साहित्य की धरती डुमरी शोकाकुल: खोया अपना साहित्यिक स्तंभ, कवि प्रो. रामदरश मिश्र की हुई मृत्यु
डुमरी में कवि प्रो. रामदरश मिश्रा के निधन से शोक की लहर है। साहित्य जगत ने अपना एक अनमोल स्तंभ खो दिया। प्रो. मिश्रा ने अपनी रचनाओं से साहित्य को समृद्ध किया और समाज को नई दिशा दी। उनके जाने से साहित्य जगत में एक बड़ी क्षति हुई है, जिसकी कमी हमेशा महसूस होगी।

प्रो. रामदरश मिश्र (फोटो-एक्स)
सतीश पांडेय, गोरखपुर। प्रो. रामदरश मिश्र के पैतृक गांव डुमरी में गहरा सन्नाटा पसरा है। गांव ने ऐसा स्तंभ खो दिया, जिसकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को नई पहचान दी। शुक्रवार को हिंदी के यशस्वी कवि व आलोचक प्रो. रामदरश मिश्र के निधन ने लोगों को मर्माहत कर दिया।
गत सोमवार को ही उनके भतीजे अरुण मिश्र का निधन हुआ था। अरुण मिश्र भोजपुरी साहित्य के रचनाकार रामनवल मिश्र के पुत्र थे। अरुण मिश्र झंगहा कस्बे में रहते थे और वहीं व्यवसाय करते थे।
उनकी तेरहवीं की तैयारी चल रही थी, जिसमें शामिल होने के लिए दिल्ली से प्रो. रामदरश मिश्र की पुत्री और परिवार के सदस्य आने वाले थे। इससे पहले ही प्रो. मिश्र के निधन की खबर आई।
डुमरी गांव के तीनों भाई रामअवध मिश्र, रामनवल मिश्र और प्रो. रामदरश मिश्र जिले की साहित्यिक पहचान रहे हैं। सबसे बड़े भाई रामअवध मिश्र का निधन करीब 10 वर्ष पूर्व गांव में हुआ था।
उनके तीन पुत्र रामनिवास मिश्र, श्रीनिवास मिश्र और प्रकाश चंद्र मिश्र असम व गुजरात में रहते हैं। दूसरे नंबर के भाई रामनवल मिश्र भोजपुरी भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। वे पंचायत सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनका निधन पांच जून, 2015 में हो चुका है। उनके चार पुत्र हैं।
परिवार में प्रो. रामदरश मिश्र सबसे छोटे थे। उनके तीन पुत्र हेमंत मिश्र, शशांक मिश्र, विवेक मिश्र के साथ ही बेटी अंजली व स्मिता दिल्ली में रहते हैं। गांव के लोगों ने बताया कि जब तक वह स्वस्थ रहे, गांव में विविध कार्यक्रमों में उनका आना होता रहा। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। उच्च शिक्षा उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रहण की।
प्रो. रामदरश की रचनाओं में सजता था पूर्वांचलसाहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि प्रो. रामदरश हमारे समय के एक प्रमुख कवि, उपन्यासकार, कहानीकार व आलोचक थे। उनकी रचनाओं को पूर्वांचल के लोकजीवन, इतिहास, भूगोल और भोजपुरी क्षेत्र का उल्लेखनीय चित्रण मिलता है। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन का सदुपयोग साहित्य के क्षेत्र में ही किया।

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