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    फिरोजाबाद का दिहुली कांड: 43 साल पहले हुए नरसंहार में आईं थी इंदिरा गांधी, मुखबिरी के शक में हुईं 24 हत्याएं

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 09:27 AM (IST)

    फिरोजाबाद के दिहुली गांव में 43 साल पहले राधे-संतोष गैंग ने मुखबिरी के शक में खूनी खेल खेला था। इस घटना के बाद इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने गांव का दौरा किया था। लूट के माल के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था जिसके बाद गैंग ने गांव पर हमला किया। क्षत्रिय महासभा अब रामसेवक और कप्तान सिंह को बरी कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

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    18 मार्च को मैनपुरी कोर्ट के बाहर पुलिस के साथ खड़े दिहुली कांड के आरोपित, जिन्हें सजा सुनाई गई थी।

    जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। दिहुली गांव की जाटव बस्ती में राधे-संतोष गैंग ने तीन घंटे तक जो खूनी खेल खेला उसे पीड़ित परिवार अभी तक भुला नहीं पाए हैं। गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा गांव थर्रा गया था। नरसंहार के तीन दिन बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मुख्यमंत्री वीपी सिंह भी गांव आए थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी पदयात्रा की थी।

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    43 वर्ष पहले हुए इस सामूहिक हत्याकांड के समय दिहुली गांव मैनपुरी जिले में आता था। ग्रामीणों के अनुसार इंदिरा गांधी हेलीकॉप्टर से आईं थी। उनके साथ ज्ञानीजैल सिंह, प्रदेश के राज्यपाल भी थे। बाबू जगजीवन राम और अटल बिहारी ने गांव में पदयात्रा की थी।

    तीन आरोपितों की सजा आजीवन कारावास में बदली

    43 वर्ष बाद मैनपुरी कोर्ट ने जिन तीन आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उनमें से एक को बरी करने के साथ ही बाकी दो की सजा आजीवन कारावास में बदल दी है। इस नरसंहार में एससी के 24 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

    गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा गया था गांव, अटल बिहारी भी आए थे

    प्रधानमंत्री ने पीड़ितों के आंसू पोछे तथा कई घोषणाएं की थी। ताकि पीड़ित गांव से पलायन न करें। 12 वर्ष तक गांव में पीएसी तैनात रही। गांव के प्राथमिक स्कूल के एक कमरे में तत्काल पुलिस चौकी स्थापित की गई, जो एक वर्ष पहले तक वहीं संचालित हुई। अब नया भवन बन गया है।

    लूट के माल के बंटवारे का विवाद बना वजह

    ग्रामीण इस वारदात की वजह लूट के माल के बंटवारे में गैंग के दो फाड़ होने और कुंवरपाल की हत्या को मानते हैं। ग्रामीणों के अनुसार लूट के माल के बंटवारे को लेकर राधे-संतोष और एससी कुंवरपाल में विवाद हुआ। इसके बाद कुंवरपाल की हत्या कर दी गई।

    राधे-संतोष का मानना था कि कुंवरपाल के चचेरे भाई कुंवर प्रसाद, नगला हरी सिंह और जसराना के थान सिंह ने मई 1980 में पुलिस को उनके दिहुली में छिपे होने की मुखबिरी की थी। जिससे पुलिस ने दो सदस्यों को गिरफ्तार कर बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए थे। इसके बाद गिरोह नजर जाटव बस्ती पर टेढ़ी हो गई।

    रामसेवक और कप्तान सिंह को बरी कराने सुप्रीम कोर्ट जाएगी क्षत्रिय महासभा

    अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के ब्रज प्रदेश अध्यक्ष दलवीर सिंह तोमर का कहना है कि रामसेवक और कप्तान सिंह को बरी कराने के लिए महासभा सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने बताया कि रामपाल पर केवल बदमाशों को खाना खिलाने का आरोप था, लेकिन उन्हें सजा हत्या के मामले की दी गई। मुकदमे में शामिल एक गवाह हिस्ट्रीशीटर और छविराम गैंग का सक्रिय सदस्य था।

    इस नरसंहार में छविराम की गैंग का हाथ था। छविराम और अनार सिंह बाद में मुठभेड़ में मारे गए। मंगलवार को पीड़ित पक्ष के लोग हाईकोर्ट के निर्णय पर चर्चा करते दिखे। वहीं रामपाल की बेटी राधा ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय से उसे बड़ी राहत मिली है। पापा का कोई दोषी नहीं था। फिर भी वे कई वर्ष जेल में रहे।