मोदीनगर थाने से सीकरी मंदिर तक घंटा ले जाने में लगे 25 साल, पढ़ें एक क्विंटल वजनी घंटे की चोरी की कहानी
मोदीनगर के सीकरी खुर्द स्थित महामाया देवी मंदिर से 2000 में चोरी हुआ एक क्विंटल का घंटा 25 साल बाद वापस मिला। 2020 में चोरी हुआ घंटा पुलिस ने बरामद तो कर लिया था पर कानूनी प्रक्रिया के चलते मालखाने में ही धूल फांकता रहा। ग्रामीणों के प्रयासों के बाद अब घंटा मंदिर में स्थापित किया गया है।

जागरण संवाददाता, मोदीनगर। लंबी कानूनी प्रक्रिया के चलते सीकरी खुर्द स्थित महामाया देवी सीकरी माता मंदिर से चोरी हुआ एक क्विंटल का घंटा 25 साल बाद बृहस्पतिवार को फिर से माता के दरबार तक पहुंचा। यह एक सिस्टम में लापरवाहियों और उसके सुस्त चाल से चलने की कहानी है। मंदिर को घंटा दान में तो मिला मगर चोरी और फिर सरकारी कर्मचारियों की लेटलतीफ कार्यशैली ने बहुतों को निराश कर दिया।
थाने से घंटा सुपुर्द किया गया
ग्रामीण शुरुआत से ही घंटे को थाने के मालखाने से रिलीज कराने की मशक्कत में जुटे थे। मगर घंटे का बिल, अधिकारी न होने समेत तमाम कारणाें के चलते मामला लंबित ही रहा। 25 साल तक मंदिर का घंटा थाने में मालखाने में धूूल फांकता रहा। अब बृहस्पतिवार को चोरी के मुकदमे में वादी व गांव की पूर्व प्रधान संसार देवी को थाने से घंटा सुपुर्द किया गया।
तीन आरोपितों को किया था गिरफ्तार
मोदीनगर के गांव सीकरी खुर्द में प्राचीन महामाया देवी सीकरी माता मंदिर है। यहां वर्ष 2000 में एक क्विंटल वजनी घंटा दान किया गया था। जिसे माता के मंदिर में लगाया गया था। 22 जुलाई 2020 को रात के समय बदमाशों ने मंदिर पर धावा बोला। यहां से घंटा चोरी कर लिया। पुलिस ने दो महीने बाद ही सितंबर महीने में तीन आरोपिताें को गिरफ्तार किया। जिनकी निशानदेही पर घंटा बरामद हुआ। तब से लेकर अब तक घंटा थाने के मालखाने की शोभा बढ़ा रहा था।
लोगों ने छोड़ दी थी आस
ग्रामीणों ने घंटे काे वापस मंदिर में लाने के लिए कोर्ट व थाने के चक्कर लगाए। लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी। पुलिस अधिकारियों ने बिना कोर्ट के आदेश के घंटे को देने से मना किया। कोर्ट ने घंटे के अधिकार के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं होने तक आदेश जारी नहीं किये। ऐसे में ग्रामीणों ने भी घंटा दोबारा मंदिर तक आने की आस छोड़ दी थी। खास बात है कि आरोपितों की कुछ समय बाद ही जमानत हो गई लेकिन घंटा आने में 25 साल लग गए।
मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी
मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी सरकारी तंत्र के हाथों में हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष एसडीएम होते हैं। 25 साल में कई अधिकारी बदल गए लेकिन किसी भी अधिकारी ने घंटे काे मंदिर तक लाने के लिए प्रयास नहीं किया। ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी आधिकारिक स्तर पर कोई रुचि नहीं ली गई। पहले मंदिर ग्राम पंचायत के अधीन था। लेकिन अब नगरपालिका देखरेख करती है।
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