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    घायलों को खून देकर लोगों ने निभाया था फर्ज, 1996 में मोदीनगर बस स्टैंड पर हुआ था धमाका; 18 लोगों की गई थी जान

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 09:45 AM (IST)

    1996 में मोदीनगर बस स्टैंड पर हुए धमाके में 18 लोगों की जान गई। इस त्रासदी के बाद, स्थानीय लोगों ने घायलों को रक्तदान करके मानवता का परिचय दिया। उन्होंने पीड़ितों की मदद के लिए तत्पर रहकर फर्ज निभाया। अस्पताल में घायलों की मदद के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो मानवता की मिसाल बनी।

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    इन्हीं लोगों ने घायलों को खून दिया था। फाइल फोटो।

    विकास वर्मा, मोदीनगर। 29 साल पहले 1996 में बसस्टैंड पर बस में हुए धमाके की गूंज आज तक मोदीनगर के लोगों में कानों में गूंजती है। किस तरह पलभर में 18 लोग काल के गात में समा गए। चीख-पुकार का माहौल आज भी लोगों को ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो। मोदीनगर के कई लोग घटना के वक्त मौजूद थे।

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    उन्होंने धमाके के बाद हौसला नहीं खोया, बल्कि घायलों को जीवनदान देने का काम किया। बस से निकालकर घायलों को मोदी आंखों के अस्पताल में भर्ती कराया। करीब 30 यूनिक रक्त देकर लोगों की जान बचाई। इस हादसे में मोदीनगर का कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ फिर भी उस धमाके की धुंधली तस्वीरे आज भी लोगों के जेहन में हैं।

    मंगलवार को हाईकोर्ट ने इसी धमाके में पुलिस द्वारा बनाए गए आरोपित इलियास को बरी कर दिया। मंगलवार को पूरे दिन शहर में इसकी चर्चा रही। मोदीनगर की गुरूनानकपुरा कालोनी के राजकुमार खुराना बताते हैं कि वे 1996 में वे दोपहर करीब तीन बजे अपने दोस्त भीमसैन के पास जा रहे थे।

    बस स्टैंड पर पहुंचते ही तेज धमाका हुआ, देख तो बस में आग लगी थी। बस के परखच्चे उड़े थे। धुआं फैला था। चीख-पुकार मची थी। वे अपने साथी भीम सैन, दिवाकर चौधरी, हरेंद्र भूटानी के साथ दौड़े। बस में पहुंचे तो लोगों के शव पड़े थे। कुछ लोग खून से लथपथ हालत में थे। एक व्यक्ति का सिर बस के बोनेट पर पड़ा था।

    उन्होंने एक के बाद एक कई रिक्शा रूकवाई। कुछ ही देर में आसपास की दुकानों से दुकानदार निकल आए। लोगों ने रिक्शा की मदद से घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में अधिकांश घायलों की स्थिति बेहद खराब थी। जान बचाने के लिए उन्हें खून की सख्त जरूरत थी। कुछ ही देर में अस्पताल में रक्तदान शिविर लगा दिया गया। सूचना शहर में फैली तो लोग खून देने के लिए अस्पताल पहुंच गए। भीमसैन ने बताया कि करीब तीस यूनिट लोगों ने रक्तदान किया। यदि समय रहते लोग घायलों को अस्पताल ना लेकर जाते तो शायद उनकी भी जान ना बचती।

    टिफिन बम का हुआ था इस्तेमाल

    जानकार बताते हैं कि धमाके में टिफिन बम का इस्तेमाल किया गया था। यह बम बस के बाेनट में रखा था, जिसे मुरादनगर में विस्फोट की तैयारी थी। लेकिन वहां भीड़ नहीं मिलने के चलते मोदीनगर में विस्फोट किया गया।