Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चंदौली के बलुआ में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांवों में दहशत, पलायन की तैयारी में लोग

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 04:21 PM (IST)

    चंदौली के बलुआ में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांवों में दहशत है। पिछले दो दिनों में जलस्तर में लगातार वृद्धि हुई है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। किसानों की फसलें डूबने से उन्हें भारी नुकसान हुआ है और पशुओं के चारे की समस्या हो गई है।

    Hero Image
    चंदौली में किसानों की फसलें डूबने से उन्हें भारी नुकसान हुआ है।

    जागरण संवाददाता, टांडाकला, (चंदौली)। बलुआ स्थित गंगा के जलस्तर में विगत तीन दो दिनों से लगातार पानी बढ़ने से गंगा नदी के किनारे व तटवर्ती गांवो के लोगों में एक बार फिर खौफ के साए मंडराने के साथ ही लोगों में दहशत बना हुआ है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगर इसी तरह गंगा का पानी बढ़ता रहा तो पानी गंगा नदी के किनारे व तटवर्तीय गांवों में एक बार फिर से पानी प्रवेश करने लगेगा। चौबीस घंटे में गंगा का सात फिट जलस्तर बढ़ा है। गंगा में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की आशंका पुनः एक बार फिर बढ़ गई है।

    यह भी पढ़ें Deepawali 2025 : कार्तिक अमावस्या इस बार दो दिन, 20 या 21 अक्टूबर, कब मनाएं दीपावली? काशी के ज्‍योत‍िष‍ियों ने बताई सही त‍िथ‍ि

    गंगा नदी के तटवर्तीय गांवों के किसानों व ग्रामीणों में खौफ व दहशत दिखने लगा है। गंगा का जलस्तर कुछ दिनों तक स्थिर होने के बाद अचानक दो दिन में गंगा नदी में जलस्तर में बढ़ोतरी होने से तटवर्तीय गांवों के लोगों में दहशत के साथ ही खौफ भी दिखने लगा है।

    गंगा के तटवर्ती गांव भुपौली, डेरवा, महड़ौरा, कांवर, पकड़ी, महुअरिया, विशुपुर, महुआरी खास, सराय, बलुआ, डेरवाकला, महुअर कला, हरधन जुड़ा, गंगापुर, पुराबिजयी, पुरागणेन, चकरा, हरधनजुड़ा, सोनबरसा, टांडाकला, महमदपुर, सरौली, तीरगावा, हसनपुर, बड़गांवा, नादी निधौरा , सहेपुर आदि गांवों के किनारे व तटवर्तीय गांवों के खेतों में पूर्व मे बाढ़ आने के दौरान किसानों द्वारा बोये गये हजारों एकड़ फसलें प्रभाव‍ित हो चुकी हैं।

    यह भी पढ़ें मालेगांव विस्फोट मामले में बरी होने के बाद श्रीकांत पुरोहित ने काशी विश्वनाथ मंदिर में की पूजा, बोले मिला न्याय, देखें वीड‍ियो...

    खेतों में इस समय सब्जियां, परवल, मिर्च, लौकी, नेनुआ, बैगन, ज्वार, बाजरा व अरहर, मूंग एवं धान की रोपी गई फसलें और पशुओं का हरा चारा पानी में डुबकर बर्बाद हो चुकी हैं। इसके साथ ही पशुओं के चारे की विकट समस्या उत्पन्न हो गयी थी। घाट के किनारे पर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों को विशैले का खतरा बना है।

    पूर्व में बाढ़ आने के दौरान किसानों के हजारों एकड़ खेतों में लगी फसलें बर्बाद होने से काफी मायूस हो गये थे जिससे उन्हें रोजी रोटी पर भी संकट मंडराने लगा है। बाढ़ से घिरे गांव के लोग- लोग रात भर जाग कर गुजर - बसर करने को विवश हो जाते हैंं। जिसके चलते लोगों में हाय- तौबा मची रहती है। तटवर्तीय गांवों में बाढ़ का चौतरफा पानी लग जाने से ग्रामीण, बच्चे, महिलाओं को पानी से होकर या नांव का सहारा लेकर आवागमन करना पड़ता है।

    यह भी पढ़ें Flood In Kashi : गंगा ने पार क‍िया चेतावनी ब‍िंदु, खतरे के न‍िशान को पार करने को लहरें हुईं आतुर, देखें वीड‍ियो...