Bijnor: मालन नदी का तटबंध टूटने पर बंद हो गया था मेरठ-पौड़ी हाईवे, गंगा का तटबंध टूटा तो खादर में हो सकती है तबाही
Bijnor News बिजनौर में पिछले माह मालन नदी के उफान से दो दर्जन गांव जलमग्न हो गए जिससे मेरठ-पौड़ी हाईवे बंद हो गया। गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से 2010 और 2013 में भी ऐसी स्थिति बनी थी। 1984 में गंगा पर बने तटबंध पर कटान होने से खतरा बढ़ गया है। इसके टूटने से खादर क्षेत्र में बड़ी तबाही की आशंका है।

जागरण संवाददाता, बिजनौर। नदियां कितना विकराल रूप ले सकती हैं, इसकी बानगी इस बार देखने को मिल रही है। केवल दस मीटर चौड़ी धारा वाली मालन ने दो दर्जन गांवों के खेतों और घरों को अपनी आगोश में ले लिया था। उसकी वजह से मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे को भी बंद करना पड़ा था। गंगा का तटबंध टूटा तो गांवों में होने वाला नुकसान बहुत बड़ा होगा। इससे पहले भी वर्ष 2010 और 2013 में गंगा का पानी कई गांवों में बिना तटबंध टूटे ही भर चुका है।
गंगा और मालन दोनों पहाड़ों से बहकर आती हैं। गांव रावली के पास मालन नदी गंगा में समा जाती है। गंगा की धारा जिले में सामान्य तौर पर दस मीटर तक बहती है। छह अगस्त को मालन नदी पर बना तटबंध टूट गया था। मालन का पानी रातोंरात दो दर्जन से अधिक गांवों में भर गया था। गांव मंडावली से बडकला तक सड़क पर पांच किलोमीटर तक गंगा का पानी उतर रहा था। तब ग्रामीण घरों की छत पर रहने को मजबूर हो गएए थे। केवल 100 मीटर कटे तटबंध को ठीक करने में प्रशासन को 72 घंटे लग गए थे।
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गंगा ने हालांकि अभी तक तटबंध नहीं काटा है लेकिन दो बार गंगा का पानी उफनकर दर्जनों गांवों में भर चुका है और मेरठ पौड़ी नेशनल हाईवे पर उतर चुका है। वर्ष 2010 और 2013 में गंगा के पानी की वजह से इस मार्ग को बंद करना पड़ा था। गंगा के वेग में कई बारहसिंघा तक बह गए थे। तब से इस इलाके में कई वर्ष तक बारहसिंघा दिखाई भी नहीं दिए थे। अगर गंगा का तटबंध टूट गया तो खादर क्षेत्र में बड़ी तबाही मचेगी।
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41 वर्ष पूर्व बना था तटबंध
गंगा का तटबंध वर्ष 1984 में बना था। गांवों की ओर तटबंध पर सड़क बना दी गई। इससे तटबंध को और मजबूती मिली। समय समय पर इसकी मरम्मत होती रहती है। वर्ष 2012 में भी गंगा ने तटबंध की ओर कटान किया था लेकिन तब सिंचाई विभाग की टीम ने इसे रोक दिया था। इस बार तटबंध पर बहुत तेजी से कटान हो रहा है। सिंचाई विभाग के सामने इसे रोकना बहुत बड़ी चुनौती है।
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