Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    PF घोटाले में आरोपित क्लर्क के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, 16 दिसंबर को होगी सुनवाई

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 11:25 PM (IST)

    पीएफ घोटाले में आरोपित क्लर्क के खिलाफ अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इस कार्रवाई से आरोपित की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, गाेंडा। पीएफ घोटाले में आरोपित नगर पालिका परिषद गोंडा के तत्कालीन लिपिक विपिन प्रकाश श्रीवास्तव के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित सिंह द्वितीय ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नगर पालिका परिषद गोंडा के तत्कालीन ईओ विकास सेन ने नगर कोतवाली में तत्कालीन लिपिक विपिन प्रकाश श्रीवास्तव के खिलाफ कर्मचारी भविष्य निधि (पीएफ) की धनराशि गबन करने के मामले में एफआइआर कराई थी। ईओ की रिपोर्ट के मुताबिक संबंधित लिपिक ने कर्मचारियों के वेतन से पीएफ की धनराशि कटौती करके जमा नहीं किया।

    उक्त धनराशि अपने संबंधियों के खाते में ट्रांसफर करके हड़प ली गई। यहां करीब 3.50 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई गई थी। विवेचना के दौरान पुलिस ने गबन में लिपिक विपिन प्रकाश श्रीवास्तव के अलावा उनकी पत्नी हेमा श्रीवास्तव, बेटे व बैंक कर्मी अंकित श्रीवास्तव व प्रतीक श्रीवास्तव के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था।

    तीन बार में चार आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में दाखिल हुआ आरोप पत्र

    नगर पालिका परिषद में हुए पीएफ घोटाले में पुलिस ने तीन बार में चार आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। पीएफ घोटाले के पहले विवेचक उपनिरीक्षक प्रबोध कुमार ने पीएफ घोटाले के आरोपी विपिन प्रकाश श्रीवास्तव के खिलाफ 29 दिसंबर 2020 को, दूसरे विवेचक उपनिरीक्षक राजेश मिश्रा ने आरोपी अंकित श्रीवास्तव के खिलाफ 26 अगस्त 2021 को व तीसरे विवेचक निरीक्षक अनिल मिश्र ने आरोपी प्रतीक श्रीवास्तव एवं हेमा श्रीवास्तव के खिलाफ 18 नवंबर 2021 को ही न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। पुलिस ने चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था।

    कर्मचारियों की डूब गई मेहनत की कमाई

    पीएफ घोटाले में कर्मचारियों के मेहनत की कमाई डूब गई। यह घोटाला कितने का था, इसका सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है। एफआइआर के बाद आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने में पुलिस को करीब कई वर्ष लग गए। वक्त के साथ विभागीय जांच भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई।