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    28 हजार से अधिक फर्म की रैंकी के बाद छह बोगस फर्म पर एफआईआर दर्ज, अब दफ्तरों में जाकर करेंगे पड़ताल

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 11:17 PM (IST)

    28 हजार से ज्यादा फर्मों की जांच के बाद छह फर्जी फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अधिकारियों ने धोखाधड़ी का पता चलने पर यह कार्रवाई की। अब इन फर्मों के दफ्तरों में जाकर दस्तावेजों की जांच की जाएगी। यह कार्रवाई धोखाधड़ी करने वाली फर्मों के लिए एक सख्त संदेश है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। केंद्रीय और राज्यकर विभाग ने जिले में बोगस फर्मों द्वारा आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) की धोखाधड़ी को रोकने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। लंबे समय से सक्रिय कुछ फर्जी फर्म करोड़ों रुपये का आइटीसी क्लेम कर सरकार को चूना लगा रही हैं। संयुक्त अभियान के तहत करीब 28 हजार से अधिक फर्म की रैंकी के बाद छह बोगस फर्म मिली हैं। भौतिक सत्यापन में न फर्म मिली न उनके कार्यालय ही मौजूद मिले।

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    शासन से सख्ती के बाद केंद्रीय और राज्यकर विभागीय टीमों ने फाइलों से बाहर निकलकर अस्तित्वहीन फर्म की जमीनी पड़ताल तेज कर दी है। संयुक्त अभियान चलाते हुए सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एवं सेवा कर) की टीम ने करीब साढ़े नौ हजार से अधिक फर्म की रैंकी की।

    इनमें एसजीएसटी की 20 हजार से अधिक और सीजीएसटी ने साढ़े सात हजार से अधिक फर्म की रैंकी की है। इनमें सीजीएसटी की टीम को छह बोगस फर्म मिली हैं, जिनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई है। अधिकारियों के अनुसार इन फर्मों का जीएसटी नंबर पर दर्ज पते पर न तो फर्म का नामोनिशान और संचालकों का कोई सुराग नहीं मिल सका।

    संदिग्ध पंजीकरण की एक विस्तृत सूची तैयार की जा रही है। इसके लिए शासन से सीधे आदेश हैं कि मौके पर पहुंचकर सत्यापन करें तथा फर्जी पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करें। विभाग की ओर से कागजी सत्यापन की बजाय भौतिक सत्यापन को प्राथमिकता दी जाने लगी है। जो फर्में अस्तित्व में नहीं हैं या फर्जी लेनदेन कर रही हैं, उनके खिलाफ सख़्त कार्रवाई की तैयारी है।

    शासन ने बकायेदारों से वसूली बढ़ाने पर भी दिया जोर

    विभागीय स्तर पर बकायेदार व्यापारियों पर भी कुर्की और वसूली की कार्यवाही तेज कर दी है। विभाग बकाया करदाताओं का डेटा दोबारा खंगाल रहा है। ऐसे मामलों में भुगतान टल रहा है, जिनमें नोटिस के साथ-साथ एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। गाजियाबाद जोन एक के मुताबिक बकायेदारों से आठ नवंबर तक 15 करोड़ 62 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। जोन में प्रतिमाह 150 से 200 वसूली और कुर्की की कार्यवाही जारी है।

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