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    आयुष विश्वविद्यालय की पैथाेलॉजी में जल्द शुरू होगी जांच, न्यूनतम शुल्क पर सौ से अधिक जांचों की मिलेगी सुविधा

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 02:46 PM (IST)

    महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में पैथोलॉजी जांच जल्द शुरू होगी, जहाँ कम शुल्क पर सौ से अधिक जांचें उपलब्ध होंगी। पहले चरण में 56 प्रकार की जांचें होंगी। विशेषज्ञ मशीनों का परीक्षण कर रहे हैं। कुलपति ने बताया कि जल्द ही जांच दरें निर्धारित की जाएंगी। पैथोलॉजी में जर्मन तकनीक की मशीनों का उपयोग होगा, जिससे रोगों की सटीक पहचान और प्रभावी उपचार संभव होगा।

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    आधुनिक मशीनों का परीक्षण करके तैयार कर रहे हैं विशेषज्ञ

    संवादसूत्र, भटहट। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में स्थापित पैथाेलाजी में जल्द ही जांच शुरू हो जाएगी। यहां रोगी सौ से अधिक प्रकार की जांचें न्यूनतम शुल्क पर करा सकेंगे। पहले चरण में 56 तरह की जांच की सुविधा मिलेगी। विशेषज्ञों की टीम मशीनों का परीक्षण करके जांच के लिए तैयार कर रही है। कुलपति डा. के रामचंद्र रेड्डी ने बताया कि जल्द ही जांच दर का निर्धारण करके सुविधा प्रारंभ कर दी जाएगी।

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    अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पैथाेलाजी में जर्मन टेक्नोलाजी की हेमैटोलाजी पार्ट - फाइव मशीनों से जांचें की जाएंगी। मशीनों को जांच के लिए तैयार करने में विशेषज्ञों की टीम साइटोटेक्नोलाजिस्ट कोशिका जांच विशेषज्ञ रणजीत कुमार गुप्ता, लैब कोआर्डिनेटर डा केशव गुप्ता एवं लैब टेक्नीशियन पुनीत शुक्ला कई दिनों से कार्य कर रहे हैं। आधुनिक मशीनों का परीक्षण करके उनको तैयार करने में जुटे हैं।

    पहले चरण में कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) की 18, लीवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) की 10, किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी) की चार, लिपिड प्रोफाइल की पांच, यूरीन एग्जामिनेशन की 10 एवं आर्थराइटिस (आरए फैक्टर), सीआरपी, मलेरिया, टायफाइड, वायरल मार्कर (एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और सी), गर्भ सहित कुल 56 जांचों की सुविधा प्रारंभ की जाएगी।

    विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इन जांचों का शुल्क निर्धारण किया जा रहा है। चिकित्सक की ओर से विश्वविद्यालय की पर्ची पर लिखे परीक्षणों के आधार पर काउंटर पर शुल्क जमा कर रसीद लेकर मरीज पैथाेलाजी में जांच करा सकेंगे। यहां दो प्रशिक्षित कर्मी जांच प्रक्रिया संभालेंगे। आयुष विश्वविद्यालय के ओपीडी में प्रतिदिन एक हजार से अधिक लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं।

    अब तक आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सक लक्षण देखकर औषधियां लिखते थे, किंतु पैथाेलाजी शुरू होने से रोग की सटीक पहचान और प्रभावी उपचार संभव हो सकेगा। कुलपति ने बताया कि पंचकर्म पद्धति से उपचार, औषध निर्माण के लिए फार्मेसी की स्थापना, क्लीनिकल एथिकल कमेटी की मान्यता के साथ अनुसंधान की शुरुआत, रोगियों की भर्ती व शल्य चिकित्सा के लिए आधुनिक आपरेशन थियेटर के संचालन के बाद अब पैथाेलाजी में जांच की सुविधा जल्द शुरू हो जाएगी।