Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ाई कराएं या व्यवस्था संभाले, 21 स्कूल में शिक्षक एक-एक; शिक्षकों की कमी से नामांकन प्रभावित

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 05:30 AM (IST)

    गाजियाबाद के एक विद्यालय में एक शिक्षिका 401 छात्रों को पढ़ा रही हैं। जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। शिक्षकों पर विभागीय कार्यों का भी बोझ है। एकल शिक्षक वाले स्कूलों में नामांकन प्रभावित हो रहा है। नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कमी का मुख्य कारण देहात और नगर का कैडर अलग होना है, जिससे समायोजन में दिक्कत आ रही है।

    Hero Image

    दीपा शर्मा, गाजियाबाद। एक ओर बुनियादी शिक्षा के नाम पर सरकार हर साल बड़ा बजट खर्च कर रही है। विद्यालयों को हाईटेक बनाया जा रहा है। स्मार्ट कक्षाएं बनाई जा रही हैं। स्कूलों को सुविधाओं एवं संसाधनों से संतृप्त किया जा रहा है, दूसरी ओर स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक न होने से न तो बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा मिल पा रही है और न ही स्कूलों में नामांकन बढ़ पा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गाजियाबाद जिले के महानगर क्षेत्र में 21 ऐसे स्कूल हैं जहां एक-एक शिक्षक की तैनाती है। जबकि इन स्कूलों की नामांकन संख्या 401 तक है। वहीं नगर क्षेत्र के कुल 93 स्कूल में 237 शिक्षकों की तैनाती है। इन शिक्षकों को अध्यापन कार्य के साथ विभागीय कार्य एवं नियमित विभाग के विभिन्न एप पर जानकारी भी अपडेट करनी होती है।

    इसके अलावा, विभिन्न अभियान पर कार्य करने के साथ बैठक एवं प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम में भी शामिल होते हैं। आए दिन शिक्षकों की ड्यूटी विभिन्न परीक्षाओं, बीएलओ एवं अन्य कार्यों में लगा दी जाती है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि इन स्कूल के बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही होगा और इन बच्चों का भविष्य क्या होगा।

    कं. वि. कैला बालक में 401 बच्चों पर हैं एक शिक्षक

    कंपोजिट विद्यालय कैला बालक में नगर क्षेत्र के एकल शिक्षक विद्यालयों में सबसे ज्यादा समस्या है। यहां वर्तमान में 401 विद्यार्थियों पर एक शिक्षिका की तैनाती है। इसके अलावा विद्यालय में एक शिक्षामित्र एवं दो अनुदेशक हैं। प्रधानाचार्य सलमा प्रवीन का कहना है कि एक स्मार्ट क्लास में बच्चों को कक्षावार पढ़ने के लिए बैठाती हैं।

    तीन कक्षाओं को अनुदेशक एवं शिक्षामित्र संभालते हैं। बाकी सभी कक्षाओं में वह स्वयं बारी बारी से जाकर पढ़ाती हैं। जो होशियार बच्चे हैं उनको छोटी कक्षा में पढ़ाने के लिए लिए लगा देती हैं। उनको उपस्थिति दर्ज करना, स्कूल में बच्चों को व्यवस्थित करना, विभागीय एप पर जानकारी अपडेट करना होता है। एप पर जानकारी अपडेट करने का जो काम घर जाकर कर सकती हैं वह छुट्टी के बाद करती हैं।

    इन स्कूल में है ज्यादा समस्या

    स्कूल शिक्षक नामांकन
    कंपोजिट विद्यालय कैला बालक एकल 401
    प्राथमिक विद्यालय कविनगर एकल 168
    प्राथमिक विद्यालय सिकरोड़ एकल 149
    प्राथमिक विद्यालय शहीदनगर-2 अस्थाई 146
    प्राथमिक विद्यालय कैला जनरल-2 अस्थाई 116
    प्राथमिक विद्यालय घूकना अस्थाई 109
    प्राथमिक विद्यालय लालकुआं एकल 106
    प्राथमिक विद्यालय बौंझा एकल 102
    कुल योग - 1,297

    ये हैं जिले के एकल एवं शिक्षक विहीन विद्यालय

    प्राथमिक विद्यालय बम्हैटा-2, प्राथमिक विद्यालय बैंझा, प्राथमिक विद्यालय हरसांव, प्राथमिक विद्यालय कविनगर, प्राथमिक विद्यालय लाल कुआं, प्राथमिक विद्यालय मिल्क दुहाई, प्राथमिक विद्यालय मोरटा-2, प्राथमिक विद्यालय मा. काशीराम, प्राथमिक विद्यालय सदरपुर-1, प्राथमिक विद्यालय सदरपुर-2, प्राथमिक विद्यालय सरायपुख्ता, प्राथमिक विद्यालय सिहानी-1, प्राथमिक विद्यालय सिकरोड़, प्राथमिक विद्यालय सराय नजर अली, कंपोजिट विद्यालय कैला बालक, कंपोजिट विद्यालय रईसपुर बालक विद्यालयों में एकल शिक्षक की तैनाती है। वहीं पांच शिक्षक विहीन विद्यालयों में अस्थाई एकल शिक्षक की तैनाती की हुई है। इनमें प्राथमिक विद्यालय राजनगर, प्राथमिक विद्यालय शहीदनगर-2, प्राथमिक विद्यालय घूकना, प्राथमिक विद्यालय कैला जनरल-2, प्राथमिक विद्यालय सिहानी गेट शामिल हैं।

    नगर एवं क्षेत्र का अलग कैडर होने से आती है समस्या

    जिले के नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कमी की मूल वजह देहात और नगर का कैडर अलग होना है। नियमानुसार नगर क्षेत्र में नई नियुक्ति नहीं की जा सकती है और लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्र से नगर क्षेत्र में शिक्षकों का समायोजन नहीं हुआ। ऐसे में जहां देहात क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या जरूरत से ज्यादा वहीं नगर में शिक्षकों की कमी है।

    परिषदीय विद्यालयों में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की तैनाती का प्राविधान है। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में 73 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की तैनाती है। वहीं देहात क्षेत्र में 29 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की तैनाती है।

    जिले के नगर क्षेत्र एवं देहात में विद्यार्थी नामांकन एवं शिक्षक

    जिले में विद्यार्थी नामांकन एवं शिक्षक

    विद्यार्थी शिक्षक अनुपात
    72,980 2,149 33.95

    नगर क्षेत्र में विद्यार्थी नामांकन एवं शिक्षक

    विद्यार्थी शिक्षक अनुपात
    17,320 237 73.08

    देहात क्षेत्र में विद्यार्थी नामांकन एवं शिक्षक

    विद्यार्थी शिक्षक अनुपात
    55,660 1,912 29.11

    नामांकन हो रहा प्रभावित

    शिक्षकों की कमी से परिषदीय विद्यालयों में नामांकन भी प्रभावित हो रहा है। कई एकल शिक्षक विद्यालयों में बच्चों की संख्या ज्यादा हो जाने की वजह से नामांकन नहीं करा पाते हैं। न तो शिक्षा से वंचित बच्चों का नामांकन कराने पर ध्यान दिया जाता है और न ही ड्राप आउट बच्चों को जोड़ पाते हैं। ऐसे में हर साल सुविधाएं बढ़ने के बाद भी हर साल नामांकन घट रहा है।

    जिले में परिषदीय व एडेड विद्यालयों में नामांकन की स्थिति

    सत्र नामांकन
    2025-26 88,890
    2024-25 91,470
    2023-24 93,709
    2022-23 1,01,221
    2021-22 1,17,257
    2020-21 1,19,259
    2019-20 1,15,154
    2018-19 1,01,727
    2017-18 99,881
    कुल योग 9,28,568

    2011 से नहीं हुआ समायोजन

    उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ के महानगर अध्यक्ष अमित गोस्वामी ने बताया कि नगर क्षेत्र में 1972 से अभी तक कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। सबसे पहले 2001 में देहात से नगर क्षेत्र में समायोजन हुआ था। इसके बाद 2011 में देहात से नगर क्षेत्र में समायोजन हुआ। जिससे शिक्षकों की संख्या नगर एवं देहात में संतुलित हुई थी, लेकिन अब कई साल से फिर शिक्षकों की बड़ी संख्या में कमी है।

    तीन साल पहले उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षकों की नई नियुक्ति हुई थी, लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्र में पर्याप्त शिक्षक होने की वजह से केवल एक शिक्षक की तैनाती हुई।

    जिन स्कूलों में शिक्षकों को लेकर समस्या है वहां अस्थाई शिक्षकों की तैनाती कर समाधान किया गया है। जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है वहां से ड्यूटी आदि कार्य में नहीं लगाया जाता है। हर साल शिक्षकों की सूचना शासन स्तर पर भेजी जाती है। करीब दो माह पहले ही नगर क्षेत्र के लिए शिक्षकों की मांग रखते हुए प्रस्ताव भेजा था।

    -ओपी यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी, गाजियाबाद