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    Chitrakoot Treasury Scam: कोषागार का सबसे बड़ा घोटाला, चार मृत पेंशनर्स के बंद खातों को सक्रिय कर भेजे करोड़ों रुपये

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 10:35 PM (IST)

    चित्रकूट कोषागार में करोड़ों रुपये की हेराफेरी मामले में चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में पता चला कि चार मृत पेंशनरों के बंद खातों को सक्रिय कर उनमें करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए। वित्तीय घोटाले ने प्रशासनिक प्रणाली की खामियों को उजागर किया है।

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    जागरण संवाददाता, चित्रकूट। कोषागार में 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच में पाया गया कि चार पेंशनरों की मृत्यु वर्ष 2018 में हो चुकी थी और उनके खाते मृत प्रमाण पत्र के आधार पर बंद कर दिए गए थे। मगर, तीन माह बाद उन्हीं खातों को पुनः सक्रिय कर प्रत्येक खाते में तीन करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की गई। इस प्रकरण की दो स्तरीय जांच चल रही है। पुलिस शासन द्वारा गठित टीम की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। एसपी का कहना है कि अभी कार्रवाई करने पर अभिलेख सील करने पड़ेंगे, जिससे शासन की जांच प्रभावित हो सकती है।

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    वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह ने 17 अक्टूबर को कर्वी कोतवाली में घोटाले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कोषागार विभाग के पटल सहायक लेखाकार संदीप श्रीवास्तव व अशोक कुमार, सहायक कोषाधिकारी विकास सचान और सेवानिवृत्त सहायक कोषाधिकारी अवधेश प्रताप सहित 93 खाताधारकों को नामजद किया गया था। इस मामले की जांच एसपी अरुण कुमार द्वारा गठित एसआइटी और शासन से गठित दो सदस्यीय टीम कर रही है।

    जांच में सामने आया है कि आडिट टीम की चार फाइलें छिपाई गई थीं, जो पेंशनर शिवप्रसाद, रामखेलावन, राजेंद्र कुमार और गिरजेश कुमारी से संबंधित थीं। इनकी मृत्यु 2018 में हो गई थी, लेकिन इनके नाम पर पेंशन निकाली जा रही थी। विभाग ने मृत प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद भी तीन माह बाद इन्हें पुनः जीवित दिखाकर खातों को सक्रिय कर दिया था। बताया गया कि इनके मूल खाता नंबर भी बदल दिए गए थे।

    सबसे अधिक रकम शिवप्रसाद (3.97 करोड़), रामखेलावन (3.59 करोड़), राजेंद्र कुमार (3.45 करोड़) और गिरजेश कुमारी (2.20 करोड़) के खातों में भेजी गई। जांच में कुछ और पेंशनर भी मृत पाए गए हैं, जिनके खातों में एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहुंची है। माना जा रहा है कि वर्ष 2018 से ही करोड़ों की हेराफेरी हो रही थी। कई खातों में तो 150 से अधिक बार ट्रांजेक्शन किया गया। यह केवल निचले स्तर के कर्मचारियों या अधिकारियों के बस की बात नहीं थी। बंद खाते फिर से खोले गए, जिससे संकेत मिलता है कि कोषागार के तीन वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवधि में लापरवाह रहे। एजी आफिस प्रयागराज की आडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट में भी इनकी लापरवाही का उल्लेख किया है।


    सबसे अधिक बेसिक शिक्षा के पेंशनर


    93 पेंशनरों में सबसे अधिक 52 बेसिक शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, जो कोषागार से लूटी गई धनराशि में हिस्सेदार रहे। इसके बाद 22 सेवानिवृत्त शिक्षक माध्यमिक शिक्षा विभाग के और 19 अन्य विभागों के हैं। जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन ने बताया कि संबंधित विभागों को अधिक से अधिक सरकारी धन की रिकवरी के निर्देश दिए गए हैं। अब तक 11 लोगों से 46 लाख 52 हजार 603 रुपये की रिकवरी हुई है। इसमें मोहनलाल ने तीन लाख, ब्रजनंदन ने एक लाख, जीवनलाल ने 10 लाख 30 हजार 560, लल्लू प्रसाद कुशवाहा ने चार लाख 30 हजार 200, कैलाशनाथ पांडेय ने तीन लाख 68 हजार 900, कामता प्रसाद दीक्षित ने 14 लाख 38 हजार 60, महिपाल यादव ने एक लाख, अवधेश कुमार ने तीन लाख 49 हजार 56, जयश्री ने तीन लाख 65 हजार 148 और घनश्यामदत्त मिश्रा ने एक लाख 70 हजार 679 रुपये जमा किए हैं।


    पैसा जमा करने वालों को अदालत में मिल सकती है सहानुभूति


    पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मुकदमा सभी आरोपितों के खिलाफ चलेगा, लेकिन धनराशि जमा करने वालों को अदालत में सहानुभूति मिल सकती है। एसआइटी जांच कर रही है। अब तक 12 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है, किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। यदि गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती है तो गबन से संबंधित अभिलेखों को सील करना पड़ेगा, जिससे एडीएम न्यायिक व एडी पेंशन की जांच प्रभावित हो सकती है। पुलिस फिलहाल शासन की जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रही है।


    सभी पेंशनरों से लिए जा रहे जीवित प्रमाण पत्र


    वरिष्ठ कोषाधिकारी ने बताया कि फिलहाल जांच वर्ष 2018 से आगे की अवधि तक सीमित है, लेकिन यह घोटाला इससे पहले का भी हो सकता है। इसके लिए सभी पेंशनरों से जीवित प्रमाण पत्र मांगे जाने की विज्ञप्ति जारी की गई है।

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