फ फूलो और शिवानी ने मिलकर एक कमरे में पूजा-पाठ के बाद वादी की पुत्री की बलि चढ़ा दी। शाम के समय उक्त आरोपितों को मासूम के शव को ठिकाने लगाने का मौका नहीं मिला तो उन्होंने शव छत पर ले जाकर लकड़ियों के नीचे दबा दिया। वादी का आरोप है कि आरोपित हरपाल उसकी पत्नी फूलवती उर्फ फूलों उसकी पुत्री शिवानी और राकेश ने तांत्रिक रामकुमार के कहने पर उसकी पुत्री राखी की बलि दी।
उक्त मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद उक्त चारों आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया। तांत्रिक रामकुमार घटना के समय से फरार चल रहा है। उक्त मामले में न्यायाधीश संजय कुमार सप्तम ने आरोपित हरपाल उसकी पत्नी फूलवती उर्फ फूलो और पुत्री शिवानी तथा राकेश को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
नौ गवाहों की गवाही हुई
उक्त मामले में सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से वादी कर्मवीर सिंह, नीतू, चमनो देवी, रवि, डॉक्टर राधेश्याम वर्मा, इंस्पेक्टर रोहताश चौधरी, एसआई कुमरेश त्यागी तथा राकेश कुमार चौहान के बयान दर्ज कराए गए।
183 तारीख के बाद मिला न्याय
उक्त मामले में सेशन कोर्ट को मुकदमा ट्रांसफर करने के बाद सुनवाई के दौरान कुल 183 तारीख लगी, उसके बाद वादी को न्याय मिला। उक्त मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय में पहली तारीख 30 मार्च 2018 को लगी तथा अंतिम निर्णय 30 अक्टूबर 2025 को आया।
अपराध जघन्य प्रवृत्ति का है
मामले में सरकार की ओर से पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता वरुण राजपूत ने बताया कि उक्त मामले में आरोपितों को झूठा फसाने की कोई वजह नहीं है। आरोपितों द्वारा किया गया अपराध जघन्य प्रवृत्ति का है। आरोपितो ने मासूम बच्ची की एक षड्यंत्र के तहत जानबूझकर बलि देने के इरादे से हत्या की है, ऐसे अपराधी को कभी माफ नहीं किया जा सकता। ऐसा अपराध देश और समाज के विरुद्ध है।

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