Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    BRD मेडिकल कॉलेज: VRDL में हो रही मात्र तीन जांचें, BSL-3 लैब में सन्नाटा; मरीज परेशान

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 11:30 AM (IST)

    गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करोड़ों की लागत से बनी बीएसएल-3 लैब में जांच शुरू नहीं हो पाई है। कोविड काल में स्थापित इस लैब में आरटी-पीसीआर मशीनें तो हैं लेकिन धन के अभाव में केवल हेपेटाइटिस बी सी और डेंगू की जांच हो रही है। जीनोम सिक्वेंसिंग का दावा अधूरा है और कई जरूरी जांचें शुरू नहीं हो पा रही हैं।

    Hero Image
    बीआरडी कॉलेज का दावा था- विभिन्न वायरस की जांच व जीनोम सिक्वेंसिंग होगी

    गजाधर द्विवेदी, जागरण गोरखपुर। कोविड काल में आनन-फानन में बीआरडी मेडिकल कालेज के वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब (वीआरडीएल) में बायोसेफ्टी लेवल-थ्री (बीएसएल-थ्री) लैब स्थापित की गई। नौ रीयल टाइम पालिमरेज चेन रियेक्शन (आरटी-पीसीआर) की मशीनें भी आ गईं। एक पहले से थी। वीआरडीएल में मात्र तीन जांचें हो रही हैं। जांचें अधिक हों, इसके लिए धन ही नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेहरू अस्पताल की मदद से किसी तरह हेपेटाइटिस बी व सी तथा डेंगू की जांच हो पा रही है। ढाई करोड़ से स्थापित बीएसएल थ्री लैब आज तक शुरू ही नहीं हो पाई। इसमें एक भी जांच नहीं हो रही है। सन्नाटा पसरा है। जबकि स्थापना के दौरान कालेज ने दावा किया था कि अब जीनोम सिक्वेंसिंग भी मेडिकल कालेज में संभव होगी।

    2014-15 में मेडिकल कालेज में वीआरडीएल की स्थापना हुई थी, इसकी लागत लगभग एक करोड़ रुपये थी। इंसेफ्लाइटिस की जांच व कोविड काल में कोरोना की जांच में इस लैब ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब लैब में स्वाइन फ्लू व इंसेफ्लाइटिस के नमूने जा नहीं रहे हैं।

    स्वाइन फ्लू की जांच कोई डाक्टर लिख नहीं रहा है और इंसेफ्लाइटिस जांच के लिए नमूने क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) में भेजे जा रहे हैं। इसलिए यहां केवल हेपेटाइटिस बी, सी व डेंगू की जांच की जा रही है। आरटी-पीसीआर की 10 मशीनें हैं। मशीनें खराब न हों, इसलिए बारी-बारी से सभी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।

    बीएसएल थ्री लैब को बेहद सुरक्षित माना जाता है। इस लैब में येलो फीवर वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, कोरोना वायरस, स्वाइन फ्लू वायरस और मर्स वायरस पर रिसर्च, उनकी जांच व पहचान अर्थात जीनोम सिक्वेंसिंग होने का दावा किया गया था। अक्टूबर 2020 में यह लैब बनकर तैयार हो गई। सभी जरूरी मशीनें, सेफ्टी टैंक आ गए लेकिन आज तक जांच शुरू नहीं हो पाई।

    जरूरी हैं ये जांचें, नहीं हो पा रहीं

    विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का कारण ह्यूमन पेपीलोमा वायरस, त्वचा, मुंह, होंठ, जननांगों और आंखों पर तरल पदार्थ से भरे छाले का कारण हरपीज सिंप्लेक्स वायरस, जोड़ों में तेज दर्द के साथ बुखार का कारण चिकनगुनिया, गर्भावस्था में बच्चे की विकृति का कारण टार्च इंफेक्शन समेत कई जांचें बहुत जरूरी हैं, जो वीआरडीएल लैब में हो सकती हैं। लेकिन ये जांचें शुरू नहीं हो पा रही हैं।

    बीसएसल थ्री लैब के लिए अभी कोई बजट निर्धारित नहीं हुआ है। वीआरडीएल का बजट 2022 के बाद आया ही नहीं। 2022 में तत्कालीन प्रबंधन ने शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे एप्रूवल नहीं मिला। अब नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।

    -डा. रामकुमार जायसवाल, प्राचार्य बीआरडी मेडिकल कॉलेज

    कोविड संक्रमण काल में वीआरडीएल ही सहारा बनी थी। अब भी लैब तैयार है, किसी भी महामारी की स्थिति में हम इसका उपयोग कर सकते हैं। बजट मिलने से कुछ नई जांचें शुरू हो सकती है, इसका फायदा आम आदमी को मिलेगा।

    -डा. अमरेश कुमार सिंह, अध्यक्ष माइक्रोबायोलाजी विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज