गाजियाबाद की दवा मंडी में कफ सीरप तस्करी का खुलासा, तीन गुने मुनाफे के लालच में बांग्लादेश भेजा जा रहा था माल
गाजियाबाद की दवा मंडी में कफ सीरप की तस्करी का खुलासा हुआ है। तस्कर तीन गुना मुनाफा कमाने के लालच में माल को बांग्लादेश भेज रहे थे। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और तस्करों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दवा की सबसे बड़ी थोक मंडी नई बस्ती में पुलिस और औषधि विभाग की कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस की गिरफ्त में आया सौरव त्यागी भी नई बस्ती में बीते करीब 30 वर्षों से दवा कारोबार से जुड़ा हुआ है। कफ सीरप की तस्करी में तीन गुना मुनाफे के चक्कर में लोग इस काम में जुट जाते हैं। बांग्लादेश में इसका प्रयोग सबसे ज्यादा होता है। 100 एमएल के कफ सीरप की शीशी तस्करी के बाद 300 रुपये की हो जाती है।
फर्मों के पंजीकरण के तिथियों की होगी जांच
सोमवार और मंगलवार को पुलिस द्वारा कफ सीरप तस्करी के गिरोह का पर्दाफाश किए जाने के बाद से नई बस्ती स्थित थोक दवा मंडी में हड़कंप मचा हुआ है। गाजियाबाद में करीब पांच हजार ड्रग लाइसेंस हैं। जिनके जरिए थोक और फुटकर दवा कारोबार होता है। पुलिस का दावा है कि सौरव त्यागी ने फर्जी नाम पते से दवाओं की खरीद-बिक्री करने के लिए फर्म पंजीकृत कराईं। पुलिस जांच कर रही है कि इन फर्मों का पंजीकरण कब कराया गया है।
तस्करों पर सख्त कार्रवाई की मांग
औषधि विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत भी फर्जी नाम-पते पर जारी हुए ड्रग लाइसेंस का कारण बनती है। पुलिस इस बिंदु पर भी जांच कर रही है। सौरव त्यागी दवा कारोबार से जुड़े एक व्यापारिक संगठन से भी जुड़ा हुआ था। संगठन स्तर से शीघ्र उसके निष्कासन की कार्रवाई होने की उम्मीद है। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन यूपी के प्रदेश महासचिव सुरेश गुप्ता का कहना है कि सरकार स्तर से वह पूर्व में भी कफ सीरप तस्करी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। इससे नौजवानों का भविष्य खराब होता है।
दो तरह से बांग्लादेश भेजा जाता है कफ सीरप
दवा कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि कफ सीरप का प्रयोग नशे के लिए किया जाता है। बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों में पहले तस्करी कर कफ सीरप पहुंचाया जाता है। वहां कफ सीरप की शीशी खाली करके उन्हें ड्रमों में भरकर कोडीन को अलग कर कोकीन बनाया जाता है। इसे भी बाजार में बेचा जाता है। जबकि कई बार माल सीधे तस्करी कर बांग्लादेश भेजा जाता है।

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