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    गाजियाबाद में हरनंदी नदी होगा प्रदूषण मुक्त, 630 करोड़ रुपये की लागत से लाखों लोगों को होगा फायदा

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 11:49 PM (IST)

    गाजियाबाद नगर निगम ने हरनंदी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जल निगम को एसटीपी निर्माण हेतु 40,000 वर्ग मीटर भूमि दी है। नमामि गंगे परियोजना के तहत 140 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बनेगा, जिससे सात नालों का पानी शोधित होगा। 630 करोड़ रुपये की इस परियोजना से लाखों लोगों को फायदा होगा और छठ पूजा पर स्वच्छ नदी मिल सकेगी।

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    गाजियाबाद नगर निगम ने हरनंदी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जल निगम को एसटीपी निर्माण हेतु 40,000 वर्ग मीटर भूमि दी है।

    हसीन शाह, गाजियाबाद। नगर निगम ने 140 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी के निर्माण के लिए जल निगम को 40,000 वर्ग फुट जमीन सौंप दी है। यह जमीन न्यू लिंक रोड फ्लाईओवर के पास चिह्नित की गई है। नमामि गंगे परियोजना के तहत, नगर निगम क्षेत्र के सात नालों के प्रदूषित पानी को नदी में शोधित करने के लिए एसटीपी का निर्माण किया जाएगा।

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    डीपीआर तैयार करने के बाद से जल निगम जमीन का इंतजार कर रहा था। इससे शहर के उन लाखों लोगों को फायदा होगा जो प्रदूषित नालों से जूझ रहे हैं। छठ पर्व के दौरान लाखों लोग स्वच्छ नदी में पूजा कर सकेंगे।

    मार्च 2025 में, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने छिजारसी कट, हिंडन पुश्ता मार्ग और करहेड़ा के पास नदी से पानी के नमूने एकत्र करके परीक्षण किए। परीक्षणों में नदी में ऑक्सीजन के स्तर में कमी पाई गई। नदी की सफाई के बड़े-बड़े दावे किए गए। पिछले सर्वेक्षणों में गाजियाबाद की हरनंदी नदी को देश की सबसे प्रदूषित नदियों की सूची में शामिल किया जा चुका है, जिसमें जलीय जीवन के जीवित रहने की बहुत कम संभावना है।

    विजय नगर, साईं उपवन, साहिबाबाद और नंदग्राम सहित सात नाले नदी में गिरते हैं। ये नाले नदी को दूषित कर रहे हैं। पानी से बदबू आ रही है। हरनंदी नदी की सफाई का मुद्दा हर साल छठ पूजा के दौरान उठाया जाता है। छठ पूजा के बाद नदी की सफाई की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है।

    नाले के पानी को शुद्ध करने के लिए जल निगम ने हरनंदी नदी का सर्वेक्षण कर डीपीआर तैयार कर ली है। 140 एमएलडी एसटीपी और नालों की टैपिंग पर 380 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कंपनी को 15 साल तक रखरखाव का काम सौंपा जाएगा। रखरखाव और निर्माण पर कुल 630 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जमीन अधिग्रहण के साथ ही काम में तेजी आने की उम्मीद है।

    40,000 वर्ग मीटर ज़मीन चिह्नित
    630 करोड़ रुपये खर्च होंगे
    140 एमएलडी एसटीपी बनेगा

    जमीन की कमी से काम रुका

    2010 में हाईकोर्ट ने नदी में सीवेज गिरने से रोकने के लिए एसटीपी बनाने का आदेश दिया था। निगम ने नालों को टैप करने की भी योजना बनाई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब डीपीआर तैयार करने के बाद, जल निगम ने एसटीपी बनाने के लिए नगर निगम से 40,000 वर्ग मीटर ज़मीन मांगी है। निगम ज़मीन की तलाश में था। ज़मीन की कमी के कारण यह काम रुका हुआ था। अब ज़मीन मिलने के बाद काम में तेज़ी आने की उम्मीद है।

    बायोडायवर्सिटी पार्क के पास 40,000 वर्ग मीटर ज़मीन चिह्नित कर जल निगम को दे दी गई है। जल निगम इस ज़मीन पर शहर के सीवेज के पानी को ट्रीट करने के लिए 140 एमएलडी एसटीपी बनाएगा।

    - केपी आनंद, महाप्रबंधक, जलकल