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    लकवा मार गया तो समय न गंवाएं, तुरंत पहुंचे अस्पताल, डॉक्टर भी दे रहे हैं यह सलाह

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 02:20 PM (IST)

    डॉक्टरों का कहना है कि लकवा होने पर समय बर्बाद न करें और तुरंत अस्पताल जाएं। शुरुआती घंटे महत्वपूर्ण होते हैं, और जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, मरीज के ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। लकवा के लक्षण दिखने पर तुरंत 108 पर कॉल करें और मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाएं। कई अस्पतालों में लकवा के मरीजों के लिए विशेष इलाज उपलब्ध है।

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    एम्स गोरखपुर में विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स में न्यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. आशुतोष तिवारी ने कहा कि लकवा मार गया हो तो समय न गंवाएं। जितनी जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचेंगे, शरीर की कमजोरी उतनी ही जल्द दूर होती जाएगी। लकवा मारने के बाद अधिकतम साढ़े चार घंटे का गोल्डेन वक्त होता है। इस समयसीमा के भीतर उपचार शुरू होना बहुत जरूरी होती है। देर होने पर सुधार के परिणाम देर से मिले हैं।

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    डा. आशुतोष तिवारी विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 पर एम्स में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बताया कि लकवा को पक्षाघात, फालिस या स्ट्रोक नामों से जाना जाता है। यह ब्रेन अटैक से होता है। ब्रेन अटैक में दर्द न होने के कारण रोगी को अस्पताल पहुंचाने में देर कर दी जाती है। ऐसे मामलों में उपचार के बाद भी परिणाम उतना अच्छा नहीं मिलता।

    इससे पूर्व कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता ने कहा कि स्ट्रोक के लक्षण होने पर झाड़-फूंक और अवैज्ञानिक अफवाहों में शुरुआती सुनहरा समय न गंवाएं। जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचकर उपचार शुरू कराएं।

    कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जज के रूप में डा. अजय मिश्र, डा. अतुल व डा. अभिमन्यु रहे। प्रश्नोत्तरी का संपादन डा. आशुतोष तिवारी, डा. हर्षित, डा. आर्या, डा. आस्था ने किया। पोस्टर प्रतियोगिता में एमबीबीएस के छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम में खुशबू, विनय, सुनीता ने योगदान दिया।

    ऐसे होता है लकवा
    मष्तिष्क को खून पहुंचाने वाली नसों में थक्का जमने या नस के फटने से लकवा होता है।

    लकवा के लक्षण
    अचानक चेहरे का टेढ़ा होना, एक तरफ के हाथ-पैर में कमजोरी आना, अचानक शरीर का नियंत्रण खोना या आंख की पुतली का तिरछा हो जाना लकवा का लक्षण हो सकता है। अचानक बेहोशी व बहुत तेज सिर दर्द भी लकवा का लक्षण हो सकता है। लकवा दो तरह का होता है। एक में थक्का जमता है और दूसरे में खून बहता है।

    दवा से गलाया जा सकता है थक्का
    डा. आशुतोष तिवारी ने कहा कि लकवा के उपचार में समय की बहुत बड़ी भूमिका है। खून की नली में जमा थक्का शुरू के साढ़े चार घंटे में दवा से गलाया जा सकता है।

    ऐसे बच सकते हैं लकवा से

    • शारीरिक रूप से सक्रिय रहना या नियमित व्यायाम करना
    • ब्लड प्रेशर की दवा नियमित लेना
    • ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना
    • मदिरा व धूमपान का सेवन नहीं करना
    • ⁠मोटापे से बचना

    यह रहे मौजूद
    कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल सेवानिवृत्त डा. विभा दत्ता का डा. आशुतोष तिवारी ने कार्यक्रम में स्वागत किया। इस दौरान डा. महिमा मित्तल, डा. अजय भारती, डा. अजय कुमार मिश्र, डा. सौरभ केडिया, डा. मनोज पृथ्वीराज, डा. अभिमन्यु, डा. सार्थक आदि मौजूद रहे।