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    BRD Medical College गोरखपुर में होगा टीबी की दवाओं का परीक्षण Gorakhpur News

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 02 Nov 2020 05:50 PM (IST)

    टीबी मरीजों के लिए फायदेमंद दवाओं का अब बाबा राघवदास मेडिकल कालेज गोरखपुर में ही परीक्षण हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने टीबी के कन्वेंशनल कल्चर एंड ड्रग सें ...और पढ़ें

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    बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर। - फाइल फोटो

    गोरखपुर, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वाचल के टीबी मरीजों को सौगात दी है। टीबी मरीजों के लिए फायदेमंद दवाओं का अब बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में ही परीक्षण हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने टीबी के कन्वेंशनल कल्चर एंड ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट (सीडीएसटी) के लिए बायोसेफ्टी लेवल तीन (बीएसएल 3) लैब का वचरुअल उद्घाटन किया। पहले इस जांच के लिए बलगम का नमूना वाराणसी भेजना पड़ता था।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य दिया है। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग जांच और इलाज की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। वचरुअल उद्घाटन के बाद प्राचार्य डा.गणोश कुमार ने बताया कि फाइंड इंडिया ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार की संस्था सेंट्रल लैब डिवीजन से लैब की स्थापना कराई है। लैब में हाई एफिशिएंसी पर्टिकुलेट एयर (हेपा) फिल्टर व ऋणात्मक दबाव के बीच बलगम का परीक्षण किया जाएगा।

    एलपीए लैब में टीबी की दवाओं का परीक्षण एक दिन में हो जाएगा

    लैब में क्षय रोगियों के बलगम से उन पर दवाओं के असर की जानकारी अधिकतम दो सप्ताह में हो जाएगी। एलपीए लैब में टीबी की दवाओं का परीक्षण एक दिन में हो जाएगा। प्राचार्य ने बताया कि माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष डा.अमरेश सिंह की देखरेख जांच होगी। इस दौरान एसीएमओ डा.नंद कुमार, जिला क्षय रोग अधिकारी डा.रामेश्वर मिश्र, डा.जयेश पांडेय, नरेंद्र प्रताप सिंह, ज्योति कुमार, आलोक कुमार चौधरी, उमेश चौधरी, धर्मेंद्र चौधरी, जगमोहन प्रसाद, जितेंद्र गिरी, धर्मवीर सिंह, चंद्रभान, अजय तिवारी आदि मौजूद रहे।

    वाटर स्पोट्र्स कांप्लेक्स को मिली प्रदूषण बोर्ड की हरी झंडी

    उधर, रामगढ़ ताल के सामने बन रहे वाटर स्पोट्र्स कांप्लेक्स शुरू होने की राह से एक महत्वपूर्ण अड़चन समाप्त हो गई है। कांप्लेक्स को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति मिल गई है। इससे जीडीए (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) से नक्शा पास होने का रास्ता भी साफ हो गया है। बीते वर्ष कांप्लेक्स का निर्माण कर रही कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस ने नक्शा पास करने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर में आवेदन किया। प्राधिकरण ने नक्शा पास करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेने की शर्त रखी थी। कार्यदायी संस्था ने एनओसी (नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट) के लिए बोर्ड में आवेदन किया था। पर्यावरणीय ²ष्टि से परिस्थितियों का गहन परीक्षण करने के बाद बोर्ड ने एनओसी जारी कर दी है।