किडनी-लिवर दान कर अपनों को नया जीवन दे रहे लोग, गाजियाबाद में 6 साल में 756 लोगों ने किए ऑर्गन डोनेट
गाजियाबाद में पिछले छह वर्षों में 756 लोगों द्वारा किए गए अंगदानों की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। इनमें 389 किडनी और 367 लिवर ट्रांसप्लांट शामिल हैं जिनमें ज्यादातर दान परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए हैं। दधीचि देहदान समिति भी देहदान के लिए जागरूकता बढ़ा रही है। सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सहायता प्रदान कर रही है जिससे अंगदान एक जीवनदायी पहल बन गई है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। किसी की जान बचाने के लिए अंगदान भी महादान की श्रेणी में आता है। स्वास्थ्य विभाग की तकनीकी अड़चनों को दूर करते हुए किडनी और लिवर दान करके लोग अपनों को नया जीवन दे रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद में पिछले छह साल में 756 लोगों ने अंगदान किया है। इनमें दान के बाद 389 किडनी और 367 लोगों का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। अधिकांश मामलों में मां ने बेटा, बहन ने भाई, बाप ने बेटा,मां ने बेटी और बेटा-बेटी ने मां-बाप को किडनी और लिवर दान किया है।
ट्रांसप्लांट का खर्च तो अधिक होता ही है लेकिन इसके नियम भी कड़े हैं। सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन के अनुसार नजदीकी रिश्तेदार द्वारा ही टिश्यू मैच करने पर अंग दान देना संभव है। चिकित्सक इसी के आधार पर प्रत्यारोपण की सफलता का आकलन करते हैं।
दधीचि देहदान समिति भी सक्रिय
दधीचि देहदान समिति के जिला संयोजक वीके अग्रवाल के अनुसार हर साल लोग देहदान का संकल्प पत्र भरकर दे रहे हैं। पिछले वर्ष 152 लोगों ने संकल्प पत्र भरकर दिया और चार लोगों ने देहदान किया। इस वर्ष में अब तक आठ लोगों ने देहदान किया है और 155 लोगों ने संकल्प पत्र भरकर दिया है। देहदान के बाद बाडी को दिल्ली के अस्पतालों को सौंप दिया जाता है।
वर्ष किडनी ट्रांसप्लांट लिवर ट्रांसप्लांट
2020 43 22
2021 65 62
2022 65 71
2023 80 85
2024 90 82
2025 अब तक 56 45
नई व्यवस्था के अनुसार अंग प्रत्यारोपण को गठित समिति में एसीएमओ स्तर का अधिकारी शामिल है। समिति की बैठक में अनुमति संबंधित अस्पताल द्वारा दी जाती है। इसकी रिपोर्ट विभाग को जरूर भेजी जाती है। शासन स्तर से आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को अलग से सहयोग राशि दी जा रही है। आयुष्मान कार्ड के आधार पर कई प्राइवेट हास्पिटल अंग प्रत्यारोपण कर रहे हैं। किडनी, लिवर के साथ कार्निया का दान भी लोग कर रहे हैं।
- डॉ. अखिलेश मोहन, सीएमओ
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