गाजियाबाद में आरपीएफ जवान के लिए 16 सिपाही बने 'जीवनदाता', ट्रेन हादसे में खोया पैर
गाजियाबाद में एक आरपीएफ जवान ने ट्रेन दुर्घटना में अपना पैर खो दिया। इस मुश्किल समय में, 16 सिपाही उसके लिए जीवनदाता बनकर आए। उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए जवान को अस्पताल पहुंचाया, खून का इंतजाम किया और हर संभव मदद की। जवान का इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर है। सिपाहियों की तत्परता से उसकी जान बच गई।
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घायल सिपाही राहत अली। सौ आरपीएफ
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अलीगढ़ से ड्यूटी करने गाजियाबाद आ रहे सिपाही राहत अली का ट्रेन से पैर कट गया। साथी आरपीएफ के जवानों ने उनकी जान बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। पैर कटने पर सिपाही का इतना रक्तस्राव हो गया था कि उनकी जान बचनी मुश्किल थी। आरपीएफ के 16 जवानों ने सिपाही को खून दिया। वहीं परिवार के छह लोगों ने सिपाही को खून दिया। शनिवार को भी सिपाही को होश तो आ गया लेकिन उनकी हालत नाजुक बनी रही।
अलीगढ़ की दिलशाद कॉलोनी के 54 वर्षीय राहत अली आरपीएफ में सिपाही हैं। वह गाजियाबाद में तैनात हैं। वह ड्यूटी के लिए शुक्रवार को अलीगढ़ से आ रहे थे। उनकी ड्यूटी साहिबाबाद स्टेशन पर थी। वह ट्रेन से साहिबाबाद उतर रहे थे। तभी उनका पैर फिसल गया। उनके पैर ट्रेन की चपेट में आ गए।
उनका घुटने से ऊपर से दाहिना पैर कट गया है। जबकि बाया पैर का पंजा कुचल गया। बाएं हाथ की एक उंगली भी कट गईं है। आरपीएफ के जवानों ने बिना देरी किए उन्हें उन्हें यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में उनका खून नहीं रुक रहा था। एक तरफ खून निकल रहा था जबकि दूसरी ओर खून चढ़ रहा था।
ऐसी स्थिति खून देने वाले अधिक लोगों की जरूरत पड़ गई। डाक्टर ने कहा कि यदि खून नहीं मिला तो जान जा सकती है। ऐसे में आरपीएफ के 16 जवान अस्पताल पहुंचे। जवानों ने एक के बाद एक खून दिया। इसके बाद परिवार के लोगों ने भी खून दिया।
जिस वजह उनकी जान बच सकी। खून के निकलने की गति शनिवार को बहुत धीमी हो गई। शनिवार शाम को सिपाही को होश आ गया। डाक्टरों का कहना है कि उनकी स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। आरपीएफ थाना प्रभारी चेतन प्रकाश ने बताया कि जरूरत पड़ने वह और भी खून देंगे। सिपाही को होश आ गया है।
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