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    आपदा में गोरखपुर AIIMS बनेगा मददगार, 12 मिनट में होगा उपचार; मिली खास ट्रेनिंग

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 02:04 PM (IST)

    गोरखपुर एम्स आपदा में पीड़ितों की मदद के लिए भीष्म क्यूब सिस्टम का उपयोग करेगा जिससे 12 मिनट में इलाज शुरू हो सकेगा। इस सिस्टम में 72 मिनी क्यूब्स हैं जिनमें दवाएं और ऑपरेशन के उपकरण शामिल हैं। यह सिस्टम 180 भाषाओं में दिशा-निर्देश प्रदान करता है और प्रतिदिन 200 रोगियों का इलाज करने में सक्षम है। इसका उद्देश्य आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाना है।

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    भीष्म क्यूब सिस्टम के बारे में जानकारी देते एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) डा. तनमय राय, सौजन्य एम्स गोरखपुर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। आपदा में अब एम्स भी पीड़ितों का मददगार बनेगा। भीष्म (भारत हेल्थ इनिशिएटिव फार सहयोग, हित और मैत्री) क्यूब सिस्टम की मदद से एम्स गोरखपुर के डाक्टर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों का 12 मिनट में उपचार शुरू कर देंगे। जरूरत पड़ने पर आपरेशन भी किया जा सकेगा।

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    वर्षा होने पर भी उपचार पर असर नहीं पड़ेगा। छोटे टेंट में आपरेशन थियेटर भी स्थापित करने की सुविधा होगी। आक्सीजन की भी सुविधा मिलेगी। एम्स गोरखपुर को दो भीष्म क्यूब सिस्टम मिले हैं।पूरी व्यवस्था का नोडल अधिकारी डा. अरुण पांडेय को बनाया गया है।

    भीष्म क्यूब सिस्टम में मजबूत फ्रेम पर आधारित 72 एल्यूमीनियम मिनी क्यूब्स होते हैं। इनमें दवाएं, आपरेशन के उपकरण, आईवी फ्लूइड और वाटर-रेजिस्टेंट टेंट जैसी आवश्यक सामग्री पैक की जाती है। इन्हें हेलिकाप्टर, एयरक्राफ्ट या पैराशूट के माध्यम से भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत पहुंचाया जा सकता है।

    इस प्रणाली के साथ एक विशेष टैबलेट भी होता है। इसमें 180 भाषाओं में उपयोग की दिशा-निर्देश सामग्री है। आरएफआइडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) आधारित ट्रैकिंग सिस्टम के जरिये पूरी निगरानी रखी जा सकती है। इसमें प्रतिदिन 10–15 बुनियादी आपरेशन किया जा सकते हैं।

    साथ ही दो सौ रोगियों को आपातकालीन चिकित्सा दी जा सकती है। एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) डा. तनमय राय ने प्रदर्शनी का नेतृत्व किया। बताया कि इन क्यूब्स को कुछ ही मिनटों में फील्ड हास्पिटल में बदला जा सकता है।

    इससे पूर्व एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता ने डा. तनमय राय का स्वागत किया। कहा कि भीष्म भारत की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो संकट की घड़ी में जीवन को तेजी और दक्षता के साथ बचाने के लिए समर्पित है। नोडल अधिकारी डा. अरुण पांडेय ने कहा कि यह प्रणाली उत्तर प्रदेश, विशेषकर पूर्वांचल क्षेत्र की आपदा तैयारी को सशक्त बनाएगी। हमारा उद्देश्य ऐसी प्रशिक्षित टीम तैयार करना है जो आपात स्थिति में इन क्यूब्स को तुरंत तैनात कर सके।

    यह है भीष्म क्यूब सिस्टम

    • संरचना - 36 मिनी क्यूब = एक मदर क्यूब, दो मदर क्यूब = एक भीष्म क्यूब
    • क्षमता- प्रतिदिन दो सौ रोगियों का उपचार, 10–15 बुनियादी सर्जरी
    • वजन- प्रत्येक मिनी क्यूब लगभग 20 किलो का है। इसे एक व्यक्ति उठा सकता है
    • सामग्री- दवा, शल्य उपकरण, टेंट व जीवनरक्षक सामग्री
    • परिवहन- हवाई, जल, थल और ड्रोन द्वारा तैनात करने योग्य
    • तकनीकी विशेषता- आरएफआइडी ट्रैकिंग, 180 भाषाओं में एप आधारित मार्गदर्शन
    • स्वावलंबन- सीमित अवधि तक स्वयं बिजली और आक्सीजन उत्पादन की क्षमता