चक्रवात मोंथा ने बढ़ाई यूपी के किसानों की टेंशन, रुक-रुककर हो रही बारिश का ऐसा असर
चक्रवात मोंथा के कारण चंदौली जिले में भारी बारिश हुई, जिससे हजारों हेक्टेयर धान की फसल प्रभावित हुई है। किसानों को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि फसलें खेतों में गिर गई हैं और सड़ने का खतरा बढ़ गया है। कृषि विभाग ने नुकसान का आकलन किया है और किसानों को मुआवजे के लिए फसल बीमा योजना के तहत जानकारी देने की सलाह दी है।

जागरण संवाददाता, चंदौली। चक्रवात मोंथा के चलते हवा के साथ जिले में बुधवार की पूरी रात रुक-रुक कर बारिश हुई। इससे जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है तो वहीं, हजारों हेक्टेयर धान की फसल खेतों में मिट्टी से चिपक गए। इससे बालियों में सड़न होने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। इसको लेकर किसान चिंतित हैं। जिन खेतों में पानी जमा हो गया है वहां की फसल बर्बाद हो सकती है।
फफूंदी रोग लगने का खतरा भी बढ़ गया है। कृषि विभाग का दाव है कि पांच प्रतिशत फसलों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि हकीकत यह है कि करीब बीस से 25 प्रतिशत किसानों की फसल प्रभावित है। कृषि विज्ञानियों ने बताया कि पैदावार पर तो असर पड़ेगा ही, रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं के साथ आलू, दलहन-तिलहन की बोआई भी प्रभावित हो गई है। किसानों का कहना है कि वे पूंजी खाद, कीटनाशक, जोताई और रोपाई में लगाई है, ताकि इस बार अच्छी पैदावार मिल सके।
इस समय खेतों में धान की फसल कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन बारिश और हवा से कई जगहों पर फसल गिर गई है। खेतों में पानी भरने से धान सड़ने की आशंका है। इसके अलावा कुछ किसानों ने हाल ही में आलू की बाेआई की थी। बारिश के कारण नष्ट होने की संभावना बढ़ गई है।
अरहर की फसल को भी नुकसान हुआ है, जबकि अतिरिक्त नमी के कारण रबी की बोवाई में विलंब होगा। इससे उत्पादन पर असर पड़ने के साथ सब्जियों के दामों में भी बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। जिले में इस वर्ष खरीफ सीजन में 1.30 लाख हेक्टेयर में खेती की गई है। इसमें करीब 1.18 हेक्टेयर धान की फसल है।
बारिश से लंबे समय तक रहेगी नमी
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी नरेन्द्र रघुवंशी ने बताया कि धान, मटर, आलू, सरसों और अन्य फसलों पर मौसम के इस प्रभाव से उपज में गिरावट आ सकती है। उन्होंने किसानों को खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करने और रबी फसल की बोवाई के लिए तैयार किए गए खेतों से पानी निकाल लेने की सलाह दी है। कहा कि हवा और बारिश से फसलें प्रभावित जरूर हुईं हैं। लेकिन, खेतों में लंबे समय तक नमी रहेगी। यह गेहूं के अलावा दलहन व तिलहन कह खेती के लिए लाभप्रद है।
फसलों के नुकसान की दें जानकारी
जिला कृषि अधिकारी विनोद यादव ने बताया कि फसल नुकसान के मुआवजे के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत हेल्पलाइन नंबर 14447 पर काल कर सकते हैं। कृषि रक्षक पोर्टल पर भी जानकारी दे सकते हैं। इसके अलावा बैंक, जनसेवा केंद्र या कृषि विभाग के अधिकारी को लिखित रूप से सूचना दे सकते हैं। सूचना देने के बाद सर्वे टीम नुकसान का आकलन करेगी और राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाएगी।
धान की फसल पकने से पहले ही लोट गई है। ऐसे में अनाज के दाने ठीक से नहीं भर पाएंगे। इससे भारी नुकसान तय है। - हृदय नारायण सिंह, करनौल।
मेहनत और खर्च कर अच्छी फसल की उम्मीद की थी। चक्रवात मोंथा की बरसात से सारी मेहनत बेकार हो गई। अब रबी की बोआई भी नहीं हो पा रही है। - सतीश कुमार, तियरा।
धान की अधपकी फसल जमीन पर गिर गई है। इससे कटाई मुश्किल हो जाएगी और दाने सड़ने की संभावना बढ़ गई है। किसान बहुत परेशान हैं। - लालब्रत पासवान, तियरा।
बरसात और हवा से खेतों में पानी भर गया है। अब सरसों, मटर और आलू की बोआई नहीं हो पा रही है। धान की फसल का नुकसान तो हुआ है। - रामपति, अमाव।

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