शासन ने अवमुक्त नहीं किया धन, मगरमच्छ कछुआ संरक्षण योजना पर लगा ग्रहण
महराजगंज जिले के फरेंदा तहसील क्षेत्र में स्थित फरेंदा वन रेंज का वेटलैंड परगापुर मगरमच्छ और कछुआ संरक्षण केंद्र परवान नहीं चढ़ सका है। डीएफओ अविनाश कुमार बीते माह कैंपा परियोजना के अंतर्गत प्रस्ताव बना शासन को मंजूरी के लिए भेजा था।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। महराजगंज जिले के फरेंदा तहसील क्षेत्र में स्थित फरेंदा वन रेंज का वेटलैंड परगापुर मगरमच्छ और कछुआ संरक्षण केंद्र परवान नहीं चढ़ सका है। डीएफओ अविनाश कुमार बीते माह कैंपा परियोजना के अंतर्गत प्रस्ताव बना शासन को मंजूरी के लिए भेजा था। जिसके लिए 50 लाख रुपये मौजूदा और 50 लाख अगले वित्त वर्ष में मिल जाने की चर्चा तेज थी। लेकिन शासन द्वारा धन अवमुक्त न होने से इस परियोजना पर ग्रहण लगा हुआ है। परगापुर तालाब 69 हेक्टेयर में है।
ढाई हेक्टेयर में पाले जाने थे मगरमच्छ व कछुआ
ताल में ढाई हेक्टेयर में मगरमच्छ व ढाई हेक्टेयर में कछुआ पालने की योजना थी । साथ ही ताल से दो मीटर गहराई तक मिट्टी निकाल कर टीले बनवाने का भी प्रावधान था। जिस पर मगरमच्छ आकर बैठते और वॉच टावर के जरिये लोगों को भी देखने की व्यवस्था की गई थी। ताल के किनारे बबूल के पौधों के भी लगाने की जिक्र थी। ताल में संरक्षण केंद्र बनने के बाद कछुआ और मगरमच्छ देखने के लिए लोगों का आवागमन शुरू हो जाता।
संरक्षण केंद्र के लिए उपयुक्त जलवायु
परगापुर ताल काफी विशाल है। इसके साथ सटे ही घना जंगल है। ताल का पानी कभी सूखता नहीं है। भौगोलिक स्थिति के कारण यह संरक्षण केंद्र काफी उपयुक्त साबित होगा। वहीं विभाग द्वारा आबादी में पहुंचे मगरमच्छ को रेस्क्यू के बाद ताल में छोड़ दिया जाता है। नवंबर माह में कैंपियरगंज के पास से एक मगरमच्छ को रेस्क्यू कर ताल में छोड़ा गया था।
विदेशी पक्षियों से गुलजार रहता है ताल
सर्दी के मौसम में परगापुर ताल में विदेशी परिंदों का आगमन शुरू हो जाता है। विदेशी पक्षियों के कलरव से ताल गुलजार हो जाता है। ठंड शुरु होने पर विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है। करीब तीन माह के प्रवास के बाद फरवरी व मार्च में वापस अपने देश लौट जाते हैं।
बजट मिलने पर शुरू होगा काम
प्रभागीय वनाधिकारी विकास यादव ने बताया कि कैंपा परियोजना के तहत शासन को मगरमच्छ व कछुआ संरक्षण केंद्र के लिए भेजा गया है। बजट पास होने पर कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

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