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    गाजीपुर में विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष के चालक ने किया रास्ते पर कब्जे का प्रयास, तहरीर दी

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 02:18 PM (IST)

    गाजीपुर में विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष के ड्राइवर पर रास्ते में कब्ज़ा करने का आरोप लगा है। पीड़ित ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें ड्राइवर पर रास्ते में अवैध रूप से कब्ज़ा करने का प्रयास करने का आरोप है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।

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    स्थानीय निवासियों का आरोप है कि श्रवण ने पहले भी जबरन रास्ते पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के चालक श्रवण सिंह यादव, जो भैंसड़ा के निवासी हैं, ने राजनीतिक दबाव बनाकर गांव के सार्वजनिक रास्ते पर अतिक्रमण का प्रयास किया। ग्रामीणों के विरोध के चलते पुलिस ने इस कार्य को रोक दिया है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि श्रवण ने पहले भी जबरन रास्ते पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

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    गांव के लोगों ने बताया कि यह रास्ता काफी पुराना है और इसका इंटर लॉकिंग भी किया गया है। एमएलसी के चालक ने इस रास्ते को गेट लगाकर बंद करने की योजना बनाई थी। ग्रामीणों का कहना है कि श्रवण ने पहले भी कई बार इस तरह के प्रयास किए हैं और उन्हें धमकी भी दी है। मंगलवार को, जब नेता प्रतिपक्ष की गाड़ी लेकर वह गांव पहुंचा, तो उसने फिर से रास्ता बंद करने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया।

    ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि श्रवण ने गांव के सार्वजनिक रास्ते पर पीलर गाड़कर अतिक्रमण करने की कोशिश की। इस घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और श्रवण के कार्य को रोक दिया। इसके बाद, ग्रामीणों ने श्रवण सहित तीन लोगों के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी है।

    इस घटना ने गांव में तनाव पैदा कर दिया है और स्थानीय निवासियों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि सार्वजनिक रास्तों पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण स्वीकार्य नहीं है और वे इसे रोकने के लिए एकजुट हैं।

    इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण के प्रयास को विफल कर दिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है और क्या ग्रामीणों की शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक दबाव के चलते स्थानीय मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों में असंतोष बढ़ रहा है।