गाजियाबाद में उद्योगों के लिए नहीं जमीन, फ्लैटेड फैक्ट्री का प्रस्ताव भी अटका; उद्यमियों में निराशा
गाजियाबाद में औद्योगिक इकाइयों के लिए फ्लैटनुमा फैक्ट्रियों का निर्माण अधर में लटका है। लघु उद्योग निगम ने पांच साल पहले 50 करोड़ की लागत से 25 फ्लैटेड फैक्ट्रियां बनाने की योजना बनाई थी लेकिन अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ है। उद्यमियों को जमीन की कमी के कारण परेशानी हो रही है।

शाहनवाज अली, गाजियाबाद। औद्योगिक क्षेत्रों में पीपीपी मॉडल पर फ्लैटेड फैक्ट्री को लेकर शासन की ओर से योजना तैयार की गई थी। ताकि जमीन की कमी झेल रही उद्योग नगरी गाजियाबाद में कम जगह पर अधिक औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो सके।
लघु उद्योग निगम बोर्ड की ओर से इस योजना को पांच वर्ष पूर्व हरी झंडी दी थी, जिसमें करीब 50 करोड़ की लागत से 25 फ्लैटनुमा फैक्ट्रियां स्थापित होनी थी, लेकिन यह योजना अधर में लटकी है।
जिले में नई औद्योगिक इकाइयां लगाने के लिए उद्यमी पिछले करीब कई वर्ष से जमीन की मांग कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन भूमि उपलब्ध नहीं करा सका है। प्रशासन की ओर से उद्यमियों को निजी भूमि पर उद्योग लगाने के लिए खसरा नंबर और संबंधित किसानों के नाम पते उपलब्ध कराए गए, लेकिन उम्मीद से कई गुना महंगी होने की वजह से उद्यमी जमीन नहीं खरीद सके।
कम जगह पर अधिक इकाइयां लगाने के लिए लघु उद्योग निगम ने फ्लैटेड फैक्ट्री बनाने का रास्ता साफ करते हुए पांच वर्ष पूर्व हरी झंडी दी थी। तीन एकड़ में फ्लैटेड फैक्ट्री के निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर निदेशालय को भेजा गया था। इको-फ्रेंडली भवन के साथ ही प्रशासनिक भवन सोलर ऊर्जा पर निर्माण किया जाना था, जो अभी अधर में है।
फ्लैटेड फैक्ट्री
विदेशों में फ्लैटेड फैक्ट्री चलन में हैं। इसके लिए बहुमंजिला फ्लैटनुमा इमारतों का निर्माण किया जाता है। हर फ्लोर पर काम के हिसाब से स्ट्रक्चर तैयार होता है, जिनमें सिलाई, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट, हैंडीक्राफ्ट, फैशन डिजाइनिंग, आइटी सेक्टर से जुड़े केपीओ, बीपीओ, साफ्टवेयर डवलपमेंट, डिजाइनिंग, असेंबलिंग की छोटी इकाइयां होती हैं। इनमें काम के मुताबिक आवश्यक संसाधन मौजूद होते हैं।
स्टार्टअप के लिए संजीवनी
स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कम जगह और कम लागत में फ्लैटेड फैक्ट्रियों का चलन है। औद्योगिक क्षेत्रों में जगह की कमी और सरकार के स्टार्ट अप शुरू करने पर जोर दे रही है। फ्लैटेड फैक्ट्रियों में बिजली, पानी, पीएनजी के कनेक्शन जैसी सुविधाएं दी जाती हैं।
मेरठ रोड पर तीन एकड़ भूमि पर होना था निर्माण
मेरठ रोड पर तीन एकड़ विवादित भूमि पर उद्योग विभाग के पक्ष में फैसला आया। इस पर औद्योगिक इकाइयों के लिए फ्लैटेड फैक्ट्रियां विकसित करने का प्रस्ताव वर्ष 2020 में निदेशालय को भेजा गया है। इसके बाद जिला उद्योग केंद्र की ओर से भूमि का निरीक्षण भी किया गया, लेकिन मामला अभी अटका हुआ है।
फ्लैटेड फैक्ट्री को लेकर प्रस्ताव निदेशालय को भेजा गया था, लेकिन अभी इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है, लेकिन निवेशकों के लिए नए उद्योग प्रोजेक्ट को लेकर भूमि तलाशने में शासन की ओर से नियुक्त उद्यम मित्र उद्यमियों की सहायता कर रहे हैं।
-श्रीनाथ पासवान, उपायुक्त उद्योग
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