बीआरडी में सक्रिय हुए माफिया, रात के अंधेरे में ऑटो से पार कर रहे रोगी
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीज माफिया फिर सक्रिय हो गए हैं, जो रात के अंधेरे में ऑटो और निजी वाहनों से मरीजों को अवैध रूप से बाहर ले जा रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच करने की बात कही है। जमानत पर बाहर आए माफियाओं पर भी निगरानी बढ़ाई जाएगी।

गेट पर नहीं हो रही वाहनों की जांच, न नोट किए जा रहे नंबर और न पूछे जा रहे कारण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज एक बार फिर रोगी माफियाओं के निशाने पर है। ट्रामा सेंटर और आसपास के इलाकों में दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक माफिया सक्रिय हैं। मरीजों के तीमारदारों को भ्रमित कर उन्हें आटो और अन्य निजी वाहनों से परिसर से बाहर ले जाकर निजी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। यह खेल कालेज प्रशासन और पुलिस की आंखों के सामने बेधड़क जारी है।
रोगी माफिया अब एंबुलेंस के बजाय आटो का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि किसी को शक न हो। आटो चालक और दलाल गेट से आसानी से भीतर प्रवेश करते हैं और रोगियों को बहला-फुसलाकर बाहर ले आते हैं। बाहर निकलते ही एक निर्धारित स्थान पर दूसरे वाहन में मरीज को बैठाकर निजी अस्पताल पहुंचा दिया जाता है। जबकि नियम है कि गेट से प्रवेश और निकास करने वाले प्रत्येक वाहन का नंबर, चालक का नाम और प्रयोजन नोट किया जाना चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है।
मंगलवार को संवाददाता खुद एक प्राइवेट गाड़ी से अंदर गया और कुछ देर बार बाहर चला आया। लेकिन गेट पर तैनात गार्ड ने उस गाड़ी को नहीं रोका।
यह कार्य तब हो रहा जब बीआरडी मेडिकल कालेज में चौबीस घंटे पुलिस चौकी और निजी सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, लेकिन इसके बावजूद रोगी माफिया बेलगाम हैं। सुरक्षा की तमाम व्यवस्थाएं महज दिखावा साबित हो रही हैं।
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रात होते ही एंबुलेंस और आटो की ‘दुकानें’ सज जाती हैं और बीमार मरीजों को निजी अस्पतालों तक पहुंचाने का खेल बेरोकटोक चलता है। सोमवार की रात में ही तीन प्राइवेट एंबुलेंस व और छह आटो इमरजेंसी व ट्रामा सेंटर के बाहर खड़े थे और उनके चालक गेट की तरफ मुंह किए मरीज या उनके स्वजन के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। यह खेल हर दिन का हो गया है।
ऑटो से स्कर्पियों पर लादते समय गिर गया था मरीज
ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीजों के तीमारदारों को इलाज में देरी, बेहतर सुविधा और त्वरित इलाज का झांसा देकर माफिया उन्हें निजी अस्पताल भेज रहे हैं। करीब दो सप्ताह पहले खून की दलाली में शामिल पांच माफिया पकड़े गए थे, लेकिन बाद में सौदा कर उन्हें छोड़ दिया गया। इसी तरह पिछले सप्ताह ट्रामा सेंटर से एक मरीज को आटो में लादकर बाहर लाया गया और स्कार्पियो से भेजा जा रहा था, तभी मरीज के गिरने पर मामला बिगड़ गया। शोर सुनकर पुलिस ने उन्हें पकड़ तो लिया, लेकिन शाम होते-होते फिर ''''सौदा'''' हो गया और आरोपित छोड़ दिए गए।
देवरिया की बच्ची की हो गई थी मौत
देवरिया की रहने वाली एक महिला बच्ची को दिखाने के लिए बीआरडी मेडिकल कालेज आई थी। उसे देवरिया मेडिकल कालेज से रेफर किया गया था। यहां आने के बाद सरकारी एंबुलेंस चालक ने मरीज माफिया से गठजोड़ कर निजी अस्पताल में भेज दिया। यहां पर उपचार के दौरान उससे काफी रूपये वसूले गए। बाद में महिला ने थाने में शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने उसे दोबारा बीआरडी में भर्ती कराया। हालांकि बाद में बच्ची की मौत भी हो गई थी।
पुलिस की सुस्ती से जेल से बाहर आ गए है माफिया
वर्ष 2023-24 में मेडिकल चौकी प्रभारी से मारपीट के बाद पुलिस ने सख्ती की थी। जांच के दौरान कई एंबुलेंस, खून और मरीज माफिया पर कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा था। इसके बाद आधा दर्जन पर गैंग्सटर एक्ट की भी कार्रवाई हुई थी। लेकिन, इस समय सभी माफिया जमानत पर बाहर है। इन्हें पहचानने वाला भी गुलरिहा थाना और मेडिकल चौकी पर कोई पुलिसकर्मी नहीं रह गया है। इससे गठजोड़ कर ये एक बार फिर सक्रिय हो गए है।
समय-समय पर पुलिस अभियान चलाकर कार्रवाई करती है। आटो और प्राइवेट वाहनों से मरीजों को बाहर ले जाया जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। इन्हें सह देने वाले पुलिसकर्मियों की भी जांच होगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी। इसके अलावा जो मरीज माफिया जमानत पर बाहर आया है उनकी निगरानी भी बढ़ाई जाएगी।
अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
मेडिकल कालेज परिसर के अंदर आने वाले वाहनों को जाते समय गार्ड जांच करते है। गाड़ी का नंबर और चालक का नाम, पता समेत मरीज का भी डिटेल नोट होता है। अगर इसमें लापरवाही हो रही है तो सीसी कैमरे से जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रो. राम कुमार जायसवाल, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कालेज
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