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    Hapur News: मोहम्दपुर रूस्तमपुर की गोशालाओं में भूख से दो गोवंशों की मौत, कई अन्य की हालत खराब

    Updated: Mon, 09 Jun 2025 02:24 PM (IST)

    बहादुरगढ़ के मोहम्मदपुर रूस्तमपुर में गोशालाओं में गोवंश की हालत खराब है। चारे-पानी की कमी से कई पशु मर रहे हैं जिससे इलाके में बदबू फैल रही है। निजी ...और पढ़ें

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    प्राइवेट गोशाला में बीमार पड़ी गाय। फोटो सौजन्य- जागरण

    संवाद सहयोगी, बहादुरगढ़। गोवंश की हालत गोशालाओं में भी खराब है। उनके चारे पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। जिससे दर्जनों गोवंश मरने के कगार पर हैं। दो गोवंश की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य की स्थिति हिलर्ने-डुलने की भी नहीं है।

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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गऊ एवं उसके वंश को सुरक्षित रखने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे है, लेकिन धरातल पर सरकार के इन आदेशों की धज्जिया उड़ती नजर आ रही है। मोहम्मदपुर रूस्तमपुर के पास बनी दो गोशालाओं के पास रविवार को गोवंश के मृत शरीर से उठ रही बदबू वहां की कहानी को खुद बयां कर रही थी।

    सूखे भूसे के सहारे गोमाता, जिम्मेदार लापरवाह

    बहादुरगढ़ के पसवाड़ा से मोहम्मद रूस्तमपुर मार्ग पर कर्नल फार्म के पास दो गोशाला बनी करीब 50 मीटर की दूरी पर बनी हुई है।

    रविवार को दैनिक जागरण की टीम वहां से गुजर रही थी कि गोशालाओं के पास से उठ रही बदबू के कारण अचानक ध्यान उस तरफ चला गया।प्राइवेट गोशाला में मुंह पर कपड़ा बांधकर अंदर गए तो वहां गायों के सामने सूखा भूसा पड़ा हुआ था। इनमें से एक गाय तो वहीं मरणासन्न अवस्था में पड़ी थी।

    पिछले हिस्से की तरफ जाकर देखा तो एक गोवंश मरा पड़ा था, जिसके शरीर से बदबू उठ रही थी, जबकि तीन गोवंश भी प्राण त्यागने के कगार पर थे। इस बीच वहां खड़े एक कामगार ने अचानक टूटी दीवार से मृत गोवंश के बच्चे को दीवार के पीछे खेत में फेंक दिया तथा स्वयं दीवार से निकलकर गड्डा खोदकर गोवंश के बच्चे को दबाने का प्रयास करने लगा।

    मृत गोवंश से उठ रही बदबू बता रही थी कि वह काफी दिनों से मरा पड़ा था, लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। इस बीच वहां कार्य कर रहे लोगों से वार्ता करने का प्रयास किया गया तो सभी ने अपने को बाहरी होने की बात कहते हुए कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।

    इसी के बराबर में सरकारी गोशाला बनी हुई है। इसमें भी गोवंश के लिए सूखा भूसा पड़ा हुआ था। जबकि हरे चारे के नाम पर मशीन के सामने मात्र दो से तीन टोकरी हरा चारा पड़ा हुआ था। इस गोशाला के सामने तो इतना बुरा हाल था कि वहां निकलने वाले लोगों को मुंह एवं नाक दबाकर निकलना पड़ रहा था।

    झाड़ियों में एक सांड मरा पड़ा था। ऐसे में सरकारी गोशाला पर भी सवाल खड़े हो रहे है। वहां से गुजर रहे पसवाड़े के रहने वाले ओमप्रकाश ने बताया कि अक्सर यहां पशुओं की मौत भूख एवं प्यास के कारण होती है। सरकारी सिस्टम में बैठे लोग भी इस गंभीर समस्या की तरफ ध्यान नहीं देते है।

    कर्मचारी को नहीं पता किसकी है गोशाला

    वहां कार्य करने वाले लोग इतने शातिर दिमाग है कि उनसे जब गोशाला के संचालक अथवा मैनेजर से उनका पक्ष जानने के लिए कामगारों से उनके बारे में जानकारी करने का प्रयास किया गया तो सभी ने अपने को बाहर का तथा आज ही काम पर आने की बात कहते हुए किसी के बारे में भी जानकारी देने से इंकार कर दिया।

    इतना ही नहीं प्राइवेट गोशाला के बाहर तो किसी तरह का बोर्ड तक अंकित नहीं है। जबकि सरकारी गोशाला की दीवार पर अस्थाई गोशाला ग्राम पंचायत मोहम्मदपुर रूस्तमपुर लिखा हुआ है।

    यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। गोवंश का भूखा एवं बीमार होकर मरना एक गंभीर मामला है। इसकी जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।- अंकित वर्मा, एसडीएम