YPS Builders के चेयरमैन को एक साल की जेल, गाजियाबाद की कोर्ट ने 12 का जुर्माना भी रखा बरकरार
गाजियाबाद में, वाईपीएस डेवलपर्स के चेयरमैन यशपाल सिंह की सजा बरकरार रखी गई है। उन्हें एक साल की जेल और 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हेमंत आहूजा ने फ्लैट बुक कराया था, पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ और चेक बाउंस हो गया। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी गई, और अब 27 नवंबर 2025 को आगे की सुनवाई होगी।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डाॅ. दिनेश चंद्र शुक्ला ने बृहस्पतिवार को रियल एस्टेट कंपनी वाईपीएस डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके चेयरमैन यशपाल सिंह की सजा के खिलाफ की गई अपील खारिज कर दी।
अदालत ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई एक वर्ष की कारावास और 12 लाख रुपये के जुर्माने की सजा को बरकरार रखा है। अभियुक्त की अनुपस्थिति के चलते उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश भी दिया है।
हेमंत आहूजा द्वारा आरोप लगाया था कि उन्होंने कंपनी के वाईपीएस नारायणिका प्रोजेक्ट में मधुबन बापूधाम गाजियाबाद में फ्लैट बुक कराया था। बदले में करीब 6.26 लाख रुपये का भुगतान किया। प्रोजेक्ट पूरा न होने पर उन्होंने अपने पैसे वापस मांगे।
कंपनी की ओर से उन्हें 6.26 लाख रुपये का पोस्ट-डेटेड चेक दिया गया। यह चेक पर्याप्त धनराशि नहीं होने के कारण तीन बार बैंक से लौटा दिया गया। हेमंत ने कंपनी और चेयरमैन यशपाल सिंह के खिलाफ कोतवाली नगर में धारा 138, अधिनियम के तहत वाद दाखिल किया।
ट्रायल कोर्ट ने 18 मार्च 2023 को यशपाल सिंह को दोषी ठहराते हुए एक वर्ष का साधारण कारावास और 12 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस राशि में से 11 लाख रुपये शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाने थे। अभियुक्त पक्ष ने इस सजा के आदेश को चुनौती देते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील की।
अपील में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने तथ्यों पर पर्याप्त विचार नहीं किया और विधिक प्रक्रिया का पालन किए बिना एकतरफा निर्णय दिया है। अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि चेक सुरक्षा के रूप में दिया गया था। यह चेक किसी वास्तविक देनदारी के बदले में नहीं दिया गया था।
न्यायाधीश डाॅ. दिनेश चंद्र शुक्ला ने कहा कि अभियुक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा और शिकायतकर्ता ने अपने दस्तावेज़ों, चेक, बैंक मीमो, नोटिस तथा मौखिक गवाही के माध्यम से सभी आवश्यक तथ्यों को साबित किया है।
अदालत ने माना कि ट्रायल कोर्ट का निर्णय न्यायोचित है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि अपील सुनवाई के दौरान अभियुक्त बार-बार अनुपस्थित रहा और अदालत द्वारा दिए गए अवसरों का दुरुपयोग किया।
न्यायालय ने अभियुक्त के गैर जमानती वारंट जारी करने के आदेश दिया है। अब सजा पर सुनवाई के लिए 27 नवंबर 2025 को सूचीबद्ध किया गया है। कोर्ट दंडादेश के पालन और अभियुक्त की उपस्थिति के संबंध में आगे की कार्रवाई करेगी।

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