Doctor Advice: मानसिक स्वास्थ्य बिगाड़ ही नहीं, सुधार भी रहा मोबाइल फोन
गोरखपुर में लोग अब मानसिक शांति और बेहतर नींद के लिए मोबाइल ऐप्स का सहारा ले रहे हैं। स्लीपिंग म्यूजिक और ध्यान के ऐप्स तनाव कम करने और सकारात्मकता बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। मनोचिकित्सक इन ऐप्स को सुलभ और प्रभावी मानते हैं पर नियमित उपयोग और समय सीमा का ध्यान रखने की सलाह देते हैं। युवाओं में ये ऐप्स तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर मनीष देर रात तक काम के सिलसिले में व्यस्त रहते हैं। कुछ दिन पहले उन्हें नींद न आने की दिक्कत शुरू हुई। एक साथी की सलाह पर उन्होंने यूट्यूब पर स्लीपिंग म्यूजिक का उपयोग शुरू किया।
मधुर संगीत के साये में उन्हें अनिद्रा की समस्या से छुटकारा मिल गया। अवसाद के शुरुआती लक्षण महसूस होने पर संतोष ने सदगुरु का एप ''''मिरेकल आफ माइंड'''' सुनना शुरू किया। मन में उठ रहे नकारात्मक विचारों से पार पाकर वह अब नए उत्साह के साथ जीवन का आनंद ले रहे हैं।
ये दो उदाहरण यह बताते हैं कि डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य चौपट करने के लिए कुख्यात होता मोबाइल फोन इसे सुधारने में भी बहुत काम आ रहा है। मनोचिकित्सक डा. संदीप श्रीवास्तव का कहना है विभिन्न कारणों से लोगों में नींद की कमी होती है।
कई तरह की अन्य चिंताओं की वजह से मानसिक समस्याएं सामने आती हैं। ऐसे में विभिन्न मोबाइल एप एक आसान और सुलभ विकल्प बनकर सामने आए हैं। पारंपरिक थेरेपी की तुलना में ये एप कम खर्चीले, समय बचाने वाले और कहीं भी उपयोग किए जाने योग्य हैं।
युवाओं, विद्यार्थियों और कामकाजी लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य एप की लोकप्रियता बढ़ रही है। इन पर उपलब्ध सामग्री से तनाव और चिंता में कमी आती है। नींद की गुणवत्ता बेहतर भी होती है। ध्यान और श्वास का अभ्यास जैसी प्रक्रिया, तनाव घटाने, संगीत से नींद को गहरी बनाने और मानसिक शांति देने में सहायक हैं।
मूड ट्रैकिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित चैटबाट्स परिस्थिति के अनुसार तुरंत सुझाव और मानसिक सहारा प्रदान करते हैं। नींद सुधारने के प्रोग्राम और व्यक्तिगत कार्यक्रम भी उपयोगकर्ताओं की जरूरत के अनुसार तैयार किए जाते हैं।
इनसे न केवल तनाव और चिंता में कमी आती है, बल्कि आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और स्थिर मानसिक स्थिति भी विकसित होती है। थिंक राइट, हेडस्पेस, कैल्म, मूडपाथ, वायसा और इनरआवर जैसे कई प्लेटफार्म का उपयोग लोग कर रहे हैं।
विभिन्न एप पर एकाग्रता के लिए संगीत, प्रेरक प्रसंग सहित अन्य सामग्री उपलब्ध हैं। जो व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा देते हैं। वर्तमान में तमाम लोग इनका प्रयोग कर रहे हैं। बस, एक बात का ध्यान रखना है कि इस पर निर्भरता न बढ़े। इसका उपयोग शेड्यूल (समय-सारणी) बनाकर करना चाहिए। उपयोग की समय सीमा तय किया जाना आवश्यक है।
डा. धनंजय कुमार, विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, गोवि
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