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    गोरखपुर में पहले खींची जा रही आंख की फोटो, फिर बिक रहा धान; विभाग ने बनाई है नई व्यवस्था

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 12:31 PM (IST)

    गोरखपुर में धान खरीद को हाइटेक किया गया है। किसानों की आंख की आइरिस से बायोमीट्रिक पहचान की जा रही है, ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके। यदि किसान ने किसी को नामित किया है, तो उसकी आइरिस का बायोमीट्रिक किया जा रहा है। खाद्य विभाग ने खरीद केंद्रों पर धान सुखाने और तौल की व्यवस्था की है। 1 नवंबर से खरीद शुरू हो गई है और किसान धीरे-धीरे धान पहुंचा रहे हैं।

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    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। धान खरीद की व्यवस्था इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा हाइटेक कर दी गई है। फर्जीवाड़ा रोकने के लिए धान बेचने वाले किसानों की आइरिस (आंख का रंगीन हिस्सा) की बायोमीट्रिक की जा रही है। इसके लिए क्रय केंद्रों पर उपकरण की व्यवस्था की गई है। यदि किसान ने पंजीकरण के समय खुद की जगह धान बेचने के लिए किसी को नामिनी बनाया है तो नामिनी की आइरिश की बायोमीट्रिक की जा रही है।

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    धान खरीद में खाद्य विभाग जुट गया है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि सभी क्रय केंद्रों पर धान सुखाने की व्यवस्था के साथ ही तौल की अच्छी व्यवस्था की गई। किसानों के आराम के भी इंतजाम किए गए हैं। एक नवंबर से धान खरीद की शुरुआत होने के बाद क्रय केंद्रों पर धीरे-धीरे धान पहुंचाया जा रहा है।

    खरीद के लिए सत्यापित किसानों की संख्या

    तहसील  किसान
    कैंपियरगंज  44
    सहजनवा  245
    सदर  284
    चौरी चौरा  33
    बांसगांव  135
    खजनी  99
    गोला  223
    कुल  1063

    खरीद के लिए पंजीकृत किसान

    तहसील  किसान
    कैंपियरगंज  197
    सहजनवा  537
    सदर  1018
    चौरी चौरा  219
    बांसगांव  602
    खजनी  332
    गोला  508
    कुल  3413

    यह है आइरिश बायोमीट्रिक

    यह किसी व्यक्ति की पहचान करने की एक तकनीक है। यह उच्च-सटीकता वाली बायोमीट्रिक विधि है जो व्यक्ति की आइरिस की उच्च-रिजाल्यूशन वाली छवि को कैप्चर करती है और पहचान या सत्यापन के लिए इसका मिलान डेटाबेस में संग्रहीत पैटर्न से करती है। यदि किसान ने किसी को अपना नामिनी बनाया है तो उसकी आइरिश बायोमीट्रिक की जा रही है।


    किसानों की आइरिश की बायोमीट्रिक कर धान की खरीद की जा रही है। यह व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है। धान खरीद के बाद चार दिन में भुगतान किया जाएगा। किसानों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। किसान बिचौलियों की जगह क्रय केंद्रों पर धान बेचें। एकमुश्त भुगतान मिल जाएगा।


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    अरविंद दुबे, जिला खाद्य विपणन अधिकारी