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    Gorakhpur News: मातृ सुरक्षा पर AIIMS का जोर, डॉक्टरों के लिए खोला जानकारी का द्वार

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 03:40 PM (IST)

    एम्स गोरखपुर ने मातृ सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने की पहल की है। स्त्री रोग विशेषज्ञों के लिए सेफ माम 1.0 कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलताओं से निपटने के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने रक्तस्राव और अन्य आपातकालीन स्थितियों में तत्काल कार्रवाई करने के महत्व पर जोर दिया।

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    एम्स गोरखपुर में एनेस्थीसिया विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में मौजूद डाक्टर, सौजन्य एम्स गोरखपुर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स गोरखपुर ने मातृ सुरक्षा पर फोकस करना शुरू कर दिया है। इसकी जिम्मेदारी उठाई है एम्स गोरखपुर के एनेस्थिसियोलाजी, पेन मेडिसिन और क्रिटिकल केयर विभाग ने। विभाग के विशेषज्ञों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के साथ ही स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को अपडेट करना शुरू कर दिया है। वेब सीरिज की तरह हर वर्ष कार्यशाला का आयोजन होगा और नई तकनीक, दवाओं व सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी।

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    एसोसिएशन आफ आब्स्टेट्रिक एनेस्थेसियोलाजिस्ट्स, इंडिया (एओए) के सहयोग से सेफ माम (सुरक्षित मातृत्व) 1.0 सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) और कार्यशाला के चार सत्रों में गर्भवती में रक्तस्राव, झटका, प्रसव के बाद रक्तस्राव राेकने और अन्य जटिल परिस्थितियों से निपटने की जानकारी दी गई।

    एम्स बठिंडा में एनेस्थियोलाजी की विभागाध्यक्ष डा. अंजू ग्रेवाल ने गर्भावस्था में वायुमार्ग रणनीतियों और मातृ सीपीआर की संशोधित तकनीक के बारे में बताया। गर्भवती को सीपीआर देते समय करवट की मुद्रा में बाईं तरफ पेट करने और जीवन बचाने वाले व्यावहारिक तरीकों को साझा किया। एसजी पीजीआई लखनऊ के डा. आशीष कुमार कन्नौजिया ने प्रसवोत्तर रक्तस्राव में एनेस्थीसिया प्रबंधन पर प्रकाश डाला।

    एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता ने सेफ माम 1.0 को बहुत ही प्रभावी और सभी से जुड़ने वाला बताते हुए एनेस्थीसिया विभाग की तारीफ की। सीएमओ डा. राजेश झा ने सभी डाक्टरों के लिए इस कार्यशाला को उपयोगी बताया। आयोजन सचिव डा. विजेता बाजपेयी के धन्यवाद ज्ञापित किया।

    रक्तस्राव हो तो देर न करें

    एम्स गोरखपुर में एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डा. संतोष शर्मा ने कहा कि मातृ मृत्यु को कम से कम करते हुए मां को सुरक्षित रखने की अवधारणा के साथ कार्यशाला की शुरुआत की गई है। सबसे ज्यादा मृत्यु रक्तस्राव के कारण होती है। रक्तस्राव के बड़े कारणों में प्रसव के बाद गर्भाशय का अपनी जगह पर सही से न आ पाना होता है।

    इस कारण प्राकृतिक रूप से मिलने वाली रक्तस्राव रोकने की क्षमता नहीं रह जाती। इसके अलावा गर्भनाल का फंसना भी बड़ा कारण है। रक्तस्राव होने पर खून चढ़ाना शुरू करने के साथ ही खून रोकने के लिए फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा, प्लेटलेट्स भी चढ़ाना चाहिए।

    रक्तस्राव के पहले तीन घंटे में ट्रैनेक्सैमिक एसिड का इंजेक्शन जरूर देना चाहिए। कई बार रक्तस्राव बाहर कम दिखता है लेकिन अंदर होता रहता है। इसके लिए अल्ट्रासाउंड जांच का सहारा लेना चाहिए।

    डा. संतोष शर्मा ने बताया कि महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, संतकबीरनगर, गोरखपुर, बलिया के साथ ही बिहार के भभुआ की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। अगली बार संक्रमण, सांस में दिक्कत, हृदय की दिक्कत आदि पर फोकस करते हुए कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। एम्स गोरखपुर शैक्षणिक पार्टनर के रूप में अपनी भूमिका स्थापित कर रहा है।

    इन्होंने साझा किए अनुभव

    एसजी पीजीआइ लखनऊ के डा. पल्लव, डा. प्रतीक, राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ की डा. ममता हरजाई, डा. सूरज कुमार, डा. सतीश कुमार, बीआरडी मेडिकल कालेज के डा. सुनील आर्य, डा. शाहबाज अहमद, एयरफोर्स अस्पताल गोरखपुर के विंग कमांडर डा. जावेद इकबाल और स्क्वाड्रन लीडर श्रवण रेड्डी।