Delhi Blast Case: जैश से PFI कनेक्शन की जांच में जुटी खुफिया एजेंसियां, वेस्ट यूपी से NCR तक स्लीपर सेल एक्टिव
दिल्ली ब्लास्ट मामले में खुफिया एजेंसियां जैश-ए-मोहम्मद और पीएफआई के संबंधों की जांच कर रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एनसीआर तक स्लीपर सेल की सक्रियता की आशंका है। एजेंसियां इन स्लीपर सेल की भूमिका और जैश को पीएफआई से मिली मदद की पड़ताल कर रही हैं। जांच का दायरा बढ़ाकर संदिग्धों से पूछताछ जारी है, ताकि स्लीपर सेल के बारे में जानकारी मिल सके।

आशुतोष गुप्ता, साहिबाबाद। देशभर में अचानक से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सक्रिय होने से खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। खुफिया विभाग ने अंदेशा जताया है कि इस सक्रियता के पीछे प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (पापुलर फ्रंट आफ इंडिया) का सहयोग हो सकता है। इसको लेकर पीएफआई से जैश के कनेक्शन की जांच शुरू कर दी गई है।
सूत्र बता रहे हैं कि प्रतिबंध लगने के बाद से पीएफआई के सदस्य औपचारिक रूप से सक्रिय नहीं हैं लेकिन स्लीपर सेल की तर्ज पर काम कर रहे हैं। दिल्ली में हुई आतंकी घटना में भी पीएफआई की भूमिका की जांच चल रही है। पीएफआई का स्लीपर माड्यूल पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत एनसीआर में सक्रिय बताया गया है। पूर्व में भी पीएफआई के सदस्य आतंक के साथ देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रह चुके हैं।
पीएफआई बैन हुआ तो अंडरग्राउंड हो गए इसके सदस्य
अब खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ अन्य एजेंसियां भी इन लोगों की निगरानी में जुट गई हैं। हरियाणा से लेकर दिल्ली और पूरे देश भर में आतंकियों के जो कनेक्शन सामने आए हैं, उससे तय माना जा रहा है कि आतंकियों ने स्लीपर सेल की तरह काम किया। जब पीएफआई को बैन किया गया तो इसके सदस्य अंडरग्राउंड हो गए।
ये लोगों का मुख्य टारगेट तो केरल था लेकिन बाद में संगठन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तेजी से सक्रिय हो गया। यहां पीएफआई ने अपना नेटवर्क स्थापित किया और सदस्य मतांतरण, लव जिहाद, युवाओं के ब्रेन वाश समेत अन्य देश विरोधी गतिविधियां संचालित करने लगे। पश्चिमी यूपी का पीएफआई का प्रभारी परवेज इस पूरे नेटवर्क की कमान संभाले हुआ था।
अब पीएफआई के जैश-ए-मोहम्मद से कनेक्शन का अंदेशा जताते हुए एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। पूर्व में पीएफआई के सदस्यों का तैयार किया गया डोजियर खंगाला जा रहा है और इनकी सक्रियता की निगरानी की जा रही है। वहीं खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि संगठन के बैन होने के बाद गतिविधियां संचालित करने के लिए केरल व दक्षिण भारत के कई जिलों से फंडिंग की जा रही है। छोटे मुस्लिम संगठन भी पीएफआई को फंडिंग कर रहे हैं।
पीएम मोदी व सीएम योगी के खिलाफ युवाओं को भड़का रहा पीएफआई
जांच में सामने आया है कि पीएफआई मुस्लिम युवाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़का रहा है। इससे वह देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
पूर्व में पकड़े गए पीएफआई के सदस्यों से पूछताछ में एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि आरएसएस, पीएम मोदी और सीएम योगी के रहते हुए पीएफआई के षडयंत्र सफल नहीं हो सकते, इसलिए वह इन्हें बदनाम करने के लिए आतंकियों का साथ भी दे सकते हैं। इसके चलते जैश-ए-मोहम्मद की सक्रियता के पीछे भी पीएफआई के कनेक्शन की प्रबल संभावना है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कलछीना बना पीएफआई का केंद्र
मोदीनगर में कलछीना गांव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पीएफआई का केंद्र बन चुका है। पीएफआई का पश्चिम का प्रभारी परवेज भी यहां रहता है और गांव में पीएफआई के 50 से अधिक सक्रिय सदस्य भी हैं। कई सुरक्षा एजेंसियां पूर्व में कलछीना गांव में छापामारी भी कर चुकी हैं। टीमों को हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा और गांव के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था। पूर्व में परवेज को गिरफ्तार किया गया था लेकिन वह एक बार फिर से अंडरग्राउंड बताया गया है।
सीए व एनआरसी आंदोलन में भी रही पीएफआई की अहम भूमिका
वर्ष 2019 में सीए व एनआरसी के विरोध में हुए आंदोलनों में पीएफआई की अहम भूमिका रही थी। प्रदेश भर में कई स्थानों पर हुए बवाल में परवेज का नाम सामने आया था। मुरादनगर में हुए बवाल में परवेज के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की गई थी। उस दौरान जिन लोगों के नाम प्रकाश में आए थे, उनकी जांच भी एजेंसियों ने तेज कर दी है। उस समय कई लोगों के खिलाफ एफआइआर हुई थी और बड़ी संख्या में लोगों को मुचलकों में पाबंद किया गया था। इन सभी की सूची अब एजेंसियों ने खंगाली है।
पीएफआई के नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं आतंकी सूत्र बता रहे हैं कि देश भर में पीएफआई का मजबूत नेटवर्क है। संगठन के सदस्य अंडरग्राउंड होकर काम कर रहे हैं। आतंकी अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए पीएफआई के नेटवर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पीएफआई भी आतंकी गतिविधियों में उनका सहयोग कर सकती है। इसको लेकर एजेंसियों की जांच चल रही है।

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