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    गाजीपुर में सौतेली बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को कोर्ट ने 11 दिनों में सुनाई आजीवन कारावास की सजा

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 05:01 PM (IST)

    गाजीपुर में पाक्सो कोर्ट ने सौतेली एक साल की बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। 18 जुलाई 2025 को महिला धान की रोपाई के लिए गई थी लौटने पर बच्ची रो रही थी और कपड़ों पर खून लगा था।

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    कोर्ट ने 15 दिनों में सुनवाई करते हुए दोषी को सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष ने पांच गवाह पेश किए।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। अपर सत्र न्यायाधीश पाक्सो कोर्ट के न्यायाधीश रामअवतार प्रसाद ने सौतेली एक साल की बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को 11 दिनों के भीतर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जो पीड़ित बच्ची के पुनर्वास पर खर्च किया जाएगा।

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    घटना 18 जुलाई 2025 की है, जब एक महिला अपनी एक साल की अबोध बच्ची को घर पर छोड़कर धान की रोपाई के लिए गई थी। शाम को जब वह वापस लौटी, तो उसने देखा कि बच्ची रो रही थी और उसके कपड़ों पर खून लगा हुआ था। 

    जब महिला ने अपने पति से इस बारे में पूछा, तो वह कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे सका। इसके बाद, महिला ने 20 जुलाई को थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शादियाबाद थाना क्षेत्र के सरायगोकुल निवासी आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की।

    कोर्ट ने 11 दिनों में लगातार सुनवाई करते हुए दोषी पिता को प्राकृतिक जीवन तक की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता पीएन सिंह ने पांच गवाह पेश किए। पुलिस ने भी इस मामले में नियमित सुनवाई के दौरान साक्ष्य प्रस्तुत किए। पुल‍िस ने इस मामले में 12 सितंबर 2025 को चार्जशीट दाखि‍ल की थी।

    आरोपित बनवासी समाज से संबंधित है। महिला की पहले एक अन्य व्यक्ति से शादी हुई थी, जिससे यह बच्ची है। बाद में, रिश्ते में दरार आने पर महिला ने आरोपित से विवाह किया था।

    इस मामले ने समाज में एक गंभीर प्रश्न उठाया है कि कैसे एक पिता अपनी ही बेटी के प्रति इस प्रकार की घिनौनी हरकत कर सकता है। न्यायालय ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ऐसे अपराधों के प्रति समाज और न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता बढ़ रही है।

    इस निर्णय से यह संदेश भी जाता है कि न्यायालय ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करेगा और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तत्पर रहेगा। यह सजा न केवल पीड़ित बच्ची के लिए न्याय है, बल्कि समाज में ऐसे अपराधों के प्रति एक चेतावनी भी है।

    इस प्रकार के मामलों में समाज को जागरूक होना आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो सके। न्यायालय का यह निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जो यह दर्शाता है कि कानून सभी के लिए समान है और अपराधियों को उनके किए की सजा अवश्य मिलेगी।