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    600 एकड़ से अधिक की अवैध कालोनियों में फंसे 500 करोड़, UP के इस शहर में प्लाट लेने वाले फंसे

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 11:23 AM (IST)

    गोरखपुर में जीडीए ने अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलाया है जिससे लगभग 500 करोड़ रुपये की जनता की पूंजी फंस गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 150 से अधिक अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई जारी है जिनमें सड़क नाली और पार्क की योजनाएं स्वीकृत नहीं थीं। कृषि भूमि को अवैध रूप से बेचा गया और अब कई कारोबारी फरार हैं।

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    बिना ले आउट स्वीकृत कराए बसाई जा रही 88 अवैध कालोनी ध्वस्त कर चुका है जीडीए

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहर में अनियंत्रित तरीके से पनपी अवैध कालोनियों पर अब गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) का बुलडोजर चल रहा है। नियमों को ताक पर रखकर भूमि कारोबारी वर्षों से बिना लेआउट स्वीकृति के प्लाटिंग कर रहे थे।

    इन कालोनियों में हजारों लोगों ने अपनी जीवन भर की कमाई लगाई, लेकिन अब जब प्राधिकरण ने कार्रवाई शुरू की है, तो न निवेशक को प्लाट मिल पा रहा है और न पैसा वापस। अनुमान है कि करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक की आम जनता की पूंजी इन अवैध योजनाओं में फंस गई है।

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    हाल ही में नियोजित विकास पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध कालोनियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए है। इसके बाद प्राधिकरण ने अब और सख्ती की तैयारी शुरू कर दी है।

    जानकारी के अनुसार, गोरखपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 150 से अधिक अवैध कालोनियों का जाल फैला हुआ है। इनमें 600 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैली 88 कालोनियों में हो रही प्लाटिंग की चहारदीवारी को प्राधिकरण ध्वस्त कर चुका है। जबकि, करीब 65 कालोनियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। इन कालोनियों में न तो सड़क, न नाली, न पार्क की योजना स्वीकृत थी।

    ज्यादातर कालोनियों का भू उपयोग कृषि

    अधिकांश मामलों में जमीन कारोबारियों ने खेती की जमीन को टुकड़ों में बांटकर सस्ते दामों में लोगों को बेच दिया। प्राधिकरण के सूत्रों के मुताबिक, कई बिल्डरों ने लोगों को यह भरोसा दिलाया कि जल्द ही कालोनी का नक्शा पास हो जाएगा और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी।

    लोगों ने इस पर विश्वास करते हुए रकम जमा कर दी, लेकिन बाद में जब जीडीए ने जांच की तो पाया कि ये कालोनियां नियमों के अनुसार विकसित नहीं की जा सकतीं। कुछ स्थानों पर तो भू-उपयोग ही कृषि के रूप में दर्ज था, जिसे बदलवाए बिना निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।

    कई कारोबारी और बिचौलिए भाग गए

    जीडीए की ओर से सख्ती शुरू होने के बाद जमीन के कई कारोबारियों और बिचौलिए भाग खड़े हुए। अब खरीदारों के पास न तो बिल्डर की कोई जानकारी है और न ही अपनी रकम वापस पाने का कोई रास्ता। रूस्तमपुर निवासी इंद्रजीत शर्मा का कहना है कि उन्होंने खोराबार क्षेत्र में पांच डिसमिल भूमि ली थी। बाद में मालूम चला कालोनी अवैध है।

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    जीडीए ने सभी प्लाटिंग की दीवारें तोड़ दी। वर्षों की जमा पूंजी दो साल से फंसी है। जमीन बेचने वाले ने हाथ खड़े कर दिए। नंदानगर के दो भाइयों अंजनी और निरंजन पांडेय ने वर्ष 2022 में सिक्टौर के पास विकसित हो रही एक कालोनी में दो प्लाट लिए थे।

    जब से यह पता चला कि वहां निर्माण नहीं करा सकते, रातों की नींद गायब हो गई है। ऐसे कई पीड़ित हैं जो जमीन बेचने वालाें की तलाश के साथ ही रोजाना जीडीए के चक्कर लगा रहे हैं।

    अवैध कालोनियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई चल रही है। 80 से अधिक ऐसी कालोनियां ध्वस्त की जा चुकी है। कई कार्रवाई की जद में हैं। लोगों को प्लाट खरीदने से पहले सतर्क रहना चाहिए। कोई भी जमीन या प्लाट खरीदने से पूर्व यह जांच लेना आवश्यक है कि उसका लेआउट जीडीए से स्वीकृत है या नहीं। इसके लिए जीडीए की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध है। - आनंद वर्द्धन, उपाध्यक्ष, जीडीए