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    UP News: निदेशालय से फर्जी सत्यापन आने पर फर्रुखाबाद में हुई थी 'अर्पित' की नियुक्ति

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:45 AM (IST)

    फर्रुखाबाद में अर्पित कुमार के नाम से नौकरी कर रहे एक जालसाज के अभिलेख फर्जी पाए गए हैं। तत्कालीन सीएमओ ने निदेशालय की रिपोर्ट के बाद नियुक्ति की थी जिसमें विभागीय लापरवाही भी शामिल है। अब जालसाज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पर विचार चल रहा है जबकि आरोपी अजीत दिवाकर फरार है और उसकी तलाश जारी है।

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    निदेशालय से फर्जी सत्यापन आने के बाद की गई थी अजीत की नियुक्ति

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। अर्पित के नाम से एक्स-रे टेक्नीशियन की नौकरी करता चला आ रहा जालसाज के समस्त अभिलेख भी जांच में फर्जी पाए गए हैं। निदेशालय से सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद ही तत्कालीन सीएमओ ने जालसाज को योगदान कराया था। इसमें विभागीय अधिकारियों ने भी लापरवाही बरती। निदेशालय से जो आदेश आया था, उसी आदेश की कापी के पीछे उसकी तैनाती शमसाबाद सीएचसी पर कर दी गई थी। जालसाज के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के लिए मंथन चल रहा है।

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    जनपद एटा कोतवाली अलीगंज के गांव अगौनापुर निवासी अजीत दिवाकर ने जनपद आगरा थाना शाहगंज के सी 22 प्रताप नगर निवासी एक्स-रे टेक्नीशियन अर्पित कुमार के अभिलेखों से दलाल के माध्यम से नौकरी पा ली थी। उसके अभिलेखों में अर्पित का नाम अंकित था, जब कि फोटो अजीत दिवाकर की लगी थी।

    अर्पित कुमार के नाम से अजीत की नियुक्ति 25 मई 2016 को हुई थी। जब निदेशालय से सत्यापन रिपोर्ट आई तब तत्कालीन मुख्य चिकिसाधिकारी राकेश कुमार ने उससे योगदान कराया था। 27 जुलाई 2016 को जालसाज की तैनाती शमसाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की गई थी। अब अजीत के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की कार्रवाई पर मंथन चल रहा है।

    मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अवनींद्र कुमार ने बताया कि जब जालसाज ने विभाग में योगदान किया था, उस समय सीएमओ डा. राकेश कुमार थे। निदेशालय से भेजी गई जालसाज की सत्यापन रिपोर्ट मिल गई है। उस रिपोर्ट को निदेशालय भेज दी गई है।

    उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में गड़बड़ी निदेशालय स्तर से हुई है। अभी एफआइआर के संबंध में निर्देश नहीं मिले हैं। जहां तक सामूहिक रूप से लखनऊ में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। अगर उन्हें निर्देश मिलेंगे तो वह स्थानीय स्तर पर मुकदमा दर्ज कराएंगे।

    अभी तक नहीं तलाशा जा सका अजीत दिवाकर

    अर्पित सिंह के नाम से एक्स-रे टेक्नीशियन की नौकरी करने वाला अजीत दिवाकर को प्रशासन अभी तक तलाश नहीं कर सकता है। मानव संपदा पोर्टल के जरिए राजफाश होने के बाद से वह फरार चल रहा है। हालांकि, अजीत दिवाकर के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है।