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    आइएएस बनने का सपना देखा था इस मेधावी छात्रा ने, प्री एग्जाम क्वालिफाई भी किया...फिर हो गया यह सब

    By Birendra Kumar Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Tue, 04 Nov 2025 03:43 PM (IST)

    बिजनौर की मेधावी छात्रा ललिता चौधरी ने आइएएस बनने का सपना देखा था। परिवार को भी उसके आइएएस बनने की उम्मीद भी थी, लेकिन सोमवार को सुबह वह सपना टूट गया। आइआइटी कानपुर से एमसीए करने के बाद ललिता ने यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी शुरू कर दी। तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। एक बार प्री एग्जाम उत्तीर्ण किया, लेकिन सफलता न मिलने पर हताश हो सोमवार को उसने गंगा में छलांग लगा दी।

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    ललिता चौधरी। (फाइल फोटो)

    जागरण संवददाता, बिजनौर। ललिता चौधरी ने आइएएस बनने का सपना देखा था। पूरे परिवार को भी उसके आइएएस बनने की उम्मीद भी थी, लेकिन सोमवार को सुबह वह सपना टूट गया। आइआइटी कानपुर से एमसीए करने के बाद ललिता ने यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी शुरू कर दी। तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। एक बार प्री एग्जाम उत्तीर्ण किया। उसने अक्टूबर माह में भी पीसीएस की परीक्षा दी थी।

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    यह भी पढ़ें- रेलिंग पर चढ़ी और गंगा में कूदी UPSC की तैयारी कर रही युवती, कानपुर से की IIT

    यूपीएससी में चयन नहीं होने से तनाव में थी। हाल ही में उसकी शादी की भी बात चल रही थी। ललिता चौधरी पढ़ाई में काफी तेज है। अन्य बच्चे भी अच्छी पढ़ाई कर रहे थे। वेदप्रकाश ने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए एक मकान ज्ञान विहार में बनाया था। दंपती गांव में रहते हैं और बच्चे यहां रहकर पढ़ रहे थे। अमीन वेदप्रकाश की सबसे बड़ी बेटी ललिता थी। वेदप्रकाश का छोटा बेटा अमित लखनऊ से स्वास्थ्य विभाग में रिसर्च कर रहा है और वैज्ञानिक है। इससे छोटा राज बीटेक कर नोएडा में नौकरी करता है। ललिता की सबसे छोटी बहन रानी हिमाचल की मंडी से एमबीबीएस कर रही हैं। ललिता का भी सपना आइएएस बनना था।

    वर्धमान डिग्री कालेज, बिजनौर से बीएसएसी की। इसी दौरान इसका चयन आइआटी कानपुर में एमसीए में हो गया। हालांकि, ललिता का बीटेक के लिए छत्रपति साहू विश्वविद्यालय कानपुर में भी हो गया था। उसने एमसीए किया था। 2022 में एमसीए करने के बाद दो साल दिल्ली के मुखर्जीनगर में यूपीएससी की तैयारी की। इसके बाद एक साल से आनलाइन तैयारी कर रही थी। उसने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी। एक बार में प्री परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी थी।

    अब 13 अक्टूबर में पीसीएस की परीक्षा दी थी। यूपीएससी व पीसीएस में चयन नहीं होने पर वह तनाव में थी। हाल ही में उसकी शादी की भी बात चल रही थी। ललिता के पिता के बताया कि उसका सपना आइएएस बनने था। शोकाकुल स्वजन गंगा के तट पर ललिता की तलाश में जुटे हैं। ललिता का एक भाई कर रहा है शोध ललिता के दो भाई व एक बहन है। एक भाई लखनऊ में है और स्वास्थ्य विभाग से जुड़कर हाथीपांव बीमारी पर शोध कर रहा है। दूसरा बीटेक कर नोएडा में नौकरी कर रहा है। बहन हिमाचल से चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है।

    रेलिंग के पास फुटपाथ पर पानी में झांक कर चल रही थीं
    जागरण संवाददाता, बिजनौर। ललिता ने शुरू से ही गंगा में कूदने का इरादा बना लिया था। वह सोमवार को स्टेशन की बजाय गंगा बैराज पर घूमने के बहाने से अर्शी को वहां ले गई। वह पहले गंगा पुल की रेलिंग के किनारे-किनारे पानी की ओर झांककर चल रही थी। संभावना है कि बीच गंगा में पानी गहरा होने के अनुमान से वह कूद गई। किशोरी को भी रोकने का मौका नहीं मिल पाया। जिस जगह वह कूदी है। वहां 20 फुट पानी है।

    ललिता कुछ समय से तनाव में चल रही थी। वह रेलवे स्टेशन पर टहलने जाती थी। सुबह वह घर से रेलवे स्टेशन के लिए घर से चलीं। अचानक रास्ते में अर्शी से कहा कि आज गंगा बैराज पर चलेंगे। गंगा के दर्शन करेंगे। किशोरी भी साथ चल दी। दोनों रोडवेज बस में बैठकर गंगा बैराज पुल पर पहुंच गई। ललिता पुल के किनारे पर ही उतर गई। पैदल आगे की ओर चल दी। वह बीच-बीच में चलने के दौरान झांक-झांककर पानी में देख रही थी। गेट नंबर 25 पर उसने अचानक छलांग लगा दी। उसका पहले से ही आत्महत्या का इरादा था।

    तत्काल सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पानी का गेट बंद करा दिया। पुलिस व सिंचाई विभाग ने बैराज पुल पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाली है। फुटेज में ललिता पुल पर मीरापुर की ओर पैदल ही जाती हुई दिखाई दे रही है। पुलिस ने फुटेज को कब्जे में लिया है।