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    गाजीपुर में आठवीं और इंटर पास ‘डाक्टरों’ के हाथों बीमारों की जिंदगी ‘गिरवी’

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Sun, 23 Nov 2025 06:02 PM (IST)

    गाजीपुर में झोलाछाप डॉक्टरों का जाल फैला है, जिनमें से कई केवल आठवीं या इंटर पास हैं। बिना उचित ज्ञान के, वे गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। मरीजों को बिना जांच के दवाइयां दी जाती हैं, जिससे कई बार गंभीर परिणाम होते हैं। विभागीय उदासीनता के कारण कई परिवार बर्बाद हो गए हैं, और इन डॉक्टरों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। 

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    ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है, जहाँ वे गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। जनपद में झोलाछापों का साम्राज्य बेलगाम होकर फैल रहा है और स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुलेआम उधेड़ रहा है। सबसे खतरनाक तथ्य यह है कि इन तथाकथित ‘डाक्टरों’ में काफी महज आठवीं पास हैं, जबकि कुछ मुश्किल से इंटर तक पहुंचे हैं। मेडिकल की कोई डिग्री नहीं, इलाज का आधारभूत ज्ञान नहीं, फिर भी ये लोग सफेद कोट पहनकर गंभीर बीमारियों तक का उपचार करने का दुस्साहस कर रहे हैं।

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    जनपद में करीब 150 पंजीकृत अस्पताल हैं। मगर विभागीय मेहरबानी से गांव–कस्बों में इनकी भरमार ऐसी है कि असली डाक्टरों से ज्यादा भीड़ इनके पास उमड़ती है। मरीजों को न जांच, न परीक्षण बस लक्षण सुनकर दवा देते हैं या फिर इंजेक्शन लगा देते हैं। कई मामलों में इन दवाओं का खतरनाक दुष्प्रभाव मरीजों को जिंदगी और मौत के बीच झोंक चुका है।

    कुछ माह पहले ही रेवतीपुर इलाके में नवविवाहिता रूची यादव के दांत में दर्द था। परिवार के लोग झोलाछाप के यहां ले गए तो वह नस में इंजेक्शन लगा दिया, जिससे कुछ ही देर में उसकी हालत बिगड़ी और वह दम तोड़ दी। इतनी बड़ी घटना के बाद भी विभागी की कुंभकर्णी निंद्रा नहीं खुली। यह तो महज एक बानगी भर है। ऐसी कई परिवार विभागीय उदासीनता के चलते बरबादी के कगार पर पहुंच गए हैं, लेकिन झोलाछापों पर कार्रवाई अब भी सिर्फ कागजों की खानापूर्ति तक ही सिमटी है।

    लोगों का आरोप है कि विभागीय मिलीभगत के बिना यह कारोबार इतने बड़े स्तर पर चल ही नहीं सकता। स्वास्थ्य विभाग के छापों की घोषणा होती है, अखबारों में बयान आते हैं, मगर जमीनी स्तर पर न तो कोई स्थायी कार्रवाई होती है, न ऐसे फर्जी क्लीनिक बंद कराए जाते हैं। हालत यह है कि बिना रजिस्ट्रेशन के दर्जनों नर्सिंग होम, पैथोलाजी, एक्सरे और क्लिनिक खुलेआम चल रहे हैं और विभाग आंखों पर पट्टी बांधे हुए है।

    ग्रामीण क्षेत्रों का दर्द और गहरा है। डाक्टर की कमी और अस्पतालों से दूरी का फायदा उठाकर झोलाछाप अपनी दुकानें चमका रहे हैं। बुखार से लेकर हार्ट, लिवर, शुगर जैसी गंभीर बीमारियों तक के इलाज कर रहे हैं। कई जगह तो बिना प्रशिक्षण के लोग सर्जरी जैसी खतरनाक प्रक्रियाएं तक करते पाए गए हैं।

    केस एक.. 11 फरवरी 2015 : कासिमाबाद थाना क्षेत्र के वेदबिहारी पोखरा निवासी लालसा देवी प्रसव के लिए महिला अस्पताल पहुंची। यहां दलालों के झांसे में आकर खोवा मंडी स्थित झोलाछाप के यहां चली गई। गलत दवा व इंजेक्शन के चलते लालसा ने मरे हुए बच्चे को जन्म दिया। इस दुनिया में आने से पहले नवजात मरा तो लालसा दहाड़े मारकर रोने लगी। यह देखकर संचालक व दलाल दोनों फरार हो गए।

    केस दो.. जून 2019 : नंदगंज थाना क्षेत्र के अगस्ता गांव में सोमवार को झोलाछाप डाक्टर की लापरवाही से मुद्रिका राम की सात वर्षीय पुत्री संजना की मौत हो गई। संजना के दोनों पैर में फोड़ा था। परिजन गांव में स्थित झोलाछाप की डिस्पेंसरी पर ले गए। उसे ठीक करने की बात कहते हुए झोलाछाप ने नस में सूई लगाया। इंजेक्शनल लगती ही संजना छटपटाने और कुछ देर में दम तोड़ दी।

    केस तीन. 29 अक्टूबर 2022 : जंगीपुर के लावा इंद्रावती अस्पताल में दुल्लहपुर के धर्मागतपुर गांव निवासी प्रसव पीड़िता अंतिमा पहुंची। गलत आपरेशन करने के चलते प्रसूत व नजवात दोनों की मौत हो गई। परिवार के लोग हंगामा शुरू किए तो आरोपित संचालक फरार हो गया। विभागीय अधिकारी जांच कर कार्रवाई का भरोसा दिए, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    केस चार... 16 सितंबर 2025 : जंगीपुर थाना क्षेत्र के कृष्णनगर अहिरपुरवा स्थित मां शारदा हास्पिटल में प्रसव के लिए आई लावा गांव निवासी ज्योति कश्यप की गलत दवा व इंजेक्शन देने से मौत हो गई। परिवार के लोग खूब हंगामा किए, पुलिस भी पहुंची। जांच का आश्वासन भी दिया गया, मगर सब ठंडे बस्ते में चला गया। अस्पताल पहले की तहर ही धड़ल्ले संचालित हो रहा है।<br/>