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    SNCU में क्यों हो रही शिशुओं की मौत? अब पता लगाएगी समिति; तीन महीने में 15 नवजातों की जा चुकी जान

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 05:00 AM (IST)

    गाजियाबाद के महिला अस्पताल में नवजातों की मौत का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। अप्रैल से सितंबर तक एसएनसीयू में 22 नवजातों की मौत हुई है जिनमें जुलाई में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। जांच के लिए एक समिति गठित की गई है जो मौतों के कारणों का पता लगाएगी और एसएनसीयू में सुविधाओं की कमियों का भी मूल्यांकन करेगी।

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    एसएनसीयू में तीन महीने में 15 नवजात की मौत, जांच को समिति गठित।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिला महिला अस्पताल में सिक एंड न्यूबोर्न केयर यूनिट (SNCU) में भर्ती होने वाले नवजातों की मौत की बढ़ती संख्या देखकर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया है।

    मौत के कारणों की जांच के लिए समिति गठित की गई। अप्रैल से सितंबर 2025 तक एसएनसीयू में 22 नवजात की मौत हुई है। पिछले तीन महीने में हुई 15 नवजात की मौत भी इसमे शामिल हैं।

    जुलाई में सबसे अधिक दस नवजात की मौत हुई। इनमें अधिकांश नवजात की मौत जन्म के तुरंत बाद न रोने, सांस लेने में परेशानी और वजन कम होने के कारण हुई।

    अस्पताल में रोज 20 से 30 बच्चों का जन्म होता है। जिन नवजातों की मौत हुई हैं,  उनमें से ज्यादतर को जन्म के तुरंत बाद भर्ती किया गया था।

    समान्य तौर पर एक-दो बच्चों की मौत हर महीने होती है, लेकिन तीन महीने में 15 बच्चों की मौत को अधिकारी अधिक मान रहे हैं।

    चिकित्सकों का कहना है प्रसव के बाद उन्हीं बच्चों की मौत होती है, जिनमें गर्भवती की देखभाल और खानपान में कमी रह जाती है। ऐसे में पैदा होने वाले बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की प्रबल संभावना रहती है।

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    स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. माला शर्मा का कहना है कि पैदा होने के बाद कई बार बच्चे को गंभीर बीमारी होती है, जिसका पता लगाते समय ही मौत हो जाती है। प्रीमेच्योर डिलीवरी के अलावा बाहर के वातावरण को सहन न करना भी मौत का कारण हो सकता है।

    बाल रोग विशेष डाॅ. चारू मित्रा का कहना है कि नवजात को क्रिटिकल स्थिति में रेफर किया जाता है लेकिन स्वजन लिखकर दे देते हैं कि कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी उनकी होगी।

    24 घंटे जांच की सुविधा नहीं है। एक ही वेंटिलेटर है। डिजिटल एक्स-रे की सुविधा नहीं है। कल्चर जांच, केएफटी और एलएफटी जांच की भी सुविधा नहीं है।

    20 बेड की यूनिट में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर एसएनसीयू में भर्ती प्रत्येक नवजात का बेहतर इलाज के साथ देखभाल की जाती है। नवजात स्वस्थ भी हो रहे हैं। गंभीर नवजात को बचाने का भी पूरा प्रयास किया जाता है।

    अप्रैल से सिंतबर के बीच एसएनसीयू में हुईं मौतें

    माह भर्ती रिकवरी रेट रेफरेल रेट मौत
    अप्रैल 43 81.3 18.6 3
    मई 133 79.6 10.5 2
    जून 158 87.3 9.4 2
    जुलाई 156 78.8 8.3 10
    अगस्त 151 84.7 10.5 3
    सितंबर 169 78.1 11.8 2

    एसएनसीयू में रिकवरी रेट अच्छा है।जटिल और पेचीदा केसों में ही अधिकांश नवजात की मौत हो रही है। अप्रैल से लेकर सितंबर के बीच नवजात की मौतों का आडिट कराने को समिति गठित कर दी गई है। एक-एक नवजात की मौत को पूरा विवरण इस आडिट में तैयार होगा। मौत कम करने के सुझाव के साथ एसएनसीयू में कमियों का भी बिंदुवार विवरण बनाकर भी यह समिति देगी। इसके अलावा जिला अस्पताल, सीएचसी और प्राइवेट अस्पतालों में होने वाली नवजात की मौतों की भी जांच होगी।

    - डाॅ. अखिलेश मोहन, सीएमओ

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